जबलपुर के पनागर तहसील अंतर्गत पड़री गाँव मे लगभग 30 लाख रुपए की लागत से बने अमृत सरोवर योजना के तालाब की दीवार बह गई। इस निर्माण के पानी मे बहने के साथ ही इस निर्माण में किये गए हद दर्जे के भ्रष्टाचार की पोल भी खुल कर सामने आ गई। निर्मित किए गए तालाब में पानी को रोकने के लिए बनाई गई दीवार जब टूटी तो वह अपने आप में भ्रष्टाचार को बयां करती हुई नजर आई। टूटी हुई दीवार के अंदर लोहे का एक भी सरिया नजर नहीं आ रहा, जिससे यह साफ जाहिर है कि केवल सीमेंट की दीवार खड़ी करके पानी को रोकने की कोशिश की गई थी। जिसके कारण इस दीवार ने पानी के बहाव के सामने दम तोड़ दिया।
उपसरपंच सहित ग्रामीणों ने की थी शिकायत
इस मामले में पंचायत सरपंच सचिव और ग्राम सहायक के द्वारा तालाब निर्माण में किया जा रहे हैं भ्रष्टाचार की शिकायत पंचायत की ही उपसरपंच ने जनपद पंचायत पनागर से की थी। ग्रामीणों के द्वारा हस्ताक्षरित की गई शिकायत में भी यह साफ लिखा गया था कि 30 लाख रुपए की लागत से हो रहे इस निर्माण में भ्रष्टाचार किया जा रहा है और अवैध रूप से सरपंच सहित पदाधिकारी की मिली भगत के द्वारा 17 से 18 लाख रुपए अहतरित कर लिए गए जबकी इतना निर्माण भी नहीं हुआ था।
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शिकायत पर नहीं हुई कार्यवाही और आखिर खुली पोल
उपसरपंच सहित ग्रामीणों के द्वारा की गई शिकायत पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया।कार्यवाही न करते हुए अधिकारियों ने इन भ्रष्टाचारियों को खुली छूट दे दी, जिसका अंजाम यह हुआ कि जनता के टैक्स की गाढ़ी कमाई के 30 लाख रुपए पानी में बह गए।
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जांच कर करेंगे कार्यवाही- सीईओ जनपद
इस मामले में जबलपुर जिला पंचायत सीईओ जयति सिंह ने यह माना कि प्रथमदृष्ट्या इस मामले में भ्रष्टाचार नजर आ रहा है, हालांकि उन्होंने कहा कि अभी इस मामले की जांच की जाएगी और यह पता लगाया जाएगा कि यह निर्माण पानी की तेज बहाव के कारण टूटा है या घटिया निर्माण के कारण और उसके बाद जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाएगी। सीईओ ने यह भी माना कि पहले की गई शिकायत पर यदि समय पर संज्ञान लिया जाता तो इस तरह का घटिया निर्माण करने से इन भ्रष्टाचारियों को रोका जा सकता था।
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जल संरक्षण के लिए बनाई गई है अमृत सागर परियोजना
जबलपुर के सभी जनपदों में लगभग 17 करोड रुपए की लागत से 101 तालाब बनाने थे। अमृत सागर परियोजना की वेबसाइट के अनुसार जबलपुर में अब तक 99 तालाब बनाए जा चुके हैं। शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना के पूरे होने के बाद पानी की कमी से निजाद मिलने की उम्मीद थी और जल संरक्षण के लिए यह योजना अहम कदम साबित हो सकती थी। इस योजना के अंतर्गत बनने वाले तालाबों को पूरा करने का टारगेट अगस्त 2023 का दिया गया था। हालांकि कुछ तालाब अभी 3 माह पहले ही कंप्लीट हुए हैं। और तीन महीने के बाद ही पहली बारिश में भ्रष्टाचार के चलते सरकार की यह योजना विफल साबित होती हुई नज़र आ रही है।
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