गुना CMHO की लापरवाही पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- पद पर रहने लायक नहीं ये अधिकारी, जानें मामला

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुना सीएमएचओ को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह इस पद पर बने रहने लायक नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने विभागीय रिकॉर्ड की बजाय कोर्ट केस की फाइल पेश की। इस मामले की जांच के लिए मुख्य सचिव को आदेश दिए गए हैं।

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Vikram Jain
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Gwalior High Court reprimanded Guna CMHO
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गुना जिले के स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने सीएमएचओ की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इस पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं। दरअसल, सीएमएचओ डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर ने एक रिटायर कर्मचारी की पदोन्नति संबंधित रिकॉर्ड की बजाय कोर्ट केस की फाइल भेज दी, जिस पर कोर्ट ने अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई और मुख्य सचिव को गुना सीएमएचओ की विभागीय जांच करने के निर्देश दिए हैं।

जानें पूरा मामला

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुना के सीएमएचओ डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है। यह मामला एक रिटायर कर्मचारी की पदोन्नति से जुड़ा हुआ है। जब स्वास्थ्य विभाग से रिटायर कर्मचारी बीपी शर्मा ने 2009 में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके जूनियर वीएन शर्मा को प्रमोशन दिया गया, जबकि वह सीनियर थे और उन्हें नजरअंदाज किया गया था। बीपी शर्मा ने कोर्ट से अपने प्रमोशन सहित अन्य लाभ की मांग की थी।

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सीएमएचओ को पद पर रहने का अधिकार नहीं

इस मामले में सीएमएचओ डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर को कोर्ट में दस्तावेज पेश करने थे, लेकिन उन्होंने पदोन्नति से संबंधित रिकॉर्ड की बजाय कोर्ट केस की फाइल पेश कर दी। इस पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाया और कहा कि सीएमएचओ को इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनकी कार्यशैली बेहद लापरवाह और नेताओं की चाटुकारिता से प्रेरित प्रतीत होती है।

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अदालत ने लगाई कड़ी फटकार

अदालत ने कहा कि सीएमएचओ द्वारा प्रमोशन से जुड़ा रिकॉर्ड भेजने की जगह कोर्ट केस की फाइल भेजने से ऐसा लगता है सीएमएचओ नेताओं की चाटुकारिता में लगे रहते हैं। अधिकारी का जवाब पढ़ने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि तबीयत ठीक नहीं होने के कारण सीएमएचओ कुछ दिन छुट्टी पर थे। जैसे ही डिप्टी सीएम का दौरा हुआ तो वे काम पर लौट आए। उनके पैर की चोट ठीक हो गई और वे नेताजी के आगे-पीछे भी घूमने लगे। ऐसा लगता है जैसे सीएमएचओ नेताओं की चाटुकारिता में लगे रहते हैं।

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मामले में विभागीय जांच के निर्देश

कोर्ट ने इस मामले में विभागीय जांच का निर्देश देते हुए मुख्य सचिव को सीएमएचओ के खिलाफ जांच करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का यह फैसला सीएमएचओ के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि यह मामला केवल उनके कार्यक्षेत्र के प्रदर्शन पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र पर भी सवाल उठा रहा है।

5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅ हाईकोर्ट ने गुना के सीएमएचओ पर नाराजगी जताई, उन्हें इस पद पर बने रहने के लायक नहीं समझा।

✅ सीएमएचओ ने पदोन्नति के दस्तावेज की जगह कोर्ट केस की फाइल पेश की, जिससे कोर्ट को नाराजगी हुई।

✅ मामला रिटायर कर्मचारी की पदोन्नति से जुड़ा हुआ है। जिसमें जूनियर को प्रमोशन दे दिया गया।

✅ कोर्ट ने विभागीय जांच के आदेश दिए और मुख्यसचिव को जांच करने की जिम्मेदारी दी।

✅ सीएमएचओ डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर पर कार्यशैली और चाटुकारिता के आरोप लगे, जिससे उनका पद खतरे में है।

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