इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी लाने की तैयारी में सरकार, किसान बनेंगे कॉलोनाइजर

मध्यप्रदेश में शहरों के आसपास तेजी से कॉलोनियों का विकास हो रहा है। ऊंची कीमत पर जमीन खरीदकर उस पर टाउनशिप विकसित करने में डेव्लपर्स को अच्छा खासा इन्वेस्टमेंट करना होता है।

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Sanjay Sharma
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रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल के बीच सरकार इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है। सरकार की इस पॉलिसी से जहां कॉलोनियों के डेव्लपमेंट में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट घटेगा। ऐसे में लागत घटने से प्रॉपर्टी की कीमतों में भी कमी आएगी और लोग सस्ते मकान खरीद सकेंगे। सरकार की नई पॉलिसी का सबसे ज्यादा फायदा शहरों से सटे किसान और छोटे भूखंड स्वामियों को होगा। वे छोटे भूखंडों का पूल बनाकर खुद टाउनशिप विकसित कर कॉलोनाइजर बन पाएंगे। 

मध्यप्रदेश में शहरों के आसपास तेजी से कॉलोनियों का विकास हो रहा है। ऊंची कीमत पर जमीन खरीदकर उस पर टाउनशिप विकसित करने में डेव्लपर्स को अच्छा खासा इन्वेस्टमेंट करना होता है। इस वजह से प्रदेश के सभी शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतों में जमकर उछाल आया है। ऐसे में छोटे-छोटे मकान खरीदना भी मुश्किल हो गया है। 

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टाउनशिप प्रोजेक्ट में होगी पार्टनरशिप

कॉलोनियों के डेव्लपमेंट में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को कंट्रोल करने में सरकार की नई पॉलिसी कारगर साबित हो सकती है। अब तक टाउनशिप प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीदने पर ही कॉलोनाइजर्स को करोड़ों रुपए खर्च करना होता था। जमीन की रजिस्ट्री के बाद ही प्रोजेक्ट से संबंधित रेरा रजिस्ट्रेशन, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगरीय निकाय से जरूरी अनुमतियां मिल पाती थीं। 

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छोटे भूमिस्वामी भी बनेंगे कॉलोनाइजर

सरकार की नई पॉलिसी इन बंधनों से रियल एस्टेट सेक्टर को मुक्ति देने वाली है। कॉलोनी विकसित करने के लिए किसानों को आसपास के भूमि स्वामियों से मिलकर दो हैक्टेयर से ज्यादा रकबे का पूल बनाना होगा। इसमें जमीन खरीदने या बेचने का बंधन भी नहीं होगा। किसान और भूमि स्वामियों को पार्टनरशिप करनी होगी। प्रोजेक्ट से संबंधित अनुमतियां हासिल कर पाएंगे। यानी सरकार की इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी अब किसानों को भी कॉलोनाइजर बनने का मौका देने वाली है। 

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लागत घटेगी तो सस्ते होंगे मकान

कॉलोनियों के डेव्लपमेंट में कॉलोनाइजर्स को करोड़ों रुपए का निवेश करना होता है। सड़क, बिजली, नाली, वॉटर सप्लाई जैसी सुविधाओं के विकास पर भी भारी भरकम खर्च होता है। इसके लिए कॉलोनाइजर प्राइवेट इन्वेस्ट का सहारा लेते हैं जिससे भूखंड या भवनों की कीमत बढ़ जाती है। नई पॉलिसी में स्थानीय भूमि मालिक और डेव्लपर्स की पार्टनरशिप कॉलोनी डेव्लपमेंट की लागत को घटा देगी। इस वजह से मकान की कीमतें भी कम होंगी और लोगों कम कीमत पर अपना आशियाना खरीद पाएंगे।

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