मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में सोना मिलने की खबरों के बीच अब भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India ) के महानिदेशक आशित साहा ने स्थिति स्पष्ट की है।
साहा ने कहा कि अभी इस बात की पुष्टि करना जल्दबाजी होगी कि उस क्षेत्र में कोई खदान या बड़ा भंडार मौजूद है। उन्होंने साफ किया कि केवल सर्वेक्षण के शुरुआती चरण चल रहे हैं और अभी डिपॉजिट को लेकर कुछ भी कहना वैज्ञानिक रूप से उचित नहीं होगा।
गोल्ड हर जगह मिलता है, लेकिन डिपॉजिट की पुष्टि लंबी प्रक्रिया है: साहा
जबलपुर में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार “क्रिटिकल मिनरल्स एक्सप्लोरेशन एंड एक्सप्लॉइटेशन” में शामिल होने आए GSI प्रमुख ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि सोना हर जगह के सैंपल में किसी न किसी स्तर पर मिल सकता है, लेकिन उसका डिपॉजिट व्यावसायिक खनन के योग्य है या नहीं, यह तय करने में लंबा वक्त और गहन अध्ययन लगता है।
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100 हेक्टेयर में सोने के भंडार की पुष्टि करना अभी संभव नहीं: GSI
सिहोरा के महगवां केवलारी क्षेत्र को लेकर कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि 100 हेक्टेयर भूमि में सोना दबा हो सकता है। लेकिन इस पर सफाई देते हुए साहा ने कहा कि फिलहाल इतना बड़ा दावा करना सही नहीं होगा। पहले हम क्षेत्र से नमूने (सैंपल) लेते हैं, फिर उनकी रासायनिक जांच होती है। इसके बाद ही तय किया जाता है कि वह ज़मीन माइनिंग के लिए उपयुक्त है या नहीं।
द सूत्र की पहले ही दी भंडार पुष्टि नहीं होने की जानकारी
‘द सूत्र’ ने अपनी खबर में पहले ही यह स्पष्ट कर दिया गया था कि जबलपुर में सोने का भंडार की कोई अंतिम पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि यह जांच की जा रही है कि यहां मिला सोना खनन के लायक है या नहीं और इस जांच रिपोर्ट के बाद ही सोने के भंडार की पुष्टि हो पाएगी। केवल प्रारंभिक सर्वेक्षण में सोने सहित कुछ धातुओं की मौजूदगी का संकेत जरूर मिला था, लेकिन वैज्ञानिक प्रक्रिया के अनुसार जब तक पूर्ण विश्लेषण नहीं हो जाता, तब तक खदान घोषित नहीं की जा सकती।
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GSI देशभर में चला रहा है 450 प्रोजेक्ट, मप्र में 40 सर्वेक्षण कार्य
साहा ने यह भी जानकारी दी कि फिलहाल GSI देशभर में 450 खनन सर्वेक्षण प्रोजेक्ट्स पर कार्यरत है। मध्य प्रदेश में 40 प्रोजेक्ट्स पर विशेष रूप से काम चल रहा है, जिनमें से कई संभावनाएं भविष्य में खनन के क्षेत्र में बड़ा योगदान दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रोजेक्ट्स से भविष्य में अच्छे रिज़ल्ट की उम्मीद की जा रही है।
मप्र में ग्रेफाइट और फास्फोरस की मौजूदगी
सेमिनार के दौरान साहा ने बताया कि अब तक मध्यप्रदेश में ग्रेफाइट की सबसे अधिक पहचान की गई है और इसके लिए टेंडर भी जारी हो चुका है। इसके अलावा झाबुआ क्षेत्र में फास्फोरस की उपस्थिति भी पाई गई है, जो राज्य को खनिज संपन्नता के लिहाज़ से और मजबूत बनाता है।
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फिलहाल सिहोरा क्षेत्र में सर्वेक्षण जारी, अंतिम रिपोर्ट का इंतजार
भू-वैज्ञानिकों की टीम अब भी सिहोरा क्षेत्र में कार्यरत है और नमूनों के आधार पर विश्लेषण प्रक्रिया जारी है। आने वाले महीनों में इस पर विस्तृत रिपोर्ट सामने आएगी, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि वास्तव में जबलपुर की धरती में व्यावसायिक स्तर का सोना दबा है या नहीं।
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