कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के भाई नाना और भरत को भी मिली अग्रिम जमानत
कांग्रेस नेता जीतू पटवारी के भाइयों भरत और नाना को जमीन घोटाले मामले में कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली गई है। दोनों पर 6.33 एकड़ जमीन कब्जे और हेराफेरी का आरोप है।
तेजाजीनगर थाने में जमीन घोटाले के आरोपी बने जिलाध्यक्ष कांग्रेस सदाशिव यादव की अग्रिम जमानत जिला कोर्ट से मंजूर होने के बाद अब प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के दोनों भाइयों को भी बड़ी राहत मिल गई है। दोनों को ही कोर्ट से विविध शर्तों के साथ अग्रिम जमानत मंजूर हो गई।
नाना और भरत को देनी होगी 1-1 लाख की गारंटी
जिला कोर्ट में भरत पटवारी और नाना उर्फ कुलभूषण पटवारी दोनों ने ही अग्रिम जमानत के लिए आवेदन लगाया। इसमें अधिवक्ता जय हार्डिया की ओर से तर्क दिए गए कि राजनीतिक द्वेष के कारण उन्हें फंसाया गया है। इस केस से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
वह खाती समाज के हैं और यह जमीन का विवाद यादव समाज की ट्रस्ट का है। ना ही वह कभी कब्जा करने के लिए गए। इसके पहले इसी केस में सदाशिव यादव को भी जमानत मिलने की बात तर्क में कही गई। इसके बाद न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा की कोर्ट द्वारा उन्हें 15 दिन के भीतर 1-1 लाख की गारंटी देने पर विविध शर्तों के साथ जमानत मंजूर की गई।
ऐसे समझिए पूरी खबर
कांग्रेस नेता सदाशिव यादव को जमीन घोटाले में अग्रिम जमानत मिल चुकी है।
अब जीतू पटवारी के भाई भरत और नाना को भी कोर्ट से जमानत मिल गई।
कोर्ट ने 1-1 लाख की गारंटी और शर्तों के साथ जमानत मंजूर की।
शासन ने आपत्ति दी कि दोनों पर कई आपराधिक केस दर्ज हैं।
मामला 6.33 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और रिकॉर्ड में हेराफेरी से जुड़ा है।
अपराधों का रिकॉर्ड देकर आपत्ति ली गई
हालांकि आपत्तिकर्ता और शासन द्वारा इस पर आपत्ति ली गई। बताया गया कि नाना पर 9 और भरत पर 4 केस दर्ज हैं। इन पर आरोप है कि जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया, धमकाया, सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी की। इसके चलते 26 मई 2025 को अपराध क्रमांक 268/2025 में यह केस तेजाजीनगर थाने में धारा 318(4), 308(5), 329(3), 351(3) और 3(5) के तहत केस दर्ज हुआ था।
फरियादी नरेंद्र जैन (मेहता) के आरोप थे कि यादव व अन्य ने अवैध कब्जा किया, सरकारी अभिलेखों में जालसाजी की, धमकी दी और संगठित अपराध किया। राजनीतिक व्यक्ति होने के नाते उन्होंने फरियादी को धमकी देकर उनकी जमीन से बेदखल किया। सरकारी दस्तावेज में हेरफेर कर भूमि हड़पने का प्रयास किया। यह जमीन उमरीखेड़ा के सर्वे नंबर 1, 2, 3, 4 की 6.33 एकड़ की है।