ब्रेन डेड सत्येंद्र के अंग बचाएंगे 4 जिंदगी : हार्ट अहमदाबाद, लिवर भोपाल और किडनी जबलपुर में होंगी ट्रांसप्लांट

सत्येंद्र यादव की ब्रेन डेड स्थिति के बाद उनके अंगों का दान किया गया। हार्ट को अहमदाबाद, लिवर को भोपाल और किडनी को जबलपुर भेजा गया। उनके इस फैसले से चार लोगों को नई जिंदगी मिली। यह कदम अंगदान के महत्व को दर्शाता है।

author-image
Neel Tiwari
New Update
satyendra-organ-donation

Photograph: (thesootr (इंसर्ट में सत्येंद्र यादव))

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

जबलपुर शहर के गढ़ा क्षेत्र में 5 अगस्त को एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें 31 वर्षीय सत्येंद्र यादव गंभीर रूप से घायल हो गए। सत्येंद्र यादव पेशे से गैस सिलेंडर वितरक थे।

हादसे के बाद सत्येंद्र को तत्काल नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज स्थित सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उनको बचाने के हर संभव प्रयास किए।

शरीर की गहरी अंदरूनी चोटों और मस्तिष्क में भारी रक्तस्राव के कारण आखिरकार 6 अगस्त की रात उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। यह स्थिति वह होती है जब व्यक्ति के मस्तिष्क की सभी गतिविधियां बंद हो जाती हैं, लेकिन अंग कुछ समय के लिए काम करते रहते हैं। बता दें कि सत्येंद्र की उम्र मात्र 31 साल थी और इनकी शादी 30 अप्रैल 2025 को ही हुई थी।

परिवार ने लिया अंगदान का फैसला

सत्येंद्र यादव की असमय मृत्यु के बाद उनका परिवार शोकाकुल था, लेकिन इस दुख के क्षण में भी उन्होंने एक प्रेरणादायक निर्णय लिया। उन्होंने सत्येंद्र के अंगों को दान करने की स्वीकृति दी ताकि उनके जाने के बाद भी उनकी देह किसी और की सांसों की वजह बन सके। यह निर्णय आसान नहीं होता, खासकर उस वक्त जब पूरा परिवार सदमे में होता है। लेकिन सत्येंद्र के परिजनों ने अपने दुख को समाज की सेवा में बदलते हुए ऐसा फैसला लिया जो न केवल चार लोगों को नया जीवन देने वाला साबित हुआ, बल्कि समाज के लिए एक उदाहरण भी बना।

ये खबर भी पढ़ें...

नर्सिंग की तरह ही हो सकता है पैरामेडिकल फर्जीवाड़ा, कोर्ट ने कहा CBI पर किया था भरोसा अब नहीं लेंगे चांस

भोपाल-अहमदाबाद की टीमें पहुंचीं जबलपुर

जैसे ही सत्येंद्र के अंगों को दान करने की स्वीकृति मिली, तुरंत भोपाल और अहमदाबाद से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीमें जबलपुर रवाना हुईं। इन टीमों के पहुंचने के तुरंत बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अनुभवी सर्जनों और ट्रांसप्लांट विशेषज्ञों ने रातभर ऑपरेशन कर हार्ट और लिवर को सुरक्षित रूप से अलग किया।

यह एक जटिल और अत्यंत तकनीकी प्रक्रिया थी, जिसमें समय की बर्बादी जरा भी मुमकिन नहीं होती। डॉक्टरों की टीम ने समन्वय के साथ तेजी से ऑपरेशन करते हुए सुनिश्चित किया कि अंगों को सुरक्षित रूप से निकाला जाए ताकि वे ट्रांसप्लांट के लिए तैयार रहें।

ये खबर भी पढ़ें...

