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जबलपुर सेंट्रल जेल में एक फिजियोथेरेपिस्ट को गांजे के साथ पकड़ने के बाद जब इसकी शिकायत सिविल लाइन थाने में की गई तो जेल से शिकायत मिलने के बाद भी शुरुआत में पुलिस ने इस गांजे को तंबाकू बताने की पूरी कोशिश की लेकिन आखिरकार उन्हें मामला दर्ज करना पड़ा।
जबलपुर की नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल में कैदियों तक गांजा सप्लाई करने वाले एक फिजियोथेरेपिस्ट संजय दहिया (35 वर्ष) को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। आरोपी जेल में कैदियों की फिजियोथेरेपी करने के नाम पर बेरोकटोक घूमता था और इसी का फायदा उठाकर नशीला पदार्थ कैदियों तक पहुंचाता था। जेल प्रशासन को लंबे समय से इस बात की आशंका थी कि जेल के अंदर अवैध रूप से नशीले पदार्थों की आपूर्ति हो रही है, लेकिन सप्लायर का खुलासा नहीं हो पा रहा था।
शक के आधार पर पकड़ा गया आरोपी
जबलपुर सेंट्रल जेल प्रशासन को कुछ समय से यह संदेह हो रहा था कि जेल के भीतर नशे की सामग्री किसी न किसी तरीके से कैदियों तक पहुंच रही है। कुछ कैदियों के व्यवहार में अचानक बदलाव देखा गया था। वे पहले की तुलना में अधिक आक्रामक हो गए थे, और कुछ कैदियों के पास गांजा मिलने की घटनाएं भी बीते दिनों सामने आई थीं। इन घटनाओं ने जेल प्रशासन को सतर्क कर दिया।
यह तो साफ था कि कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि जेल के अंदर का ही कोई व्यक्ति कैदियों तक गांजा पहुंचा रहा है। इसके बाद जेल में काम करने वाले सभी कर्मचारियों और अधिकारियों पर निगरानी बढ़ा दी। खासकर उन लोगों पर जो नियमित रूप से कैदियों के संपर्क में रहते थे। इस दौरान फिजियोथेरेपिस्ट संजय दहिया की गतिविधियों पर जेल प्रहरियों को संदेह हुआ। उसकी जेल में आवाजाही पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं था, क्योंकि वह कैदियों का इलाज करता था। संजय दहिया पर कड़ी नजर रखनी शुरू की गई। जैसे ही वह जेल के अंदर गांजा सप्लाई करने के लिए पहुंचा, जेल प्रहरियों ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। जब उसकी तलाशी ली गई, तो उसके पास से गांजा सहित कुछ कैश भी बरामद हुआ।
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फिजियोथेरेपिस्ट के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज
गांजा सप्लाई करने की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने सिविल लाइन थाना में संजय दहिया के खिलाफ एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया। यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि संजय दहिया कितने समय से इस काम में लिप्त था और वह अकेला काम कर रहा था या उसके पीछे कोई बड़ा गिरोह भी सक्रिय है। इसके अलावा, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या जेल के अंदर कोई अन्य कर्मचारी या अधिकारी इस अपराध में शामिल थे।
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कैदियों तक ऐसे पहुंचता था गांजा
यह बात सामने आई है कि संजय दहिया ने फिजियोथेरेपी के बहाने कैदियों से करीबी संबंध बना लिए थे। वह नियमित रूप से कैदियों के वार्ड में जाता था और उन्हें विभिन्न तरह की चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता था। इसी का फायदा उठाकर वह गांजा छिपाकर अंदर लाता और इसे कैदियों तक पहुंचाता था। चूंकि फिजियोथेरेपिस्ट की जेल में आवाजाही पर विशेष निगरानी नहीं रखी जाती थी, इसलिए वह बिना किसी शक-संदेह के जेल के अंदर और बाहर जा सकता था।
पुलिस को संदेह है कि वह किसी खास कैदी या कैदियों के एक समूह के लिए गांजा सप्लाई कर रहा था, जो जेल के भीतर इसे अन्य कैदियों तक पहुंचाते थे। इसके अलावा, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि गांजा जेल के अंदर लाने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए गए थे? क्या यह सिर्फ संजय दहिया के जरिए ही सप्लाई हो रहा था, या फिर जेल के अन्य कर्मचारी भी इसमें शामिल थे?
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पुलिस ने की मामला दबाने की कोशिश
इस मामले में एक और दिलचस्प मोड़ तब आया, जब सिविल लाइन थाना प्रभारी नेहरू सिंह खंडाते ने पहले गांजा बरामद होने की खबर को खारिज कर दिया था। उन्होंने मीडिया से कहा था कि संजय दहिया के पास जो सामग्री बरामद हुई है, वह सिर्फ तंबाकू है, गांजा नहीं। हालांकि, सुबह होते-होते पुलिस का रुख बदल गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि आरोपी डॉक्टर के ऊपर वैधानिक कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार भी कर दिया गया है। आरोपी पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुलिस शुरू में इस मामले को दबाना चाहती थी? अगर हां, तो क्यों? क्या पुलिस पर किसी तरह का दबाव था, इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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अलर्ट मोड पर जबलपुर जेल प्रशासन
इस घटना के सामने आने के बाद जबलपुर सेंट्रल जेल प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। अब जेल के अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी निगरानी रखी जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
वहीं, पुलिस भी इस मामले को गंभीरता से ले रही है। अब तक की जांच से यह संकेत मिले हैं कि संजय दहिया अकेला नहीं था। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वह किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था, जो जेलों में नशे की तस्करी कर रहा था? इसके अलावा, पुलिस आरोपी फिजियोथेरेपिस्ट का आपराधिक रिकॉर्ड भी खंगाल रही है। आरोपी फिजियोथैरेपिस्ट के पहले भी किसी अवैध गतिविधि में संलिप्त रहने की भी जांच की जा रही है।
5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ फिजियोथेरेपिस्ट की गिरफ्तारी – जबलपुर सेंट्रल जेल में फिजियोथेरेपिस्ट संजय दहिया को गांजा सप्लाई करते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है।
✅ गांजा सप्लाई का तरीका – संजय दहिया जेल में कैदियों की फिजियोथेरेपी के बहाने गांजा सप्लाई करता था। जेल प्रशासन को इस तस्करी का संदेह पहले से था।
✅ पुलिस की शुरुआती प्रतिक्रिया – शुरू में पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की और गांजा को तंबाकू बताने का प्रयास किया, लेकिन बाद में कार्रवाई की गई।
✅ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज – संजय दहिया के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया और पुलिस यह जांच कर रही है कि वह अकेला था या किसी बड़े तस्करी नेटवर्क का हिस्सा था।
✅ जेल प्रशासन की सतर्कता – इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है और कर्मचारियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।