नगर निगम जबलपुर एक बार फिर विवादों में है। इस बार आरोप 'साफ हवा' बेचने का है। वायु गुणवत्ता सुधारने के नाम पर करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप है। जबलपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा ने इसे "भ्रष्टाचार का मॉडल" बताया। उन्होंने आज आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के जबलपुर कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई। मिश्रा के अनुसार, परियोजना का उद्देश्य जनता की सेहत नहीं, अधिकारियों की जेबें भरना है।
पूरे प्रोजेक्ट का 60% दे दिया कंसल्टेंसी को
नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा ने दावा किया कि नगर निगम 2.88 करोड़ रुपए की लागत से एयर क्वालिटी इक्विपमेंट लगाएगा। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 1.75 करोड़ रुपए पहले ही एजेंसियों और कंसल्टेंट्स को दे दिए गए हैं। यह भी तब, जब इनका काम शुरू नहीं हुआ। मिश्रा ने इन एजेंसियों की काबिलियत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "जिन्हें हवा की ABC भी नहीं आती, उन्हें शहर की हवा सुधारने की जिम्मेदारी दी गई है।" मिश्रा ने इसे 'प्लान्ड भ्रष्टाचार' बताया।
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जबलपुर में 'स्वस्थ हवा' फिर भी करोड़ों का खर्च
अमरीश मिश्रा ने आगे बताया कि जबलपुर एक ऐसा शहर है जो प्राकृतिक रूप से स्वच्छ वातावरण के लिए जाना जाता है। "यहां मां नर्मदा की शुद्ध बयार बहती है, चारों ओर हरियाली है, पहाड़ और घाटियां हैं। यहां वायु गुणवत्ता पहले से ही उत्तम श्रेणी की है।" उन्होंने पूछा कि जब हवा पहले ही इतनी अच्छी है, तो करोड़ों खर्च कर हवा सुधारने की 'एक्सरसाइज' क्यों की जा रही है। उनका आरोप है कि यह सबकुछ केवल सरकारी धन को ठिकाने लगाने और चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
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EOW को सौंपी गई शिकायत
जबलपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा और उनके पार्षदों का दल EOW कार्यालय पहुंचे। उन्होंने योजना से जुड़े दस्तावेज अधिकारियों को सौंपे। मिश्रा ने अनुरोध किया कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए। उन्होंने कहा, "यदि संभव हो, तो EOW मुख्यालय भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी भेजे जाएं, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।" मिश्रा ने कहा, "हम चाहते हैं कि इस घोटाले में शामिल नगर निगम अधिकारियों और अन्य लोगों की जांच हो और दोषियों के नाम उजागर किए जाएं।"
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EOW जांचेगी आरोपों की सच्चाई
इस शिकायत के जवाब में ईओडब्लू जबलपुर के एसपी ने मीडिया को बताया कि मामले को संज्ञान में लिया गया है। उन्होंने कहा, "हम यह देखेंगे कि मामला हमारे अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं और क्या इसमें जांच के लायक तथ्य हैं। अगर आधार मिलेगा, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
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