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Photograph: (the sootr)
सिंगरौली जिले में एक नाबालिक बच्ची की मां ने ही धोखे से उसका निकाह करवा दिया। यह निकाह भी उस व्यक्ति से कराया गया जिसकी उम्र 26 वर्ष थी और उसकी पहले से ही दो पत्नियां थी। 2 साल तक अत्याचार झेलने के बाद, नाबालिक अपने चाचा की मदद से पुलिस तक पहुंची और कोर्ट ने निकाहनामा पढ़ने वाले काजी सहित आरोपियों को उम्र कैद की सजा के साथ 15 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया।
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में एक नाबालिग बच्ची के साथ जबरन निकाह, दुष्कर्म और शोषण के मामले में अदालत ने कड़ा और मिसाल पेश करने वाला फैसला सुनाया है। विशेष पॉक्सो कोर्ट की जज सोनल चौरसिया ने न सिर्फ दोषियों को उम्रकैद की सजा दी, बल्कि पीड़िता को 15 लाख 52 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति देने के भी आदेश दिए हैं ।
मां ने ही धोखे से कराया नाबालिक बेटी का निकाह
13 मार्च 2023 को एक 14 वर्षीय नाबालिक अपने चाचा के साथ सिंगरौली के महिला थाने पहुंची थी। उसने पुलिस को बताया कि उसके पिता की मृत्यु 10 साल पहले हो चुकी है और उसकी मां ने अब दूसरी शादी कर ली है। उसने बताया कि उसकी मां ने पहले धोखे से नोटरी पेपर पर साइन कराया और फिर पास के एक गांव में ले जाकर उसका निकाह एक 26 वर्षीय युवक से कर दिया गया। यह व्यक्ति पहले से ही शादीशुदा था और उसकी दो बीवियां मौजूद है।
पीड़िता ने बताया कि काजी के सामने उसका निकाह पढ़ाया गया और उसे जबरन कथित पति के घर पर छोड़ दिया गया। जहां पर 26 वर्षीय युवक ने उसके साथ एक हफ्ते तक जबरन रेप किया। नाबालिक किशोरी एक हफ्ते बाद ही अपने गांव वापस आ गई।
लेकिन उसके बाद भी उसका कथित पति उसके घर आकर जबरन उसके साथ अत्याचार करता रहा। लगातार हो रहे अत्याचार में पीड़िता की मां भी बराबर शामिल थी। आखिरकार तंग होकर किशोरी ने अपने चाचा से मदद मांगी और उसके बाद पुलिस के पास शिकायत करने पहुंची।
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पुलिस ने पांच आरोपियों पर दर्ज किया मामला
पुलिस ने इस मामले की विवेचना के बाद उस युवक को मुख्य आरोपी बनाया जिसने नाबालिग से जबरन निकाह कर दुष्कर्म किया था। इसके साथ ही नाबालिक बेटी की मर्जी के खिलाफ शादी करवाने वाली मां और निकाह पढ़ाने वाले काजी सहित पीड़िता के सौतेले पिता और मुख्य आरोपी की मां को भी आरोपी बनाया गया।
इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376(3), 376(2)(n), 323 के अलावा पॉक्सो एक्ट और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत गंभीर आरोप तय किए गए थे।
कोर्ट ने आरोपियों के सभी तर्क किये खारिज
मामले में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के समक्ष जब सबूत और गवाहियां पेश की गईं, तब यह स्पष्ट हुआ कि पीड़िता की उम्र घटना के समय 14 वर्ष थी। स्कूल के एडमिशन रजिस्टर, प्रिंसिपल का बयान और अन्य दस्तावेजों ने यह साबित किया। हालांकि आरोपियों ने पीड़िता को बालिग बताने की कोशिश की और डीएनए रिपोर्ट में कोई मेल DNA ट्रेस न आने का भी हवाला दिया, पर कोर्ट ने पीड़िता के बयान के आधार पर यह माना की शिकायत दर्ज करने के एक माह पहले से पीड़िता अपने चाचा के घर पर थी। जिसके कारण डीएनए में कोई ट्रेस ना आना संभव है।
आरोपियों की ओर से एक मौलाना का भी बयान पेश किया गया। जिन्होंने बताया कि इस्लाम धर्म में जबरन शादी का नियम नहीं है और मैहर तय होने के बाद लड़की और उसके परिवार की सहमति के बाद ही निकाह होता है। लेकिन कोर्ट ने यह माना कि जब निकाह के समय लड़की बालिक ही नहीं थी, तो उसकी सहमति का प्रश्न ही नहीं उठता और कोर्ट ने आरोपियों के सभी तर्कों को खारिज कर दिया।
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आरोपियों को उम्र कैद, देंगे 15 लाख का जुर्माना
सिंगरौली के देवसर विशेष पॉक्सो न्यायालय ने पीड़िता किशोरी से निकाह करने वाले युवक को आजीवन कारावास के साथ 4 लाख रूपये का जुर्माना लगाया। पीड़िता की मां को आजीवन कारावास की सजा के साथ 3 लाख रूपये का जुर्माना और निकाह पढ़ाने वाले काज़ी को आजीवन कारावास के साथ 2 लाख 50 हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
इस मामले में पीड़िता के सौतेले पिता और आरोपी की मां को भी उम्र कैद और जुर्माने की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने सभी आरोपियों पर कुल 15 लाख 52 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है जो आरोपियों से वसूली कर पीड़िता को बतौर क्षतिपूर्ति देने का निर्देश कोर्ट ने दिया, ताकि वह अपने भविष्य को संवार सके।
नाबालिग के निकाह और सजा के इस मामले को ऐसे समझें1. नाबालिग के निकाह के मामले में कोर्ट ने मां और काजी को उम्र कैद की सजा सुनाई। |
हाईकोर्ट पहुंचे आरोपी, दो को मिली जमानत
कोर्ट के फैसले के खिलाफ चार दोषियों ने जबलपुर हाईकोर्ट में अपील कर सजा स्थगन की मांग की। इस क्रिमिनल रिवीजन अपील की सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए के सिंह की डिवीजन बेंच में हुई।
कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए पीड़िता की मां और निकाह पढ़ाने वाले काजी की और से अधिवक्ता ने अपना आवेदन खुद वापस ले लिया। हालांकि आरोपी युवक की मां और अपने सौतेले पिता के खिलाफ पीड़िता ने खुद कोई कार्रवाई नहीं चाही थी और सेशन कोर्ट में हुई जिरह के आधार पर भी इन दोनों का इस मामले में शामिल होना नजर नहीं आया। इस बात को ध्यान रखते हुए कोर्ट ने पीड़िता के सौतेले पिता और आरोपी की मां को 50 हजार रूपये के निजी मुचलके और दो जमानतदारों के साथ सशर्त जमानत दे दी।
आरोपियों की ओर से जुर्माने की रकम को कम करने का भी निवेदन किया गया लेकिन कोर्ट ने इससे साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जुर्माने की रकम भरनी ही होगी वरना अभी भी जमानत खारिज की जा सकती है।
कोर्ट के इस फैसले से ना केवल नाबालिग पीड़िता न्याय मिलता हुआ नजर आ रहा है बल्कि उसके भविष्य के लिए आर्थिक सहायता भी मिली है। मां, काज़ी और सौतेले पिता की संलिप्तता को कोर्ट ने गंभीर अपराध माना जो बाल विवाह और धर्म की आड़ में यौन शोषण जैसे मामलों के खिलाफ मजबूत संदेश है।
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