IPS सिंह के आने से सीएम का इंदौर में पूरा होल्ड, नेताओं के बिगड़े गणित

इंदौर में IPS संतोष सिंह के आने से अब कई नेताओं के गणित फेल हो गए हैं। वहीं सिंह की मौजूदगी से सीएम का इंदौर पर होल्ड होगा। IPS सिंह अपनी कार्यशैली से पहले भी चर्चाओं में रह चुके हैं।

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Sanjay gupta
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आईपीएस संतोष सिंह फिर आ गए हैं। आधी रात को यह ट्रांसफर हुआ और सुबह जब अलसाई आंखों से यह खबर बड़े लोगों को लगी तो उनकी पूरी नींद उड़ गई। गृहमंत्री, इंदौर के प्रभारी मंत्री और सीएम डॉ. मोहन यादव का यह झटका कई नेताओं को भारी पड़ा है। सिंह के आने के साथ ही सीएम का इंदौर पर होल्ड पूरी ताकत से हो गया है। उधर नेताओं के गणित बुरी तरह बिगड़ गए हैं। 

सिंह को नहीं लाने की हो रही थी कोशिश

सीपी राकेश गुप्ता का कार्यकाल आठ माह ही रहा है, लेकिन इस दौरान उनके जाने की आहट लंबे समय से चल रही थी। साथ ही संतोष सिंह के आने की भी बात हो रही थी। यही नेताओं को खटक रहा था और इसे रुकवाने की कवायद भी की जा रही थी। इसके लिए एक मंत्री ने एक कार्यक्रम में सीपी गुप्ता के काम की खुलकर तारीफ भी की थी। इससे संदेश जाए कि गुप्ता सही काम कर रहे हैं और हटाने की जरूरत नहीं है। इंदौर के बड़े नेताओं की तो नहीं लेकिन सीएम को सिंह की कार्यशैली ठीक लग रही थी। हाल के समय में जिस तरह से नशे के कारोबार का इंदौर हब बन रहा है, उससे पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं, ऐसे में सीएम ने सिंह को लाना ही बेहतर समझा। 

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क्यों ऐसा होगा

2000 बैच के आईपीएस संतोष सिंह, आठ साल पहले इंदौर में डीआईजी रहते हुए अपनी कार्यशैली का जलवा दिखा चुके हैं। जब भूमाफिया, गुंडों के हाथ-पैर टूट रहे थे और वह खौफ में थे। कई आपराधिक तत्वों को बचाने के लिए जुगत लगाने वाले नेताओं की सुनना बंद हो गया था। इसमें इंदौर के कई बड़े नेता शामिल हैं, जिनकी एक नहीं चलती थी। 

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अब पोस्टिंग से पहले भी सोचेंगे पुलिसवाले

लोकसभा चुनाव के बाद इंदौर में कमाई की मंशा से पोस्टिंग की जुगत लगाने वाले पुलिस अधिकारी अब इंदौर से दूर ही रहना पसंद करेंगे। सिंह के साथ काम वही कर सकता है जो लगातार अलर्ट रहे, एक भी शिकायत हटाने के लिए काफी है। वहीं सिंह किसी भी थाने में कभी भी दस्तक देकर औचक निरीक्षण कर सकते हैं। यानी किसी को थाने से कहीं दूर जाना है तो सिंह को सूचित करना जरूरी होगा। मैदान पर पुलिसिंग दिखना होगी। 

अधिकारियों में सामंजस्य लाना होगा

इंदौर में मुख्य रूप से धुरी तीन अधिकारियों पर चलती है। इनमें कलेक्टर, निगमायुक्त और पुलिस कमिशनर शामिल हैं। कलेक्टर आशीष सिंह और निगमायुक्त शिवम वर्मा की कार्यशैली बिल्कुल अलग है। वहीं सीपी के तौर पर आने वाले सिंह की कार्यशैली एकदम अलग है। ऐसे में तीनों के बीच तालमेल बेहतर होना बहुत जरूरी होगा। एक अहम भूमिका संभागायुक्त दीपक सिंह की होगी, जो सभी में सामंजस्य बनाने में अहम होंगे। हालांकि सिंह पुलिसिंग में किसी की भी सुनेंगे यह इतना आसान नहीं होने वाला है।

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