जबलपुर निगम अतिक्रमण विभाग की अंदरूनी कलह ने खोली पोल, रिश्वतखोरी के सबूत आए सामने

जबलपुर नगर निगम के अतिक्रमण विभाग में भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का एक मामला सामने आया है, जिसमें विभागीय दबाव के कारण प्रभारी टी. रामाराव ने फिनायल पी लिया। हालांकि उनकी हालत स्थिर है, इस घटना ने निगम के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

author-image
Neel Tiwari
New Update
jabalpur-corporation-encroachment
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

JABALPUR. नगर निगम जबलपुर के अतिक्रमण विभाग में भ्रष्टाचार और अवैध वसूली  की पोल खोलता हुआ एक मामला सामने आया है। दरअसल जबलपुर नगर निगम के अतिक्रमण दल प्रभारी टी. रामाराव ने विभागीय प्रताड़ना और दबाव के आरोप लगाते हुए तंग आकर फिनायल पी लिया। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि कर्मचारी की हालत स्थिर है। इस घटना में सामने लेनदेन ने इसे पूरे शहर में चर्चा का विषय बना दिया है और निगम के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पत्नी ने लगाए उत्पीड़न के गंभीर आरोप

रामाराव की पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति को अतिक्रमण प्रभारी मनीष तड़से, दल प्रभारी जय प्रवीण और ठेकेदार सौरभ मिलकर लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिना विभागीय जांच और किसी लिखित आदेश के, केवल मौखिक आधार पर उनके पति को दल प्रभारी पद से हटा दिया गया और फिर पद पर वापस लेने के लिए उनसे 1 लाख रुपए की रिश्वत भी ली गई। 

उनका कहना है कि यह सब जानबूझकर किया गया ताकि उन्हें मानसिक रूप से तोड़ा जा सके। आप है कि अतिक्रमण विभाग के अधिकारियों की इस प्रताड़ना से तंग आकर आखिरकार उनके पति ने आत्महत्या की कोशिश की।

ये भी पढ़ें...जबलपुर नगर निगम: वायु गुणवत्ता प्रोजेक्ट में करोड़ों के घोटाले का आरोप, EOW पहुंची शिकायत

वायरल ऑडियो और पैसों का खेल

घटना के बाद एक ऑडियो क्लिप सामने आई, जिसने मामले को और पेचीदा बना दिया। इस ऑडियो में मनीष तड़से, रामाराव से एक लाख रुपए विकास नामक व्यक्ति के खाते में जमा करने को कहते सुनाई देते हैं। 

दूसरी रिकॉर्डिंग में वह यह भी पूछते हैं कि रकम ट्रांसफर हुई या नहीं। वहीं पेमेंट के स्क्रीनशॉट से भी यह सामने आया है कि कुल 1 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए। सवाल यह उठ रहा है कि अतिक्रमण प्रभारी ने यह रकम अपने ही ऑफिस के कर्मचारी विकास कुशवाहा के अकाउंट में क्यों डलवाई।

ये भी पढ़ें...जबलपुर नगर निगम का दोहरा रवैया, वैध व्यापारी भर रहे हैं टैक्स और अवैध व्यापारियों की बल्ले-बल्ले

जवाब में खुद ही उलझे अतिक्रमण प्रभारी

इस मामले में जब हमने अतिक्रमण प्रभारी मनीष तड़से से बात की तो उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारी रामाराव ने अतिक्रमण कार्यवाही रुकवाने के एवज में किसी व्यक्ति से 1 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। उनकी मानें तो जैसे ही यह शिकायत उनके पास पहुंची, उन्होंने रामाराव को दल प्रभारी पद से अलग कर दिया। 

जब उनसे यह पूछा गया कि शिकायतकर्ता को पैसा लौटाने के लिए रकम किसी अन्य के खाते में क्यों भेजी गई, तो उन्होंने कहा कि वह खाता उनके ही विभाग में काम करने वाले विकास कुशवाहा का है, जो शिकायतकर्ता गुप्ता का मित्र है। 

जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि कर्मचारी पर रिश्वत लेने की शिकायत मिलने के बाद क्या कोई विभागीय कार्रवाई, नोटिस या कारण बताओ पत्र जारी किया गया, तो तड़से इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने केवल इतना कहा कि इस मामले की जानकारी महापौर और निगम आयुक्त को दी गई है। 

अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि कर्मचारी रामा राव कोई ठेका कर्मचारी नहीं है बल्कि उसे या नौकरी अपने पिता की अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर मिली है और एक शासकीय कर्मचारी के विरुद्ध उसके अधिकारी की गुपचुप कार्यवाही और रकम का इस तरह का लेनदेन खुद इस मामले को संदिग्ध बना रहा है।

ये भी पढ़ें...जबलपुर नगर निगम सदन में उठा फ्लाईओवर का मुद्दा, महापौर को याद आए कांग्रेस के दिन

निगम प्रशासन की चुप्पी और उठते सवाल

मामले की गंभीरता के बावजूद नगर निगम प्रशासन अब तक खामोश है। न तो किसी स्तर पर जांच बैठाई गई और न ही अतिक्रमण विभाग के अधिकारी या ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई हुई। 

यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। यदि वास्तव में कर्मचारी ने रिश्वत ली थी तो उसके खिलाफ आधिकारिक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? और यदि रकम लौटाई जा रही थी तो यह सीधे शिकायतकर्ता को देने के बजाय किसी तीसरे व्यक्ति के खाते में क्यों ट्रांसफर करवाई गई?

ये भी पढ़ें...हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : मध्यप्रदेश में होमगार्ड्स का कॉल ऑफ खत्म, अब पूरे 12 माह ड्यूटी और सभी लाभ मिलेंगे

अतिक्रमण विभाग में भ्रष्टाचार हो रहा उजागर

यह पूरा मामला इस बात का संकेत है कि अतिक्रमण विभाग में केवल अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई ही नहीं होती, बल्कि हर कदम पर पैसों का खेल चलता है। चाहे कर्मचारी हो या अधिकारी-दोनों स्तर पर अवैध वसूली का जाल फैला हुआ है। 

अतिक्रमण प्रभारी की बातों और वायरल ऑडियो ने यह साफ कर दिया है कि यहां कार्रवाई करने या रोकने के लिए रकम तय होती है। अब देखना यह होगा कि निगम प्रशासन इस पूरे मामले पर कार्रवाई करता है या इसे भी पुराने विवादों की तरह दबा दिया जाएगा।

अतिक्रमण विभाग Jabalpur निगम प्रशासन मध्यप्रदेश जबलपुर नगर निगम
Advertisment