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मुकेश शर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का नेशनल पार्क में क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) की सीमा में फेरबदल करने के सरकार के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अदालत ने पहले ही सरिस्का का एरिया बढ़ाने और सीटीएच से कोई छेड़छाड़ नहीं करने के आदेश दिए थे। और अब इस मामले में कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा।
सीटीएच बदलाव के प्रस्ताव पर पर्यावरणविदों ने आशंका जाहिर की है कि इससे सरिस्का के आसपास बंद पड़ी 50 से अधिक खदानों को अभयदान मिल जाएगा।
शीर्ष कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बाघ संरक्षण के लिए सरिस्का की पारिस्थितिकी बेहद संवेदनशील है। इसमें किसी किस्म की छूट या फेरबदल पर्यावरणीय संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी। इसलिए सरिस्का के एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध के आदेश हैं और इस मामले में कोई छूट या छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बर्दाश्त नहीं होगी छेड़छाड़
सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का और उसमें मंदिरों के मैनेजमेंट विषय पर स्व:प्रेरणा से प्रसंज्ञान ले रखा है। इसकी सुनवाई के दौरान सीटीएच में बदलाव करने के सरकार की कवायद का मामला भी उठा। कोर्ट ने सरिस्का के कोर एरिया और सीटीएच से एक किलोमीटर के दायरे में खनन सहित सभी प्रकार की गतिविधियां बंद कर दी थी। साथ ही सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी को सीटीएच और कोर एरिया के संबंध में सुनवाई करके एक्सपर्ट और आमजन से आपत्तियां मांगकर निर्णय करने को कहा था। सरिस्का में सीटीएच बदलाव का प्रस्ताव मानने से इनकार करना महत्वपूर्ण कदम है।
प्रस्ताव पर इतनी तेजी क्यों
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि संशोधन का प्रस्ताव 22 जून को अलवर में, 23 को राज्य सरकार ने जयपुर में, 24 को दिल्ली में एनटीसीए ने और 27 को देहरादून में हरी झंडी देकर पारित कर दिया। बाद में दो जुलाई को इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने सीटीएस में बदलाव के प्रस्ताव को अप्रत्याशित तेजी से मात्र पांच दिन में ही मंजूरी देने पर सवाल उठाया।
सीमा बदलने से खुल जाती खदानें
दरअसल, राजस्थान के सरिस्का में पहले से ही क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट है। यह बाघों के संरक्षण के लिए पूर्णतः सुरक्षित और संरक्षित क्षेत्र बनाए रखने के लिए है। लेकिन, सरकार ने इसे दोबारा से युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव पारित किया। नए प्रस्ताव के पारित होने के बाद टहला रेंज में बंद पड़ी 50 से अधिक खदानों के दोबारा चालू होने का रास्ता खुल जाता। इसको लेकर पर्यावरणविद विरोध कर रहे हैं। प्रस्ताव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्नेहा सोलंकी व अन्य की ओर अर्जिया दी गई हैं।
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प्रस्ताव को एनटीसीए की मंजूरी नहीं
इन अर्जियों में कहा है कि सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी और राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशा की पालना करने में पूरी तरह फेल रही है। प्रस्ताव को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से मंजूरी का कोई सबूत नहीं है। एनटीसीए की मंजूरी पर संदेह है, क्योंकि एनटीसीए की 18 अप्रेल,2025 की मीटिंग के मिनट्स में इस संबंध में विचार विमर्श होने या प्रस्ताव का कहीं उल्लेख तक नहीं है। प्रस्ताव में 23 गांवों के एरिया में टाइगर का मूवमेंट नहीं बताया है, जबकि यह तथ्य गलत है।
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तो 50 खदानें शुरु हो जाएंगी
प्रस्ताव के विरोध में कहा गया है कि यदि प्रस्ताव स्वीकार करके सीटीएच एरिया कम किया तो बंद हो चुकी मार्बल और डोलोमाईट की 50 खदानें फिर से शुरु हो जाएंगी। इसलिए सेंट्रेल एम्पावर्ड कमेटी की 22 जुलाई की सिफारिशों को रद्ध किया जाए। सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना सरिस्का के सीटीएच में कोई फेरबदल ना हो। इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी।
अदालत ने पूछा
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि क्या उसने पूर्व के आदेशों का पालन किया है या नहीं। साथ ही यह भी पूछा है कि क्या वर्तमान में प्रस्तुत प्रस्ताव पूर्व आदेशों की भावना के अनुरूप हैं या उसके विरुद्ध। कोर्ट ने पांडूपोल में प्रत्येक मंगलवार को आने वाले श्रद्धालुओं के आने—जाने की सुरक्षित व्यवस्था पर भी सरकार को जवाब देने केा कहा है। मामले में अगली सुनवाई मंगलवार केा होगी।
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सरिस्का एक नजर में
- वर्तमान में सरिस्का टाईगर रिजर्व में 49 बाघ हैं
- सेंचुरी एरिया—492 वर्ग किलोमीटर
- सीटीएच एरिया— 389 वर्ग किलोमीटर
- बफर एरिया——332 वर्ग किलोमीटर