जबलपुर जिले की मझौली तहसील के ग्राम डूडी की निवासी धनिया बाई पटेल के जीवन में पहले ही विपत्ति कम न थी। दो वर्ष पूर्व पति के असमय निधन के बाद वे पूरी तरह असहाय हो चुकी थीं। एक वृद्धा, जो अपने जीवन की संध्या वेला में सरकार की संबल योजना की ओर उम्मीद से देख रही थी, ताकि दो लाख रुपये की सहायता राशि से अपने जीवन का कुछ सहारा जुटा सके।
लेकिन उसकी उम्मीदें तब चकनाचूर हो गईं जब गांव का सरपंच ही उसके रास्ते की दीवार बन गया। संबल योजना में सहायता राशि प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों जैसे विधवा पेंशन प्रमाणपत्र और राशन पात्रता पर्ची के लिए उसे बार-बार सरपंच गोपीचंद कोल के पास जाना पड़ा, लेकिन हर बार उसे टालने और बहाने बनाने की रणनीति अपनाई जाती रही।
सरपंच ने मांगी थी रिश्वत, महिला ने दिखाई हिम्मत
5 मई 2025 को जब धनिया बाई एक बार फिर अंतिम उम्मीद लेकर सरपंच के दरवाज़े पहुँचीं, तो गोपीचंद कोल ने खुले शब्दों में कहा कि काम करवाना है तो 35 हजार देना होगा। इस साफ शब्दों में रखी गई रिश्वत की मांग ने महिला को झकझोर दिया। लेकिन इस बार उसने चुप रहने की बजाय कदम उठाने का निर्णय लिया। अगले ही दिन वे जबलपुर लोकायुक्त कार्यालय पहुंचीं और पूरी बात अधिकारियों को बताई। महिला की सच्चाई और हिम्मत ने लोकायुक्त को तत्पर कर दिया। प्राथमिक जांच में शिकायत को गंभीर और सत्य पाया गया, जिसके बाद जाल बिछाया गया।
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केनरा बैंक के पास हुआ ट्रैप, रिश्वत लेते रंगेहाथों दबोचा
9 मई 2025 को तय योजना के तहत धनिया बाई ने सरपंच को रिश्वत की पहली किश्त के रूप में 10 हजार रुपए देने का नाटक किया। यह राशि केनरा बैंक की धनगंवा शाखा के पास दी गई, जहां पहले से लोकायुक्त की टीम सादे कपड़ों में तैनात थी। जैसे ही सरपंच ने नोट हाथ में लिए, टीम ने उसे रंगेहाथों धर दबोचा। नोटों को पहले से रासायनिक पाउडर द्वारा चिन्हित किया गया था, जिससे प्रमाणित हो गया कि रुपए सरपंच के हाथ में थे। मौके पर पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों की भीड़ भी जमा हो गई।
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भ्रष्टाचार अधिनियम में की कार्रवाई, जांच जारी
सरपंच गोपीचंद कोल के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) की धारा 7, 13(1)(B), और 13(2) के तहत केस दर्ज किया गया है। प्रारंभिक पूछताछ के बाद उसे थाने ले जाया गया और आगे की जांच की जा रही है कि क्या पंचायत स्तर पर और भी लाभार्थियों से इस प्रकार की रिश्वत मांगी गई है। लोकायुक्त अधिकारियों का कहना है कि वे इस पूरे प्रकरण की गहराई से पड़ताल करेंगे ताकि कोई निर्दोष न फंसे और कोई दोषी न बचे।
इधर... संकुल प्राचार्य चढ़ा लोकायुक्त के हत्थे
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मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में शिक्षा विभाग की गरिमा को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक संकुल प्राचार्य को लोकायुक्त टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। आरोपी प्राचार्य जिनेश कुमार जैन, शासकीय हाई स्कूल मोहास, बरगी में पदस्थ हैं। यह कार्रवाई तब हुई जब उन्होंने एक शिक्षक से क्रमोन्नति की फाइल आगे बढ़ाने के एवज में रिश्वत की मांग की थी। शिक्षक की सतर्कता और लोकायुक्त की रणनीतिक कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के इस प्रकरण को उजागर कर दिया।
8 मई को जब आरोपी जिनेश जैन शिक्षक से 4 हजार रिश्वत लेने के लिए सगड़ा चौराहा, शास्त्री नगर पहुँचे, तो लोकायुक्त की टीम पहले से ही पूरी तैयारी के साथ वहाँ तैनात थी। जैसे ही पैसे का आदान-प्रदान हुआ, टीम ने बिना कोई देरी किए आरोपी को रंगेहाथों पकड़ लिया। आरोपी के पास से रिश्वत की राशि भी बरामद कर ली गई।