अंकिता-हसनैन की शादी पर कोर्ट ने लगाई रोक, मान्य नहीं होगा पिछला आदेश

विवादों से घिरे अंतर धार्मिक शादी के मामले में अब जबलपुर हाईकोर्ट ने युवती के पिता को राहत देते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के पिछले आदेश पर रोक लगा दी है।

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Neel Tiwari
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Ankita Hasnain
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लव जिहाद के आरोपों से घिरे अंकिता और हसनैन के विवाह पर अब हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया है। यह आदेश युवती अंकिता राठौर के पिता के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच में लगाई गई याचिका की सुनवाई के बाद जारी हुआ। जिसके बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के द्वारा इस शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत सही बताते हुए दिया गया आदेश अब मान्य नहीं होगा।

अंकिता के पिता ने दायर की याचिका

अंतर धार्मिक विवाह के विरोध में युवती अंकिता के पिता ने जबलपुर हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विनय जैन की युगल पीठ में रिट अपील की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अशोक लालवानी ने पक्ष रखते हुए इस विवाह के स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत आने का विरोध किया। अधिवक्ता अशोक लालवानी ने अदालत के सामने जस्टिस जीएस अहलूवालिया के पिछले आदेश का हवाला देते हुए यह बताया, कि एक हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत भी मान्य नहीं है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष से सहमत होते हुए, जस्टिस विशाल धगत के द्वारा 22 अक्टूबर को दिए गए आदेश पर स्टे लगा दिया है।

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27 मई को आया था जस्टिस अहलूवालिया का आदेश

इस मामले में जिस आदेश का हवाला दिया गया है। वह जबलपुर हाई कोर्ट में जस्टिस गुरपाल सिंह आहलूवालिया की सिंगल बेंच के द्वारा पारित किया गया था। जिसमें दो अलग-अलग धर्म के युवक युवती ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह करने के साथ सुरक्षा की मांग की थी। जिसमें जस्टिस आहलूवालिया ने मुस्लिम लॉ का हवाला देते हुए यह आदेश पारित किया था, कि मुस्लिम लॉ में एक मुस्लिम लड़के की शादी मूर्ति पूजा करने वाली लड़की के साथ मान्य नहीं होती। इस शादी को अमान्य या फ़ासिद शादी कहा जाता है।

इस मामले में युवक और युवती लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए इक्छुक थे और हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस आहलूवालिया के इस आदेश के आधार पर ही आज अंकिता के पिता को इस मामले में स्टे आर्डर मिला है।

हिंदू संगठनों में देखने मिला है भारी आक्रोश

इस मामले में हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश देखने मिला है। जहां शादी के विरोध में पूरा सिहोरा एक दिन के लिए बंद रखा गया था। वहीं अंकिता को सद्बुद्धि देने के लिए हिंदू संगठनों में सद्बुद्धि यज्ञ तक करवाया था। इस मामले को प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर सनातन के विरोध में साजिश भी बता चुके हैं।

पढ़िए इस मामले का  शुरुआत से पूरा घटनाक्रम

4 अक्टूबर 2024 को अंकिता और हसनैन ने जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस विशाल धगत की बेंच में सुरक्षा के लिए याचिका लगाई। 

7 अक्टूबर 2024 को अंकिता राठौर और हसनैन अंसारी ने जबलपुर कलेक्टर कार्यालय में विवाह के लिए आवेदन दिया जिसके बाद उन्हें 12 नवंबर 2024 की तारीख मिली।

16 अक्टूबर 2024 को इस शादी का नोटिस वायरल हुआ, इसके बाद अंकिता के घरवालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

18 अक्टूबर को इंदौर पुलिस जबलपुर आई और युवक युवती को ढूंढने की कोशिश की गई पर वह नहीं मिले।

20 अक्टूबर को हैदराबाद के विधायक टी राजा ने वीडियो जारी करते हुए इस शादी का विरोध किया और इसे लव जिहाद का मामला बताया।

21 अक्टूबर को हिंदूवादी संगठनों ने इससे शादी के विरोध में सिहोरा बंद का आव्हान किया और सिहोरा में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे गए।

22 अक्टूबर 2024 को जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले की दोबारा सुनवाई हुई। युवक और युवती की ओर से अधिवक्ता ने अपना वकालतनामा सुरक्षा के चलते वापस ले लिया। जिसमें हाईकोर्ट के द्वारा इस शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के योग्य मानते हुए युवक और युवती को सुरक्षा प्रदान करने के आदेश दिए गए।

8 नवंबर 2024 को जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की युगलपीठ ने सिंगल बेंच के पिछले फैसले पर स्थगन आदेश जारी किया।

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