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पाटन क्षेत्र के स्वप्निल पटेल के घर एक नई सुबह आई है। उनके 15 दिन के नवजात बेटे विनायक के दिल में जन्म से ही छेद था। परिवार की चिंता उस समय और गहरी हो गई थी जब उन्हें पता चला कि बिना ऑपरेशन के बच्चे का जीवन खतरे में पड़ सकता है। हालांकि की सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं ने उनके लिए आशा की नई किरण जगाई। जिला अस्पताल विक्टोरिया परिसर की टीम की मदद से नई मिसाल बन गई।
रविवार की छुट्टी पर भी खोले गए थे दफ्तर
जब पूरा प्रशासनिक तंत्र रविवार के अवकाश पर था, उसी समय जबलपुर जिला अस्पताल परिसर में एक नवजात के जीवन को बचाने के लिए सरकारी मशीनरी हरकत में थी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के अंतर्गत, बिना समय गंवाए कार्यालय खोला गया। पाटन निवासी स्वप्निल पटेल के नवजात विनायक के इलाज के लिए आपातकालीन दस्तावेजी कार्यवाही पूरी की गई। कुछ ही घंटों में बच्चे को मुंबई के उच्च स्तरीय अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां डॉक्टरों की स्पेशल टीम ने उसके दिल की बीमारी का सफल ऑपरेशन किया।
विनायक के दिल की धड़कानों ने फिर से थामी रफ्तार
मुंबई के स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने विनायक के दिल में छेद (Congenital Heart Defect) का सफल ऑपरेशन किया। मेडिकल नजरिए से देखा जाए तो नवजात अवस्था में दिल से जुड़ी सर्जरी बहुत कठिन मानी जाती है। लेकिन सरकार की पहल से उपलब्ध कराई गई बेहतरीन सुविधाओं और मुंबई के डॉक्टरों की मेहनत ने विनायक को एक नया जीवन दे दिया।
परिवार हुआ भावुक
इलाज के बाद जब विनायक की नन्हीं धड़कनों ने सामान्य गति पकड़ी, तो उसके माता-पिता की आंखों में उम्मीद के आंसू छलक आए। जबलपुर लौटते ही स्वप्निल पटेल का परिवार सबसे पहले जिला अस्पताल पहुंचा, जहां उन्होंने सरकार को और स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम का धन्यवाद दिया।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) से मिली मदद
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जो 2013 में शुरू की गई थी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 0-18 वर्ष तक के बच्चों में जन्मजात विकृतियों, कुपोषण, विकास में देरी और अन्य बीमारियों की पहचान कर उनका निशुल्क उपचार किया जाता है।
आरबीएसके कार्यक्रम के जिला प्रबंधक सुभाष शुक्ला ने बताया कि दिल में छेद (Congenital Heart Defect), कटे फटे होंठ (Cleft Lip), टेढ़े मेढ़े पैर (Club Foot), सुनने-बोलने में दिक्कत, और न्यूरोलॉजिकल विकृतियों जैसी गंभीर समस्याओं का उपचार RBSK के माध्यम से सरकार के खर्च पर कराया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि नवजात से जुड़ी परिस्थितियों में समय की महत्ता को देखते हुए पूरी टीम की प्राथमिकता रहती है कि इलाज में एक पल की भी देरी न हो।
परिवार ने जताया सरकार का आभार
जबलपुर लौटते ही अस्पताल परिसर में विनायक की मौसी शालिनी पटेल भावुक हो गईं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "जब हमें पहली बार डॉक्टरों ने बताया कि हमारे बच्चे के दिल में समस्या है, तो हम पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा था। इलाज की लागत सुनकर हम निराश हो गए थे। लेकिन सरकार की योजना और जिला अस्पताल की टीम ने हमें सहारा दिया। आज हमारा विनायक फिर से मुस्कुरा रहा है। हम सबका आभार व्यक्त करते हैं।
स्वप्निल पटेल ने भी कहा कि यदि सरकार और डॉक्टरों की तत्परता नहीं होती, तो शायद उनका बच्चा आज उनके साथ नहीं होता। उनके अनुसार, "यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, यह हमारे परिवार के सपनों को नई जिंदगी देने जैसा था।
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स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अक्सर सरकारी योजनाओं की आलोचना होती है, लेकिन स्वप्निल पटेल के परिवार की कहानी बताती है कि जब व्यवस्था संवेदनशील हो, तो एक छोटी सी जान भी सुरक्षित बचाई जा सकती है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और मोहन सरकार के समर्पण ने विनायक के परिवार को वह खुशी लौटाई, जो वे खोने के कगार पर थे।
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