निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आक्रोश, अब आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ने सड़कों पर उतरेंगे अभिभावक और छात्र

जबलपुर हाई कोर्ट से मुंह की खाने के बाद निजी स्कूल अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। हालांकि, अभी इन्हें कोई खास राहत नहीं मिली है, मामले में कार्यवाही थमी हुई है। अब ऐसे में इंसाफ के इंतजार में बैठे अभिभावकों के सब्र का बांध टूटता हुआ दिखाई दे रहा है।

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Neel Tiwari
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वर्षों तक वन में घूम-घूम,

बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,

सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,

पांडव आये कुछ और निखर।

सौभाग्य न सब दिन सोता है,

देखें, आगे क्या होता है।

रामधारी सिंह 'दिनकर' की इस कविता की तरह ही शिक्षा माफिया के विरुद्ध कार्रवाई करने के बाद जबलपुर के जिला कलेक्टर सहित प्रशासन उभर कर आया है। जहां एक और जिन स्कूलों पर कार्रवाई की गई थी वह एक के बाद एक अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं। तो वहीं जबलपुर जिला प्रशासन को भी अपनी नियम अनुसार की गई सटीक कार्रवाई पर अब शीर्ष अदालत के फैसले के इंतजार में है। इन सभी कानूनी दांव पेंच के बीच निजी स्कूलों के द्वारा अब तक प्रशासन के जारी आदेशों को लागू न किए जाने से अभिभावक भी इंसाफ की आस में अब विचलित होते हुए नजर आ रहे हैं। जबलपुर में अब मध्य प्रदेश पैरेंटस एसोसिएशन ने 15 अगस्त के दिन निजी स्कूलों के खिलाफ आजादी की दूसरी लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

हाथों में तिरंगा लिए सड़क पर उतरेंगे अभिभावक और बच्चे

प्रशासन के द्वारा जारी किए गए आदेश को न मानते हुए अभिभावकों और बच्चों को अलग-अलग तरीके से प्रताड़ित कर रहे स्कूलों के विरोध में अब अभिभावकों ने सड़क पर उतरने का मन बना लिया है। कानूनी दांव पेंच में रुकी हुई कार्यवाही के कारण अभिभावकों को अभी भी मजबूरन अवैध फीस स्कूलों में जमा करनी पड़ रही है। इसके विरोध में 15 अगस्त को हजारों की संख्या में अभिभावक अपने पूरे परिवार के साथ सड़कों पर उतरने वाले हैं।

मध्य प्रदेश पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता बताया कि इस आंदोलन की रूपरेखा तय हो चुकी है। निजी स्कूलों की प्रताड़ना का शिकार हुए जो लोग इस आंदोलन में जुड़ेंगे, उनके एक हाथ में तख्तियों पर शिक्षा माफिया के जुल्म लिखे होंगे तो दूसरे हाथ में आजादी का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा होगा। सचिन गुप्ता के अनुसार 15 अगस्त को अभिभावक और छात्र इतनी भारी संख्या में एकत्रित होंगे कि इस प्रदर्शन और उनकी आवाज को कोई भी अनसुना नहीं कर पाएगा।

सरकार क्यों नहीं ले रही एक्शन

अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने यह प्रश्न किया है कि आखिर सरकार अभी तक इस मामले में कोई एक्शन क्यों नहीं ले रही है। आज से 4 महीने पहले 24 मई को आदेश आ चुका था फिर भी क्या कारण है कि मोहन सरकार स्कूल माफिया के सामने बेबस नजर आ रही है। क्या इस कार्यवाही के बाद सरकार भी यह चाहती है कि समय बिताते हुए यह मामला ठंडा बस्ते में चला जाए। लेकिन अगर ऐसा है भी, तो अभिभावक अब ऐसा होने नहीं देंगे। आज़ादी की इस दूसरी लड़ाई में अगर बलिदान की जरूरत पड़ी तो वह भी दिए जाएंगे पर स्कूल माफिया से मुक्ति दिलाने का प्रण अब मध्य प्रदेश पेरेंट्स एसोसिएशन ले चुका है।

