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MP News: जबलपुर हाई कोर्ट ने पूर्व भाजयुमो उपाध्यक्ष लिविश पटेल को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा- अभियोक्त्री (पीड़िता) अपनी मर्जी से जबलपुर आई थी और वह बालिग है। उसके आरोपी के साथ उसके पुराने संबंध रहे हैं। इसी आधार पर न्यायालय ने गिरफ्तारी को अनुचित मानते हुए लिविश पटेल को जमानत दे दी है।
इंस्टाग्राम पर बातचीत, फिर जबलपुर में मुलाकात
लिविश पटेल की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि दोनों के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर बातचीत शुरू हुई था। युवती पूरी तरह बालिग है और कोई झूठा वादा नहीं किया गया था। 15 जनवरी 2025 को वह खुद अपनी मर्जी से पटेल से मिलने जबलपुर आई थी और दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे। वकील ने यह भी कहा कि युवती ने बाद में पैसों की मांग करते हुए ब्लैकमेलिंग की कोशिश की, जिसके सबूत भी केस डायरी में शामिल हैं।
पीड़िता पक्ष ने राजनीतिक प्रभाव और धमकाने की आशंका जताई
राज्य शासन और पीड़िता के वकील ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए इसे शादी के झूठे वादे की आड़ में किया गया बलात्कार बताया। उन्होंने तर्क दिया कि लविश पटेल एक राजनीतिक व्यक्ति हैं और उनकी पहुंच का दुरुपयोग कर पीड़िता और उसके परिवार को धमकाने की संभावना है। इसलिए जमानत याचिका निरस्त की जानी चाहिए।
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युवती की इच्छा को कोर्ट ने माना महत्वपूर्ण आधार
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद केस डायरी का अवलोकन किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इस स्तर पर आवेदक की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं है। कोर्ट ने विशेष रूप से यह माना कि पीड़िता ने स्वेच्छा से जबलपुर आकर मुलाकात की थी, FIR से भी यह सिद्ध हो रहा है कि पीड़िता बालिक है, उसके और आरोपी के बीच पहले से संबंध रहे है, जिससे यह मामला शादी का झांसा देकर बलात्कार की श्रेणी में प्रथम दृष्टया नहीं आता। सूत्रों के अनुसार लिविश पटेल के अधिवक्ता के द्वारा कोर्ट में एक व्हाट्सएप चैट प्रस्तुत की गई थी, जिसमें कथित पीड़िता ने अपना पहचान पत्र लिविश पटेल के व्हाट्सएप पर भेजा था, क्योंकि वह लोग एक होटल में रुके थे। यही चैट इस बात का मुख्य आधार बनी की युवती अपनी मर्जी से होटल गई थी।
50 हजार के निजी मुचलके पर मिली जमानत, शर्तों का पालन अनिवार्य
हाईकोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में लविश पटेल को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा किया जाए। साथ ही उन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482(2) के तहत सभी शर्तों का पालन करना होगा, जिसमें जांच में सहयोग और पीड़िता को किसी प्रकार का दबाव न डालना शामिल है।
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राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण मामला बना चर्चित
लविश पटेल की पहचान जबलपुर में भाजपा (BJP) के युवा चेहरे के रूप में रही है। वे भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं और लंबे समय से संगठन से जुड़े हैं। उन पर लगे आरोपों ने राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर चर्चा को जन्म दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद उन्हें अस्थायी राहत मिली है, लेकिन मामले की सुनवाई और जांच अभी जारी रहेगी।