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रवि अवस्थी,भोपाल।
राजधानी भोपाल के भोज मुक्त वि​श्वविद्यालय में अनियमितता की जड़ें काफी गहरी हैं। इसके चलते उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का सदन में दिया गया आश्वासन भी बेअसर साबित हो रहा है।
गड़बड़ियों के लिए बदनाम,भोज मुक्त विवि के मामले राज्य विधानसभा के प्राय: हर सत्र में उठते रहे हैं। पिछले मानसून सत्र में भी कांग्रेस विधायक भंवर​ सिंह शेखावत ने विवि में अपात्र व्यक्ति डॉ सुशील मं​​डेरिया को विवि का कुलसचिव बनाने का मामला उठाया।
इसके जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ने कहा-डॉ.मंडेरिया की विवि से प्रतिनियुक्ति समाप्त करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने यह भी बताया कि डॉ मंडेरिया के पास नीतिगत निर्णय लेने के अधिकार नहीं हैं।
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दो माह बाद भी मंत्री की बात अधूरी
उच्च शिक्षा मंत्री ने यह जानकारी गत एक अगस्त को सदन में दी ,लेकिन दो माह बीतने पर भी मंत्री का आश्वासन पूरा नहीं हो सका। डॉ मं​डेरिया बतौर कुल सचिव आज भी काम कर रहे हैं और विवि से जुड़े अहम फैसले भी ले रहे हैं। विवि के कुलगुरु एवं अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता कहते हैं-प्रतिनियुक्ति समाप्त करने का निर्णय शासन को लेना है।
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नए वीसी की आमद से पहले भुगतान की आपाधापी
श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान(SGSITS),इंदौर के प्रो.मिलिंद दत्तात्रेय दाण्डेकर विश्वविद्यालय के नए कुलगुरु बनाए गए हैं। राजभवन ने गत 30 सितंबर को उनकी नियुक्ति संबंधी आदेश जारी किए। प्रो.दाण्डेकर सोमवार को अपना पदभार संभालेंगे।
नए कुलगुरु काफी सख्त मिजाज हैं। इसकी भनक लगते ही विश्वविद्यालय में लंबित ​देयकों का भुगतान हासिल करने को लेकर आपाधापी मची है।
बताया जाता है कि आडिट आपत्ति के बाद ऐसे ही 35लाख रुपए के एक भुगतान की नस्ती स्वीकृति के लिए मौजूदा कुलगुरु के सी गुप्ता को भेजी गई,लेकिन उन्होंने इसे बैरंग लौटा दिया। साथ ही जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई। आर्थिक गड़बड़ी से जुड़े एक प्रकरण में असिस्टेंट रजिस्ट्रार नितिन सांगले को शोकॉज नोटिस भी थमाया गया।
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ईओडब्लयू ने तलब किए दस्तावेज
इधर,विवि में 66 कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियों की जांच कर रहे राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो (EOW) ने कुल सचिव के नाम एक नोटिस जारी कर संबंधित कर्मचारियों के दस्तावेज तलब किए हैं। इसके लिए आगामी 13 अक्टूबर की तिथि तय की गई है।
ब्यूरो के इस नोटिस के बाद विवि में अवैध नियुक्तियों संबंधी दस्तावेजों को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार,शासन ने प्रकरण के मुख्य आरोपी प्रवीण जैन से पांच कर्मचारी अर्चना खरे मौर्य,अनिल राय,सुनील कनेरिया, व ओबेराय को दिए जा रहे वेतन की रिकवरी के आदेश दिए थे,लेकिन यह रिकवरी भी अब तक शुरू नहीं की गई।
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आगजनी की जांच ठंडे बस्ते में
विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में गत 20 जुलाई को लगी आग की जांच भी ठंडे बस्ते में है। चूनाभट्टी पुलिस आगजनी के इस संदिग्ध मामले की जांच कर रही है। दरअसल,विधानसभा का सत्र शुरू होने से चंद दिन पहले ही विवि की लायब्रेरी में आग लगाने की कोशिश हुई थी।
पुलिस को मौके से माचिस की तीलियां,आग लगाने के लिए इस्तेमाल किए गए अधजले कागज भी मौके से मिले थे। गनीमत यह रही कि आग ने विकराल रूप नहीं लिया। पुस्तकालय कक्ष में लगे कुछ पर्दे ही इसकी चपेट में आए। दरअसल,विवि के पुस्तकालय से दस लाख रुपए की पुस्तकें गायब हैं। यह जांच भी अब तक अंजाम पर नहीं पहुंच सकी।