'साहब ऐसी होती है पराली बताइए इसका क्या करें?", कलेक्टर से बोले किसान

जबलपुर में बड़ी संख्या में किसान एक ट्रैक्टर में पराली भरकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और जबलपुर कलेक्टर से पूछा कि साहब ऐसी होती है पराली बताइए इसका क्या करें।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश में पराली जलने पर किसानों पर की जा रही कार्रवाई के विरोध में अब किसान एकजुट होते हुए नजर आ रहे हैं। बीते दिनों किसान संघ के द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन कर पराली जलाने का समर्थन किया गया था तो वहीं बुधवार को जबलपुर कलेक्टर ऑफिस मैं बैठक करने पहुंचे किसान अपने साथ ट्रैक्टर में भरकर पराली लेकर आए और परली के निपटारे को लेकर की जा रही कार्यवाही का विरोध जताया।

ट्रैक्टरों में पराली भरकर लाए किसानों ने किया विरोध

जबलपुर मे किसान ट्रैक्टरों में पराली भरकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने प्रशासन के द्वारा पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई किए जाने के आदेश के विरोध में प्रदर्शन किया। साथ ही उन्होंने बैतूल जिले में किसान के ऊपर पराली जलाने के मामले में प्रशासन के द्वारा  FIR दर्ज कराने का भी विरोध जताते हुए बताया कि प्रदेश में एक किसान पर एफआईआर दर्ज हो या सभी किसानों के ऊपर दर्ज हो। इस प्रकार के नियम बनने ही नहीं चाहिए और तत्काल ऐसे नियमों की को वापस भी लिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट हुआ था पराली जलाने वालों पर सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने सेटेलाइट की मदद से पराली जलाने वाले किसानों की पहचान करने और उनसे जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया है। इसके बाद सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना कर दिया है।

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जबलपुर कलेक्टर ने भी दिए थे कार्रवाई के आदेश

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने Stubble जलाने वालों के खिलाफ वायु (प्रदूषण तुम्हें जाने कहां है निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत दंडात्मक कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में अन्य जिले के कलेक्टरों के द्वारा भी परली के विरोध में आदेश जारी किए गए थे । भोपाल कलेक्टर के द्वारा पराली जलाने वाले किसानों पर 15 हज़ार रुपए जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया गया था । इन आदेशों पर किसानों में आक्रोश बढ़ और किसानों के द्वारा इस आदेश के विरोध में प्रदर्शन किया गया।

भारतीय किसान संघ भी किसानों के समर्थन में

भारतीय किसान संघ ने भी पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ प्रशासन के द्वारा बनाए गए नियमों का विरोध प्रदर्शन किया था। संघ के द्वारा किसानों का  समर्थन किया जाएगा ।साथ ही थर्मल पावर जैसे संयंत्रों से निकलने वाले धुएं से अधिक वायु प्रदूषण होता है उन्होंने प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराए जाने की बात कही।

कलेक्टर ने दिए पराली जलाने की समस्या से निदान के आश्वासन

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने किसान संगठनों और किसानों के साथ चर्चा की ओर इस दौरान उन्होंने पराली जलाने की समस्या के निदान के लिए किसानों को आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि नई तकनीक, मशीनों और बायो टेक्निक के जरिए परली और नरवाई जैसे कृषि अपशिष्टों को नष्ट करने की ट्रेनिंग ,फील्ड विजिट जैसे कार्यक्रमों के जरिए किसानों को जागरूक किया जाएगा। इसके साथ पराली का अन्य क्या उपयोग किया जा सकता है इसके विषय में भी जानकारी दी जाएगी। किसानों के द्वारा पराली जलाने से किसी अन्य किसान को कोई नुकसान नहीं होने पर ऐसे मामलों में जांच कर संभावित कार्यवाही की जाएगी। लेकिन किसानों को झूठे प्रकरणों में नहीं फसाया जाएगा।

आदर्श मॉडल ना आने तक अपने अपनाए तरीकों पर काम करेंगे किसान

अपने साथ Stubble लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे किसानों ने बताया कि वैज्ञानिकों के द्वारा stubble की समस्या से निदान के लिए एक आदर्श मॉडल बनाए जाने का आश्वासन दिया गया है। वह रिसर्च के लिए पराली लेकर आए हैं जिससे वैज्ञानिक इसमें रिसर्च कर इसे नष्ट करने का कोई आदर्श मॉडल बना सके और जब तक आदर्श मॉडल नहीं बनता है। तब तक किसान अपने द्वारा अपनाए गए तरीकों से जो वैज्ञानिकों के द्वारा बताए गए हैं उन्हीं के आधार पर काम करेगा। साथ ही FIR के संबंध में बताया कि ऐसे आदेश न निकाले जिससे किसानों के अंदर भय का माहौल बने और किसान खेती करना छोड़ दे। जिसका असर सीधा देश के आम नागरिकों पर पड़े।

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