जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (JSCL) के खाते में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है। RBL बैंक के विजय नगर शाखा, इंदौर के टास्क मैनेजर कुमार मयंक पर आरोप है कि उन्होंने JSCL के खाते की प्रकृति बदलने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और बैंक नियमों की अनदेखी कर करोड़ों रुपये का गबन किया। इस गबन से न केवल संस्था को वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि यह मामला बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी पर भी सवाल खड़े करता है।
सेविंग अकाउंट को बना दिया करंट अकाउंट
JSCL ने 24 मार्च 2022 को RBL बैंक में 6.25% ब्याज दर वाले बचत खाते का विकल्प चुना था। खाता खोलने का उद्देश्य संस्था के फंड्स पर ब्याज अर्जित करना और अधिकतम लाभ प्राप्त करना था। हालांकि, बैंक ने बिना पूर्व सूचना दिए, 5 जुलाई 2022 को इस बचत खाते को चालू खाते में बदल दिया। चालू खाते में कोई ब्याज नहीं दिया जाता, जिससे संस्था को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। JSCL ने इस बदलाव को बैंकिंग नियमों का उल्लंघन बताते हुए विरोध दर्ज कराया और इसकी विस्तृत जानकारी मांगी।
फर्जी दस्तावेजों के सहारे की हेरफेर
शिकायत में बताया गया है कि कुमार मयंक ने बैंक की ओर से फर्जी ब्याज प्रमाणपत्र और बैंक स्टेटमेंट तैयार किए। इनमें जुलाई से सितंबर 2022 तक का डेटा गलत तरीके से पेश किया गया। इस स्टेटमेंट में ब्याज राशि को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, ताकि संस्था को धोखे में रखा जा सके। जब JSCL ने ब्याज प्रमाणपत्र और बैंक स्टेटमेंट की गहन जांच की, तो कई वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुईं। बैंक ने इस मामले में पूर्ण खाता विवरण और आवश्यक स्पष्टीकरण देने से भी परहेज किया।
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अवैध धन का हुआ उपयोग
जांच के दौरान पता चला कि JSCL खाते में जो 56.06 लाख रुपये की ब्याज राशि दिखाई गई थी, वह वास्तव में आरजीपीवी घोटाले से प्राप्त अवैध धन से चुकाई गई थी। यह राशि किसी भी वैध बैंकिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी। इस धन का उपयोग संस्था के विकास कार्यों के लिए किया गया लेकिन इसका स्रोत गैरकानूनी था। इससे JSCL को न केवल वित्तीय क्षति हुई, बल्कि संस्था की साख पर भी असर पड़ा।
घोटाले का फंड किया इस्तेमाल
JSCL ने शहर के विकास के लिए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड का उपयोग करने की योजना बनाई थी। इस फंड का उपयोग मदन महल पहाड़ी पर पौधारोपण और अन्य पर्यावरणीय कार्यों के लिए किया जाना था। हालांकि, कुमार मयंक ने CSR फंड का उपयोग करने के बजाय, आरजीपीवी घोटाले से प्राप्त अवैध धन का इस्तेमाल किया। बाद में इस धन को वेंडरों को लौटा दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया से संस्था को लगभग 1.31 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
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मैनेजर पर हुई FIR दर्ज
JSCL ने इस गबन और धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, कुमार मयंक पर विश्वासघात, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और वित्तीय गबन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। JSCL ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है और बैंक की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। यह मामला न केवल जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के लिए बल्कि पूरे बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि बैंकिंग प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करना अत्यधिक जरूरी है।
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