आरोपी तहसीलदार की जमानत का सरकार नहीं करेगी विरोध

जबलपुर में भ्रष्टाचार के आरोप में तहसीलदार पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने के मामले में राजस्व अधिकारी संघ को सरकार ने आश्वासन दिया है। सरकार ने कहा है कि वह भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद तहसीलदार की जमानत का विरोध नहीं करेगी।

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Neel Tiwari
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जबलपुर शहर और मध्य प्रदेश में तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और राजस्व कर्मियों की हड़ताल समाप्त करने का मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी (क.प्रशा. सेवा) संघ का एक पत्र सामने आया है। पत्र में दावा किया गया है कि राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा आश्वासन मिला है कि आरोपी तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे की जमानत का विरोध सरकार द्वारा नहीं किया जाएगा। सरकार द्वारा मिले आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी हड़ताल को वापस ले लिया है।

तहसीलदार पर लगा था भ्रष्टाचार का आरोप

अधारताल तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे और पटवारी जागेंद्र पिपरे सहित अन्य पर 95 वर्षीय बुजुर्ग की जमीन को फर्जी तरीके से हड़पने का आरोप लगा था। जिसमें 3 रुपए के स्टांप में बनाए गए वसीयतनामे के बल पर किसी अन्य की जमीन षड्यंत्र पूर्वक अपने कंप्यूटर ऑपरेटर के नाम कर बेच दी गई थी। इस मामले में शिकायत के बाद अनुविभागीय अधिकारी की जांच में यह खुलासा हुआ कि तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे, पटवारी जोगेंद्र पिपरे और पांच अन्य लोगों के द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया है। आरोप तय होने पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 229,318 ,336, 338 के तहत मामला दर्ज कर आरोपी तहसीलदार को गिरफ्तार कर लिया गया था।

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आरोपी को जेल से बाहर लाने के समर्थन का मिला आश्वासन

आरोपी तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे के खिलाफ दर्ज FIR के विरोध में जारी हड़ताल को खत्म करने के लिए संघ द्वारा एक पत्र जारी किया गया। इसमें उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग के मुख्य सचिव और राजस्व मंत्री से चर्चा में संघ की मांगों पर सहमति जताई गई है। पत्र के अनुसार, प्रमुख सचिव राजस्व के द्वारा तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे के ऊपर दर्ज FIR में सकारात्मक निर्देश दिए गए हैं। साथ ही तहसीलदार की जमानत आवेदन पर शासन की तरफ से कोई भी विरोध नहीं किया जाएगा और  जांच की स्वीकृति में जजेज प्रोटेक्शन एक्ट के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। जिसके लिए शासन के द्वारा परिपत्र भी जारी कर दिया गया है।

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क्या है न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम 1985 (Judges protection act)

न्यायाधीशों के संरक्षण से जुड़ा एक अधिनियम है, जिसे न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के तहत, न्यायाधीशों को अतिरिक्त सुरक्षा दी जाती है। इस अधिनियम के मुताबिक, न्यायालय किसी न्यायाधीश के खिलाफ कोई सिविल या दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकता यह कार्रवाई, न्यायाधीश के पदीय या न्यायिक कर्तव्य के निर्वहन के दौरान किए गए किसी कार्य, बात या शब्द के लिए नहीं हो सकती। क्योंकि तहसीलदार का पद भी एक न्यायिक के पद होता है इसलिए इस मामले में अभियोजन की स्वीकृति के स्तर पर जजेस प्रोटेक्शन एक्ट के प्रावधानों का पालन किया जाएगा।

जिला न्यायालय से नहीं मिली है आरोपी तहसीलदार को जमानत 

भ्रष्टाचार के आरोपी तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। आरोपी की पहली जमानत याचिका 13 सितंबर को खारिज की गई थी साथ ही दूसरी जमानत याचिका 18 सितंबर को डिस्ट्रिक जज गिरीश दीक्षित के द्वारा खारिज कर दी गई थी। जानकारी के अनुसार आरोपी तहसीलदार की तीसरी जमानत भी जिला अदालत से खारिज हो चुकी है। अब उसके पास हाईकोर्ट में जमानत आवेदन लगाने का ही रास्ता खुला हुआ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस जमानत आवेदन का सरकार यानी शासकीय अधिवक्ता विरोध करेंगे या नहीं।

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