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MP News: जबलपुर की राजनीति में हलचल मचाने वाले एक विवादित ऑडियो क्लिप के चलते भाजपा ने कड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने आचार्य विद्यासागर मंडल की मंडल अध्यक्ष जागृति शुक्ला और पूर्व मंडल अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह राजपूत को तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद वीडी शर्मा द्वारा की गई है। उन्होंने दोनों नेताओं के बयान को पार्टी की गरिमा और सामाजिक समरसता के विरुद्ध बताया। यह निर्णय पार्टी की अनुशासनात्मक समिति के परामर्श से लिया गया और इसे संगठन में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत लागू किया गया।
विवादित टिप्पणी से आक्रोशित हुआ जैन समाज
विवाद की जड़ में एक ऑडियो क्लिप है, जो कथित रूप से इन दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर हुई निजी बातचीत का हिस्सा है। इस ऑडियो में जैन समाज के प्रति आपत्तिजनक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया था। इस ऑडियो में जैन समाज के लोगों की रावण तक से तुलना कर दी गई थी। जिसने देखते ही देखते सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। विभिन्न समुदायों और संगठनों ने इस ऑडियो को सामाजिक ताने-बाने पर हमला बताते हुए भाजपा से तत्काल कार्रवाई की मांग की। कई जगहों पर विरोध स्वरूप ज्ञापन सौंपे गए और प्रदर्शन की चेतावनी भी दी गई।
नोटिस के बाद नहीं मिला संतोषजनक जवाब
ऑडियो सामने आने के तुरंत बाद भाजपा की जबलपुर जिला इकाई ने दोनों नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जिला अध्यक्ष रत्नेश सोनकर द्वारा जारी इस नोटिस में तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया था। हालांकि, पार्टी के अनुसार दोनों नेताओं द्वारा दिया गया जवाब या तो समय पर नहीं आया, या फिर वह संतोषजनक नहीं था। जिसके बाद पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने इस मामले को अनुशासनहीनता और सामाजिक गैर-जिम्मेदारी मानते हुए, दोनों को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत से पार्टी की छवि धूमिल हुई है जो कि अनुशासनहीनता के दायरे में आता है। जिसके कारण इन दोनों नेताओं को 6 सालों के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया है।
मीडिया प्रभारी ने की पुष्टि
भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी श्रीकांत साहू ने इस निष्कासन की पुष्टि करते हुए कहा कि पार्टी किसी भी कीमत पर असामाजिक, जातिवादी या घृणा फैलाने वाले बयानों को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पार्टी की आंतरिक अनुशासन प्रणाली और सामाजिक जिम्मेदारी की गवाही देती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामला से प्रदेश नेतृत्व को भी अवगत कराया गया है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
विपक्ष की भी तीखी प्रतिक्रिया आई थी सामने
विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की है। कांग्रेस ने भाजपा पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि जब तक दबाव नहीं बढ़ा, तब तक पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं भाजपा समर्थकों का मानना है कि यह कार्रवाई यह सिद्ध करती है कि पार्टी के लिए छवि और सिद्धांत प्राथमिकता रखते हैं, भले ही कार्रवाई अपनों के खिलाफ ही क्यों न हो।
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अब कानूनी कार्रवाई की भी उठी मांग
हालांकि भाजपा की तरफ से संगठनात्मक कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि यह कार्यवाही पर्याप्त नहीं है और सामाजिक संगठन और विपक्ष इस मामले में एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अगर पुलिस जांच शुरू करती है और मामला आपराधिक श्रेणी में आता है, तो दोनों नेताओं के खिलाफ दंडात्मक प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।
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