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JABALPUR. मध्यप्रदेश में जबलपुर के प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (IIITDM) के हॉस्टल से बीटेक छात्र की चौथी मंजिल से गिरकर मौत हो गई। इस हादसे के बाद जहां कॉलेज प्रशासन इसे आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश कर रहा है, वहीं मृतक छात्र के परिजन इस घटना को हत्या करार दे रहे हैं। मामले के सामने आते ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन घटनाक्रम में सामने आ रहे आरोपों ने न केवल कॉलेज की कार्यप्रणाली बल्कि छात्रों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कॉलेज प्रशासन का दावा: लोन के दबाव में आत्महत्या
घटना के तुरंत बाद कॉलेज प्रशासन ने अपनी तरफ से सफाई दी। उनके अनुसार छात्र मानसिक दबाव में था और उसने शिक्षा ऋण (एजुकेशन लोन) के कारण यह कदम उठाया। प्रशासन का मानना है कि आर्थिक परेशानी और पढ़ाई का बोझ मिलकर छात्र पर गहरा असर डाल रहे थे। यह बयान सुनकर ऐसा प्रतीत हुआ मानो पूरा मामला आत्महत्या की तरफ मोड़ दिया जा रहा हो। लेकिन सवाल यह है कि अगर छात्र मानसिक दबाव में था, तो क्या कॉलेज प्रबंधन को इसकी जानकारी नहीं थी? और यदि थी, तो छात्र को समय रहते मदद क्यों नहीं दी गई? यही वजह है कि कॉलेज प्रशासन के इस दावे पर अब कई तरह की शंकाएं उठ रही हैं।
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हत्या कर फेंका गया - परिवार का आरोप
मृतक छात्र के परिजन उत्तर प्रदेश से जबलपुर पहुंचे और बेटे की मौत के हालात देखकर स्तब्ध रह गए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या है। परिजनों ने आरोप लगाया कि जिस तरह से छात्र की पीठ और जबड़े पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए हैं, उससे यह साफ समझा जा सकता है कि पहले उसके साथ मारपीट की गई और फिर उसे चौथी मंजिल से जबरन नीचे धक्का दिया गया। छात्र के पिता ने यह भी स्पष्ट किया कि परिवार पूरी तरह संपन्न है और बेटे को कभी किसी चीज की कमी नहीं हुई। उनका कहना था कि कॉलेज प्रशासन लोन की बात कहकर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है। हकीकत यह है कि छात्र का एजुकेशन लोन स्वीकृत हो चुका था और दीपावली की छुट्टियों में घर आकर उसे केवल कागजों पर हस्ताक्षर करना था। ऐसे में आर्थिक दबाव का दावा पूरी तरह निराधार है।
रैगिंग और मानसिक दबाव के आरोप
घटना के बाद आईआईआईटीडीएम कॉलेज के अन्य छात्रों के बीच भी चर्चा का माहौल है। कई छात्रों ने यह संकेत दिए हैं कि मृतक छात्र लंबे समय से रैगिंग और मानसिक दबाव का शिकार था। हालांकि अब तक कोई भी छात्र खुलकर सामने नहीं आया है, लेकिन यह चर्चा तेज हो रही है कि संस्थान के भीतर रैगिंग जैसी गतिविधियां अभी भी मौजूद हैं, जिनका शिकार यह छात्र बना हो सकता है। अगर इन आरोपों में सच्चाई है, तो यह केवल एक छात्र की मौत का मामला नहीं रह जाएगा, बल्कि यह पूरे संस्थान की छवि पर धब्बा साबित होगा।
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परिजनों ने की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग
छात्र के परिजन अब मामले की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कॉलेज प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है और घटना को आत्महत्या बताकर जल्दी से जल्दी फाइल बंद करना चाहता है। लेकिन बेटे की मौत के हालात और शरीर पर मौजूद चोटों को देखते हुए यह बात बिल्कुल स्वीकार करने लायक नहीं है।
पुलिस जांच के बाद सच सामने आने की उम्मीद
फिलहाल पुलिस ने मामले को दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में आत्महत्या और हत्या दोनों ही पहलुओं को ध्यान में रखकर सबूत जुटाए जा रहे हैं। लेकिन परिजनों और कॉलेज प्रशासन के विरोधाभासी बयानों ने इस घटना को और भी रहस्यमयी बना दिया है। अब जांच के बाद ही यह सामने आ सकेगा कि यह वास्तव में मानसिक दबाव से उठाया गया आत्मघाती कदम था, या फिर किसी रैगिंग और विवाद का परिणामस्वरूप हुई सुनियोजित हत्या।