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भारतीय जनता पार्टी जबलपुर में इन दिनों एक विवाद गहराता नजर आ रहा है। विगत दिनों बीजेपी के दो वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत का एक ऑडियो वायरल हो गया, जिसमें कथित तौर पर समाज विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। यह ऑडियो सामने आने के बाद न सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई, बल्कि संबंधित समाज के लोगों ने इसे अपनी भावनाओं पर सीधा आघात माना और पार्टी संगठन के सामने विरोध दर्ज कराया। मामला संवेदनशील होने के कारण जिला बीजेपी इकाई को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी।
जिला अध्यक्ष की सख्ती, पार्टी अनुशासन के खिलाफ कोई समझौता नहीं
जबलपुर बीजेपी के जिला अध्यक्ष रत्नेश सोनकर ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए संबंधित नेताओं आचार्य विद्यासागर मंडल की मंडल अध्यक्ष जागृति शुक्ला और वरिष्ठ बीजेपी नेता शैलेंद्र सिंह राजपूत को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस में स्पष्ट शब्दों में उल्लेख किया गया है कि इस प्रकार की भाषा और सोच बीजेपी की मूल विचारधारा के विरुद्ध है। पार्टी न सिर्फ सभी समाजों के सम्मान की पक्षधर है, बल्कि सामाजिक समरसता को प्राथमिकता देने वाले संगठनात्मक ढांचे के तहत कार्य करती है। इसीलिए, इस कृत्य को पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला माना गया है।
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आहत समाज की प्रतिक्रिया, गहराया असंतोष
फोन पर हुई विवादित बातचीत के कारण समाज विशेष में भारी आक्रोश देखा गया है। सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी के समक्ष खुला विरोध जताया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। जिला अध्यक्ष रत्नेश सोनकर ने अपने नोटिस में स्वीकार किया कि समाज की भावनाएं आहत हुई हैं और यह स्थिति सामाजिक सौहार्द बिगाड़ सकती है। ऐसे में पार्टी के अनुशासनात्मक दायित्व के तहत इस विषय पर कठोर निर्णय आवश्यक हो गया है। बीजेपी हमेशा से सामाजिक विविधता के प्रति सम्मानभाव रखने वाली पार्टी रही है, और इस मूल भावना से किसी भी प्रकार का विचलन सहन नहीं किया जाएगा।
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तीन दिन में मांगा गया जवाब, नहीं तो 6 साल का निष्कासन तय
जारी नोटिस में दोनों नेताओं से तीन कार्यदिवस के भीतर लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है। नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि निर्धारित समयसीमा में संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ, तो पार्टी एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए दोनों नेताओं को छह वर्षों के लिए प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर सकती है। यह चेतावनी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बीजेपी अब ऐसे मामलों में 'जीरो टॉलरेंस नीति' अपनाने के मूड में है, विशेषकर तब जब मामला सामाजिक सौहार्द से जुड़ा हो और पार्टी की छवि पर असर डालता हो।
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मीडिया प्रभारी का बयान: “पार्टी की छवि सर्वोपरि”
जबलपुर बीजेपी के जिला मीडिया प्रभारी श्रीकांत साहू ने इस नोटिस की पुष्टि करते हुए कहा कि बीजेपी एक अनुशासित संगठन है, जहां व्यक्तिगत आचरण और भाषाई मर्यादा का विशेष महत्व होता है। उन्होंने कहा कि पार्टी किसी भी कार्यकर्ता को, चाहे वह किसी भी पद पर हो, ऐसी गलती के लिए बख्शने के मूड में नहीं है जो समाज में विभाजन या विद्वेष फैलाने वाली हो। श्रीकांत साहू ने यह भी कहा कि संगठन की छवि और जनविश्वास को आहत करने वाले प्रत्येक कृत्य पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक हलचल तेज, विपक्ष ने साधी नजरें
जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया, विपक्षी दलों ने भी इस पर प्रतिक्रिया देने की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस समेत अन्य दलों की नजर अब बीजेपी की आंतरिक कार्रवाई पर टिकी हुई है। वे इस मुद्दे को आगामी चुनावों से पहले बीजेपी की दोहरी नीति के रूप में जनता के समक्ष पेश कर सकते हैं। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी यदि इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाती है, तो वह सामाजिक सद्भाव को लेकर अपनी प्रतिबद्धता का स्पष्ट संदेश देने में सफल हो सकती है।
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दोनों नेताओं के जवाब पर टिकी सबकी निगाहें
अब सभी की निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि जागृति शुक्ला और शैलेंद्र सिंह राजपूत पार्टी को क्या स्पष्टीकरण देते हैं। क्या वे अपनी टिप्पणी पर खेद व्यक्त करते हैं या दर्ज की गई FIR के अनुसार इस ऑडियो को झूठा बताते हैं या फिर पार्टी अनुशासन के खिलाफ खड़े होते हैं? यह आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। बीजेपी की जिला इकाई इस पूरे मामले पर केंद्रीय नेतृत्व को भी सूचित कर सकती है ताकि निर्णय को संगठनात्मक समर्थन भी मिल सके।
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