/sootr/media/media_files/2025/05/21/sYGay5uHOgIns84RM7iA.jpg)
मध्य प्रदेश व्यापमं (MP Vyapam) पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा से जुड़े विवादित मामले में बड़ी न्यायिक राहत मिली है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने 2015 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और विशेष जांच दल (STF) द्वारा डॉ. अजय शंकर मेहता (Dr. Ajay Shankar Mehta) के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी (FIR) को पूरी तरह से रद्द कर दिया है। इस फैसले से डॉ. मेहता, जो अस्थि रोग विशेषज्ञ हैं, को न्यायिक हिरासत में बिताए गए करीब 70 दिनों के बाद बड़ी राहत मिली है।
क्या था मामला
2015 में व्यापमं पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों के तहत डॉ. अजय मेहता पर FIR दर्ज की गई थी। इस मामले में वे एकमात्र आपराधिक आरोपी माने जा रहे थे। लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता अजय गुप्ता (Senior Advocate Ajay Gupta) द्वारा अदालत में प्रस्तुत तर्कों और तथ्यों को मानते हुए, मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत (Chief Justice Suresh Kumar Kait) और जस्टिस विवेक जैन (Justice Vivek Jain) की डिवीजन बेंच ने FIR को निरस्त कर दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केवल दो अभ्यर्थियों के नाम डॉ. मेहता से जोड़े गए थे, और इस मामले में कोई भी आर्थिक लेनदेन, व्यक्तिगत लाभ या आपराधिक साजिश का प्रमाण नहीं मिला है। पुलिस और व्यापमं अधिकारियों के साथ डॉ. मेहता की फोन पर हुई बातचीत केवल मित्रवत संबंधों के दायरे में थी, जिसे साजिश का सबूत नहीं माना जा सकता।
खबर यह भी...NEET-UG 2025 रिजल्ट पर रोक, एमपी हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, NTA को दिए ये निर्देश
हाई कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें
FIR पूरी तरह रद्द — 2015 में दर्ज FIR को उच्च न्यायालय ने निरस्त किया।
कोई ठोस साक्ष्य नहीं — सीबीआई और एसटीएफ के आरोपों में कोई आर्थिक लाभ या साजिश का प्रमाण नहीं।
मित्रवत संबंधों को साजिश नहीं माना जाएगा — फोन पर बातचीत केवल मित्रता के दायरे में थी।
अन्य संदिग्धों पर भी आरोप निराधार — कई लोगों को आरोपी बनाया गया जिनके विरुद्ध ठोस साक्ष्य नहीं थे।
कोर्ट का स्पष्ट आदेश — आरोप मानने पर भी कोई दंडनीय अपराध सिद्ध नहीं होता।
व्यापमं भर्ती परीक्षा मामले में न्यायिक स्थिति
व्यापमं भर्ती परीक्षा विवाद मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जांचों में से एक रही है। कई अभियुक्तों पर भ्रष्टाचार और भर्ती घोटाले के आरोप लगे थे। लेकिन न्यायालय द्वारा साक्ष्यों के अभाव में कई मामलों में आरोप निरस्त किए गए हैं। डॉ. मेहता के मामले में यह फैसला इस बात का संकेत है कि जांच एजेंसियों द्वारा बिना पर्याप्त प्रमाण के कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
डॉ. अजय मेहता की न्यायिक हिरासत की जानकारी
विषय | विवरण |
---|---|
हिरासत की अवधि | लगभग 70 दिन |
आरोप | व्यापमं भर्ती परीक्षा में साजिश और भ्रष्टाचार |
कोर्ट का फैसला | FIR पूरी तरह निरस्त |
महत्वपूर्ण तर्क | कोई आर्थिक लाभ या आपराधिक साजिश नहीं |
thesootr links
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
एमपी व्यापमं घोटाला | मध्य प्रदेश हाई कोर्ट न्यूज | police constable recruitment | Madhya Pradesh High Court decision