एमपी के शिक्षा विभाग में अटैचमेंट का खेल, बिना पद शिक्षकों की नियुक्ति पर अब उठे सवाल

एमपी सरकार ने शिक्षकों को केवल शैक्षणिक कार्यों तक सीमित रखने का निर्देश दिया है। मंत्रालय और लोक शिक्षण संचालनालय से इस संबंध में कई आदेश जारी हो चुके हैं। इसके बावजूद शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। 

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Sandeep Kumar
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MP News: मध्य प्रदेश में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाने पर रोक है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग में अटैचमेंट का खेल जारी है। ताजा मामला भोपाल का है, जहां शिक्षकों को डीईओ कार्यालय में बाबूगिरी के पदों पर तैनात किया जा रहा है। मीना नागले को सहायक लेखा अधिकारी के पद पर तैनात किया गया।

डीईओ कार्यालय में ऐसा कोई पद स्वीकृत नहीं है। डीईओ ने इस पर आपत्ति जताई और लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखा। ठीक ऐसे ही विकास मिश्रा को सांख्यिकी अधिकारी के पद पर अटैच किया गया। यह पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है।

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डीईओ कार्यालय में बिना पद किया अटैचमेंट

भोपाल के डीईओ कार्यालय में एक मामला सामने आया है। मीना नागले नामक शिक्षिका को सहायक लेखा अधिकारी के रूप में अटैच किया गया। डीईओ एनके अहिरवार ने स्पष्ट किया कि कार्यालय में ऐसा कोई स्वीकृत पद नहीं है। उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखा। उन्होंने बताया कि कार्यभार ग्रहण कराना संभव नहीं है।

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शिक्षक बना सांख्यिकी अधिकारी

एक और मामला विकास मिश्रा का है, जो उच्च माध्यमिक शिक्षक हैं। उन्हें डीईओ कार्यालय में सांख्यिकी अधिकारी जैसे गैर शैक्षणिक पद पर अटैच किया गया है। यह नियुक्ति नियमों के खिलाफ है क्योंकि सांख्यिकी अधिकारी का पद शिक्षकों के लिए आरक्षित नहीं होता। इसके अलावा, इस पद की जिम्मेदारियां शैक्षणिक नहीं होतीं।

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जुगाड़ आधारित स्थानांतरण 

शिक्षकों के इस तरह के स्थानांतरण नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। इससे स्कूलों में शिक्षकों की कमी पैदा होती है। अटैचमेंट के कारण कक्षा में पढ़ाई प्रभावित होती है और छात्रों को नुकसान होता है। यह सिस्टम जुगाड़ आधारित बन गया है, जहां पद नहीं होने के बावजूद राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव में नियुक्तियां की जा रही हैं।

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डीईओ ने लोक शिक्षण से मांगा मार्गदर्शन

डीईओ एनके अहिरवार ने लोक शिक्षण संचालनालय ( DPI ) को पत्र लिखा है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि जब पद स्वीकृत नहीं है, तो कार्यभार कैसे ग्रहण कराया जा सकता है। अब देखना होगा कि संचालनालय इस पर क्या निर्णय लेता है। यह भी देखना होगा कि शिक्षा विभाग इन अनियमितताओं पर ठोस कदम उठाएगा या अटैचमेंट की यह परंपरा जारी रहेगी।

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