पैदा हुआ लड़का और थमा दी लड़की, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल हॉस्पिटल में मचा हंगामा

जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाएं किसी से छुपी हुई नहीं है। अब इस अस्पताल से ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक महिला को लड़का पैदा होने के बाद डिस्चार्ज के समय लड़की थमा दी गई, इसके बाद अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ।

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Neel Tiwari
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Jabalpur Netaji Subhash Chandra Bose Medical College

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जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल हॉस्पिटल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें दो नवजात बच्चों के बीच एक्सचेंज हो गया। यह घटना उस समय घटी जब अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही से दो बच्चों को उनके असली परिवारों से बदल दिया गया। जैसे ही परिजनों को इस गलती का अहसास हुआ, उन्होंने अस्पताल प्रशासन से तीखे सवाल किए और मौके पर भारी हंगामा मच गया। इस मामले ने न केवल अस्पताल प्रशासन को परेशानी में डाला बल्कि स्थानीय पुलिस को भी सक्रिय कर दिया, जो तुरंत घटनास्थल पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की।

पैदा हुआ बेटा और थमा दी बेटी

यह घटना बरगी निवासी रेणुका नामक एक महिला के साथ घटी, जिसे प्रसव पीड़ा होने पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल हॉस्पिटल के गायनिक वार्ड में भर्ती कराया गया था। 18 जनवरी को रेणुका ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के बाद महिला और नवजात को दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रखा गया। इस दौरान, अस्पताल प्रशासन ने महिला और उसके परिजनों को सूचित किया कि उनके यहां लड़का हुआ है। महिला के हाथ में लड़के का टैग भी लगा दिया गया। लेकिन, जब उन्हें डिस्चार्ज किया गया और बच्चा सौंपा गया, तो परिजनों को यह अहसास हुआ कि जो बच्चा उन्हें दिया गया, वह लड़की थी।

परिजनों ने तुरंत अस्पताल प्रशासन से यह जानकारी मांगी और बेटे के बदले बेटी देने के मामले में हंगामा शुरू कर दिया। इस घटना के बाद पूरे अस्पताल परिसर में अफरातफरी मच गई। परिजनों का आरोप था कि अस्पताल ने गंभीर लापरवाही दिखाई और बिना पुष्टि के बच्चों को उनके असली परिवारों से बदल दिया।

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अस्पताल ने दी पुलिस को सूचना

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों परिवारों से पूछताछ की। मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी। अस्पताल के कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई, साथ ही पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि दोनों बच्चों को उनके सही परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया जाए। पुलिस का कहना है कि यह मामला एक बड़ी गलती है, जिस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल द्वारा पुलिस को सूचना देने के बाद अब यह उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ पूरी जांच की जाएगी और इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।

अस्पताल प्रशासन ने जताया खेद

घटना के बाद, अस्पताल प्रशासन ने एक बयान जारी कर बताया कि यह घटना मानवीय त्रुटि का परिणाम थी और इसके लिए वे खेद प्रकट करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना की पूरी जांच की जा रही है और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल प्रशासन ने यह आश्वासन भी दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपायों और प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा। इसके अलावा, अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि इस प्रकार की गलतियों से बचने के लिए कर्मचारियों को और भी प्रशिक्षित किया जाएगा और बाकी व्यवस्थाओं में भी सुधार किए जाएंगे।

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नर्स और वार्ड बॉय हुए सस्पेंड

इस मामले के उजागर होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने जांच के दौरान संलिप्त पाए गए एक नर्स और एक वार्ड बॉय को सस्पेंड कर दिया है। यह कदम अस्पताल प्रशासन की ओर से यह संदेश देने के लिए उठाया गया है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा, मामले की गहन जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी भी गठित की गई है, जो इस घटनाक्रम की पूरी पड़ताल करेगी। अस्पताल प्रशासन ने यह भी बताया कि दोषी पाए जाने पर और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

परिजनों का फूटा गुस्सा

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि उनके बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया। एक परिवार ने कहा कि जब उन्हें यह पता चला कि उनका बच्चा किसी और के पास है, तो उनका मन टूट गया और उनकी चिंता की कोई सीमा नहीं रही। वे इस घटना को लेकर बहुत गुस्से में थे और उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पूरी घटना की जांच और जवाबदेही की मांग की। साथ ही, परिजनों ने अस्पताल से मुआवजा भी मांगा और यह भी कहा कि अगर उनकी शिकायतों का समाधान नहीं होता, तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। इस पूरे घटनाक्रम से दोनों परिवारों के बीच गहरी चिंता और तनाव का माहौल बना रहा।

अस्पताल प्रबंधन में मानी गलती

इस घटना के बाद, अस्पताल प्रशासन ने भविष्य में इस प्रकार की गलतियों को रोकने के लिए कई नई प्रक्रियाओं की योजना बनाई है। अस्पताल के उच्च अधिकारियों ने कहा कि वे बच्चों के एक्सचेंज जैसी घटनाओं से बचने के लिए डॉक्यूमेंटेशन और सुरक्षा को मजबूत करेंगे। अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की पहचान और उनके परिवारों से संबंधित सभी विवरणों को और अधिक कड़े तरीके से जांचा जाएगा ताकि इस प्रकार की स्थिति दोबारा पैदा न हो। इसके अलावा, कर्मचारियों को इस प्रकार के मामलों में और अधिक सतर्क रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। यह भी कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती बच्चों के लिए नई प्रक्रिया लागू की जाएगी, जिसमें परिवारों को अपनी पहचान की पुष्टि करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज़ और प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे।

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