Jabalpur schools 1

निजी स्कूलों ने लागू नहीं की शासन की तय फीस

जबलपुर से शुरू हुई निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई ने प्रदेश सहित पूरे देश में ऐसी मिसाल पेश की, जिसके बाद कई जिलों में अवैध फीस वसूली और फर्जी किताबों पर कार्रवाई हुई। जांच के दायरे में आए निजी स्कूलों की जिला शिक्षा कमेटी के द्वारा फीस निर्धारित कर दी गई थी पर स्कूल इस तय फीस को लागू करने को राज़ी ही नहीं हो रहे हैं और अब भी अवैध वसूली करना चाहते हैं। जिसके लिए निजी स्कूल पहले हाईकोर्ट की शरण में गए और वहां से राहत न मिलने के बाद अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट से निजी स्कूलों को कोई बड़ी राहत तो नहीं मिली है पर भेड़ाघाट और बेलबाग पुलिस थाने में दर्ज दो FIR पर अगली सुनवाई तक आगे कोई कार्यवाही न करने की राहत का आदेश जरूर मिल गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को शीर्ष न्यायालय में होनी है।

Jabalpur schools 2

अभिभावकों के खिलाफ नोटिस जारी कर रहे स्कूल

जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा कमेटी के द्वारा जारी किए गए आदेशों को न मानने वाले निजी विद्यालय, अब स्कूलों के खिलाफ आवाज उठाने वाले अभिभावकों को नोटिस जारी कर रहे हैं। दरअसल, स्टेमफील्ड इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों को परेशान करने की शिकायत सामने आने के बाद बीती 27 जुलाई को अभिभावकों ने प्रदर्शन किया था। जिसके बाद स्कूल के द्वारा वीडियो फुटेज खंगाल कर एक-एक अभिभावक को चुनकर कारण बताओं नोटिस भेजा जा रहा है। निजी स्कूल अधिनियम 2017 के नियमों को न मानने वाले स्कूल अब अपने स्कूल के रूल्स और रेगुलेशंस का हवाला देते हुए अभिभावकों और उनके बच्चों पर कार्यवाही करने के लिए बाकायदा पत्र जारी कर रहे हैं। ऐसा करके यह निजी स्कूल अन्य अभिभावकों पर दबाव बनाना चाहते हैं। ताकि उनकी मनमानी और अवैध फीस वसूली निर्बाध रूप से चलती रहे।

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स्कूलों ने शुरू की किताबों की होम डिलीवरी

प्रकाशको और किताबों की दुकान संचालकों के साथ मिलकर कमीशन का खेल खेलने वाले स्कूलों पर कार्रवाई का बिल्कुल भी खौफ नहीं है। क्योंकि अब स्कूलों ने बीच से कमीशन का कट लेने वाले किताब विक्रेताओं को ही अलग कर दिया है और खुद किताबों की होम डिलीवरी कर रहे हैं। नेक्स्टजेन एजुकेशन ट्रस्ट के अंतर्गत चलने वाले चैतन्य टेक्नो स्कूल के अभिभावकों ने शिकायत करते हुए यह बताया की स्कूल की किताबें शहर में किसी भी दुकान पर उपलब्ध नहीं है। जब अभिभावकों ने यह बात स्कूल संचालकों को बताई तो उन्हें यह कहा गया कि वह किताबों की कीमत स्कूल के अकाउंट पर ही ऑनलाइन डलवा दें और उनकी किताबों की होम डिलीवरी की जाएगी। इस तरह अब यह निजी स्कूल फिर से मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस एवं संबंधित विषयों का विनियम) 2017 के अधिनियम का खुला उल्लंघन कर रहे हैं।

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