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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक भगवान दास सबनानी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह चुनाव याचिका कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा द्वारा दायर की गई थी। हाईकोर्ट की एकलपीठ, जिसमें जस्टिस विशाल धगत शामिल थे, कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए। अदालत ने स्पष्ट किया कि संदेह के आधार पर चुनावी प्रक्रिया को अवैध ठहराना संभव नहीं है और इस आधार पर याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया।
EVM में छेड़छाड़ के लगाए गए थे आरोप
कांग्रेस प्रत्याशी पीसी शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि निर्वाचन प्रक्रिया में EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की बैटरी में छेड़छाड़ कर चुनाव परिणाम को प्रभावित किया गया था। उन्होंने दावा किया कि मतगणना के दौरान अधिकांश ईवीएम की बैटरी का स्तर 99% चार्ज दिखा रहा था, जबकि कुछ मशीनों में बैटरी 80% से कम थी। उनकी दलील थी कि जिन ईवीएम मशीनों में बैटरी का स्तर 80% से कम था, उनमें उन्हें बीजेपी प्रत्याशी भगवान दास सबनानी की तुलना में अधिक वोट मिले थे, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि मतदान प्रक्रिया में किसी प्रकार की अनियमितता हुई होगी।
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प्रस्तुत नहीं किए प्रमाण या गवाह
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि मतगणना प्रक्रिया की सीसीटीवी फुटेज उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे यह साबित किया जा सके कि मतगणना निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए यह देखा कि याचिकाकर्ता ने अपने आरोपों के समर्थन में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण या गवाह प्रस्तुत नहीं किए, जिससे यह साबित हो सके कि ईवीएम की बैटरी से छेड़छाड़ कर चुनाव परिणाम को प्रभावित किया गया था।
बिना सबूतों के विधायक सबनानी पर लगे आरोप
विधायक भगवान दास सबनानी की ओर से अधिवक्ता ज्ञानेंद्र सिंह बघेल ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिका केवल संदेह और आरोपों के आधार पर दायर की गई है, जबकि भारतीय चुनाव प्रणाली में किसी भी प्रकार की अनियमितता का आरोप सिद्ध करने के लिए ठोस प्रमाणों की आवश्यकता होती है। उन्होंने तर्क दिया कि बिना किसी ठोस आधार के चुनाव परिणाम को चुनौती देना लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाने के समान है।
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अनुमान और संदेह पर आधारित हैं याचिका
अधिवक्ता ज्ञानेंद्र सिंह बघेल ने कोर्ट को यह भी अवगत कराया कि निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था और याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत की गई सभी आपत्तियां केवल अनुमानों और संदेह पर आधारित हैं, जिनका कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया कि इस याचिका को अस्वीकार कर दिया जाए क्योंकि इसमें प्रस्तुत किए गए तर्क पूर्ण रूप से तथ्यहीन हैं।
हाईकोर्ट का रद्द की चुनाव याचिका
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगत की एकलपीठ ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया कि याचिका में लगाए गए आरोपों का कोई कानूनी आधार नहीं है और इस प्रकार इसे सुनवाई योग्य नहीं माना जा सकता। अदालत ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि किसी भी चुनाव परिणाम को चुनौती देने के लिए पर्याप्त प्रमाणों की आवश्यकता होती है, केवल संदेह और अपुष्ट आरोपों के आधार पर चुनाव को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।
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ईवीएम छेड़छाड़ के आरोपों को हाईकोर्ट ने किया खारिज
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ईवीएम की बैटरी चार्जिंग स्तर में अंतर कोई ऐसा निर्णायक सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि मशीनों से छेड़छाड़ की गई थी। इसके अलावा, मतगणना प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हुई थी, और याचिकाकर्ता को कोई ऐसा प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सके जिससे यह साबित हो कि मतगणना में किसी भी प्रकार की धांधली की गई थी। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने कांग्रेस प्रत्याशी पीसी शर्मा द्वारा दायर चुनाव याचिका को खारिज कर दिया।
बिना सबूत EVM पर उठे सवालों पर हाइकोर्ट का अहम आदेश
हाईकोर्ट के इस फैसले से बीजेपी विधायक भगवान दास सबनानी को बड़ी राहत मिली है, जबकि कांग्रेस पार्टी के पीसी शर्मा के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पीसी शर्मा, जो इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे, 15,833 वोटों के अंतर से पराजित हुए थे और उन्होंने चुनाव परिणाम को चुनौती दी थी। इस निर्णय के बाद राजनीतिक हलकों में एक बार फिर ईवीएम की विश्वसनीयता और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर बहस शुरू हो सकती है। विपक्षी दलों द्वारा समय-समय पर ईवीएम की सुरक्षा और निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन अदालत का यह फैसला स्पष्ट करता है कि बिना ठोस सबूतों के ऐसे आरोपों को कानूनी आधार नहीं दिया जा सकता। यह मामला न केवल मध्य प्रदेश की राजनीति में बल्कि पूरे देश में चुनावी प्रक्रिया और न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता को लेकर एक महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पीसी शर्मा की चुनावी याचिका को खारिज कर दिया।
✅ पीसी शर्मा ने आरोप लगाया था कि ईवीएम की बैटरियों में छेड़छाड़ की गई थी।
✅ अदालत ने आरोपों को बिना साक्ष्य के बताया और इन्हें खारिज कर दिया।
✅ बीजेपी विधायक भगवान दास सबनानी को इस फैसले से बड़ी राहत मिली।
✅ यह निर्णय भारतीय चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता का उदाहरण साबित हुआ।
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