न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांडः HC ने पुलिस को दिया रिपोर्ट सौंपने का आदेश, पंजीयन अधिकारी पर गिरेगी गाज

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में नियम विरुद्ध चल रहे अस्पतालों पर कार्रवाई करने के लिए सरकार से दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट पुलिस को जल्द सौंपी जाए।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नियम विरुद्ध चल रहे अस्पतालों पर नकेल कसते हुए, सरकार से ऐसे अस्पतालों के विरुद्ध की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही जबलपुर के अस्पताल में हुए भीषण आग हादसे की जांच रिपोर्ट पुलिस को सौंपने के भी आदेश दिए गए हैं जिसके बाद लापरवाही बरतने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर भी एफआईआर दर्ज होगी।

नियमों के उल्लंघन में अस्पतालों पर हाईकोर्ट का रुख

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में नियम विरुद्ध संचालित अस्पतालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। चीफ जस्टिस और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देशित किया कि जबलपुर सहित पूरे प्रदेश में बिना नियमों का पालन किए संचालित हो रहे अस्पतालों पर हुई कार्रवाई की अद्यतन रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर पेश की जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की लापरवाही या अस्पष्टता पाई जाती है, तो इस मामले में उच्च स्तरीय हस्तक्षेप किया जाएगा।

निजी अस्पताल अग्निकांड में हुई थीं 8 मौतें

यह मामला साल 2022 में दायर की गई लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान बड़ी संख्या में निजी अस्पतालों को बिना उचित निरीक्षण और नियमों के पालन के लाइसेंस जारी कर दिए गए। इस प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग ने नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सेफ्टी नियम, पार्किंग सुविधाओं और इमरजेंसी एग्जिट के नियमों की अनदेखी की, जिसके कारण मरीजों और उनके परिजनों की जान को खतरे में डाल दिया गया। 

विशेष रूप से, याचिका में कहा गया कि अस्पतालों को लाइसेंस जारी करने से पहले आवश्यक जांच और निरीक्षण नहीं किए गए, जिससे शहर में ऐसे कई अस्पताल खुल गए, जो बुनियादी सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते। कोर्ट ने पहले भी इस मामले में कई बार सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने के कारण अब स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

विभाग बोला- दो अस्पतालों का पंजीयन निरस्त

जैसा कि आपको द सूत्र ने अपनी पिछली खबर में बताया था कि जबलपुर CMHO ने 2 निजी अस्पतालों का पंजीयन निरस्त किया था, लेकिन भी वह इस कार्रवाई को अस्पतालों के निवेदन में की गई कार्रवाई बताते हुए नजर आए थे, आज हाइकोर्ट में स्वास्थ्य विभाग ने उन्हीं 2 कार्रवाई के सहारे अपने बचाव की कोशिश की। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में दस्तावेज पेश किए गए, जिसमें बताया गया कि नियम विरुद्ध अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई जारी है। 

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जवाब पर हाईकोर्ट ने जताया असंतोष

सरकार ने जानकारी दी कि कोठारी अस्पताल और एप्पल अस्पताल को नियमों के उल्लंघन के चलते बंद कर दिया गया है। इसके अलावा, कई अन्य अस्पतालों की जांच की जा रही है और उन पर भी जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, हाईकोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा और स्पष्ट रूप से निर्देश दिए कि सरकार को सिर्फ कुछ अस्पतालों की कार्रवाई की जानकारी देने के बजाय सभी नियम विरुद्ध अस्पतालों पर हुई कार्यवाही की संपूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल पंजीयन निरस्त करने से समस्या हल नहीं होगी, बल्कि उन अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए, जिन्होंने बिना उचित निरीक्षण के इन अस्पतालों को लाइसेंस दिए।

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अग्निकांड की जांच रिपोर्ट दबाने के आरोप

2022 में जबलपुर स्थित न्यू लाइफ मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड में 8 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में अस्पताल की कई गंभीर लापरवाही का खुलासा हुआ था। जांच में यह पाया गया था कि अस्पताल में आपातकालीन द्वार नहीं था, जिससे मरीज और स्टाफ आग लगने के बाद बाहर नहीं निकल सके। इसके अलावा, अस्पताल में फायर सेफ्टी सिस्टम भी काम नहीं कर रहा था, जिसके कारण आग तेजी से फैल गई और दमकल के पहुंचने से पहले ही बड़ा हादसा हो गया।

स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार भी थे हादसे के लिए जवाबदार

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि अस्पताल का पंजीयन जारी करने से पहले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने निरीक्षण किया था, लेकिन इसके बावजूद अस्पताल को लाइसेंस मिल गया। याचिकाकर्ता ने डॉ. एलएन पटेल और डॉ. निशेष चौधरी पर सीधा आरोप लगाया कि इन्होंने मौके का निरीक्षण करने के बाद भी अस्पताल की खामियों को नज़रअंदाज किया और उसे नियम विरुद्ध पंजीयन दिलाने में मदद की। 

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतने गंभीर मामले के बावजूद इन दोनों अधिकारियों को अभी तक पुलिस जांच में आरोपी नहीं बनाया गया। याचिकाकर्ता का कहना था कि अगर ये अधिकारी अस्पताल के निरीक्षण के दौरान सही रिपोर्ट देते, तो शायद न्यू लाइफ़ अस्पताल को लाइसेंस ही नहीं मिलता और यह हादसा टल सकता था।

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पुलिस को नहीं सौंपी गई जांच रिपोर्ट

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि राज्य शासन द्वारा न्यू लाइफ अग्निकांड की जांच के लिए संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी ने पूरे मामले की गहराई से जांच की और अपनी रिपोर्ट में अस्पताल को लाइसेंस देने वाले अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह रिपोर्ट अभी तक पुलिस को नहीं सौंपी गई। याचिकाकर्ता का आरोप था कि सरकार जानबूझकर इस रिपोर्ट को दबा रही है, ताकि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई न हो सके। अगर यह रिपोर्ट पुलिस के पास आ जाती, तो उन्हें इस मामले में शामिल स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों को आरोपी बनाना पड़ता।

अस्पताल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट तुरंत पुलिस को सौंपने आदेश

हाईकोर्ट ने इस मामले में गंभीर नाराजगी जताई और राज्य शासन को तत्काल प्रभाव से जांच रिपोर्ट पुलिस को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार इस आदेश का पालन नहीं करती है, तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस को अब सिर्फ अस्पताल संचालकों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी, जिन्होंने लापरवाही बरती और नियमों को ताक पर रखकर अस्पतालों को लाइसेंस दिए।

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क्या अब दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई?

हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या अब दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी? न्यू लाइफ अग्निकांड में जिन अधिकारियों की लापरवाही सामने आई थी, क्या वे अब जांच के दायरे में आएंगे? इस मामले पर जबलपुर और अन्य शहरों के नागरिकों की भी निगाहें टिकी हुई हैं। लोगों की मांग है कि न सिर्फ अस्पताल संचालकों बल्कि उन सरकारी अधिकारियों को भी सजा मिले, जिन्होंने भ्रष्टाचार और लापरवाही की वजह से निर्दोष लोगों की जान खतरे में डाली।र न्यूज | Jabalpur News | एमपी न्यूज | जबलपुर हाईकोर्ट | न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड | जबलपुर अस्पताल अग्निकांड | जबलपुर पुलिस

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