सिंगरौली में 14 साल की नाबालिग का धोखे से निकाह कराने वाले काजी और मां को उम्र कैद

लिवर भोपाल के सिद्धांता अस्पताल पहुंचाया

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट से पहले यह देखा गया कि क्या मध्य प्रदेश में किसी मरीज को इसकी तत्काल आवश्यकता है। चूंकि राज्य में किसी भी मरीज की हार्ट ट्रांसप्लांट वेटिंग लिस्ट में आवश्यकता नहीं थी।

इस जानकारी को राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) को भेजा गया। NOTTO ने तुरंत यह जानकारी दी कि अहमदाबाद में एक गंभीर मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहा है। वहीं सत्येंद्र का भोपाल के सिद्धांता सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती एक मरीज को  लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा, जो लंबे समय से लिवर फेल्योर से जूझ रहा है। इन दोनों मरीजों को अब सत्येंद्र के अंगों के जरिए जीवन का दूसरा अवसर मिलने जा रहा है।

ये खबर भी पढ़ें...

इंदौर के एक्सीलेंस ऑफ EYE हॉस्पिटल को लेकर बड़ा खुलासा, हड्‌डी रोग विशेषज्ञ संभाल रहे अधीक्षक का पद

ग्रीन कॉरिडोर से समय पर एयरपोर्ट पहुंचे अंग

अंगों के समय पर और सुरक्षित ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। यह एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें ट्रैफिक को पूरी तरह से रोका जाता है ताकि एम्बुलेंस या ट्रांसप्लांट वाहन को बिना किसी बाधा के पहुँचाया जा सके।

सत्येंद्र का हार्ट और लिवर जबलपुर मेडिकल कॉलेज से डुमना एयरपोर्ट तक विशेष रूट के माध्यम से ले जाए गए, जहां से इन्हें संबंधित शहरों में विशेष विमानों द्वारा भेजा गया। इस पूरी प्रक्रिया में जिला प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस, एयरपोर्ट प्रशासन और मेडिकल टीमों ने अभूतपूर्व समन्वय दिखाया।

ये खबर भी पढ़ें...

डॉक्टर बनने का बढ़िया मौका, सरकारी विभाग में निकली भर्ती, जल्दी करें आवेदन

दोनों किडनी जबलपुर के मरीजों को देंगी नई जिंदगी

मेडिकल अस्पताल के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने यह भी बताया कि सत्येंद्र यादव की दोनों किडनियां जबलपुर के मरीजों के लिए सुरक्षित रखी गई हैं। इन अंगों को मेडिकल परीक्षण के बाद चयनित मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

डॉक्टरों ने कहा कि एक किडनी पूरी तरह स्वस्थ है और जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट की जाएगी, जबकि दूसरी किडनी की स्थिति परीक्षण के आधार पर तय होगी कि वह ट्रांसप्लांट योग्य है या नहीं। इससे जबलपुर के दो परिवारों को भी नई उम्मीद मिलेगी।

चार मरीजों को मिलेगा नया जीवन

सत्येंद्र यादव भले ही इस दुनिया से विदा हो गए, लेकिन उनके अंग अब चार लोगों की ज़िंदगी बनेंगे। यह कदम एक अमर योगदान है, जो जीवन और मृत्यु के बीच की रेखा को नई परिभाषा देता है। उनका यह कदम समाज में जागरूकता फैलाने और अंगदान के महत्व को समझाने के लिए प्रेरक बन चुका है।

परिवार के साहस को जबलपुर ने किया सलाम

सत्येंद्र यादव के परिवार के इस निर्णय को जबलपुर शहर के हर कोने से सराहना मिल रही है। हर जगह उनके इस कदम को मानवता की सच्ची मिसाल कहा जा रहा है। सरकार की ओर पहले ही अंगदान करने वाले व्यक्तियों को राजकीय सम्मान की घोषणा की जा चुकी है। इसके साथ ही कई संगठनों और नागरिकों ने उनके परिजनों को सम्मानित करने की बात कही है।

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧👩

मध्यप्रदेश जबलपुर अंगदान किडनी ट्रांसप्लांट लिवर ट्रांसप्लांट हार्ट ट्रांसप्लांट