कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव के धार्मिक नगरों में शराबबंदी (Liquor Ban in Religious Cities) के फैसले पर कड़ा सवाल उठाया है। महेश्वर की संविधान बचाओ रैली (Save Constitution Rally) के दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो शराबबंदी का आदेश दिया था, उसका पालन नहीं हो रहा।
महेश्वर में शराब दुकान चलने का आरोप
पटवारी ने कहा कि महेश्वर, जो माता अहिल्या की विरासत वाला पवित्र शहर है, वहां से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर शराब की दुकानें खुलेआम चल रही हैं। यह धार्मिक शहर की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
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जीतू पटवारी ने सीएम को दी चुनौती
पीसीसी चीफ ने मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि अगर महेश्वर से 2 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर शराब की दुकानें स्थापित कर दी जाएं, तो मैं सार्वजनिक रूप से माफी मांगूंगा। अगर मेरी बात सही निकली, तो मुख्यमंत्री को जवाब देना होगा कि धार्मिक नगरों में शराब की बिक्री क्यों हो रही है।”
यह चुनौती सार्वजनिक रूप से उठाई गई है, जिससे विवाद और राजनीति गरमा गई है।
संविधान बचाने जीतू की कड़ी अपील
पटवारी ने रैली के दौरान संविधान बचाने की बात भी जोर-शोर से कही। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र और स्वायत्त संस्थाओं पर खतरा मंडरा रहा है।
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चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों पर निशाना...
- जीतू पटवारी ने कहा कि चुनाव आयोग एक ‘तोते’ की तरह काम कर रहा है और जनता का उस पर भरोसा कम हो गया है।
- जांच एजेंसियां केवल विपक्ष के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं।
- भाजपा के चुनावी बॉन्ड में दान देने की बात भी सामने आई है।
पटवारी ने स्पष्ट किया कि संविधान की रक्षा के लिए वह और उनकी पार्टी पूरी तरह तैयार हैं, चाहे गला कटने जैसा कष्ट क्यों न सहना पड़े।
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धार्मिक नगरों में शराबबंदी का महत्व
- धार्मिक नगरों में शराबबंदी से सामाजिक शांति और पवित्रता बनी रहती है।
- यह परिवारों और युवाओं के लिए बेहतर माहौल प्रदान करती है।
- शराब के कारण बढ़ने वाली हिंसा और अपराधों में कमी आती है।
लागू न होने वाले नियम का असर
पटवारी के बयान से साफ है कि शासन स्तर पर घोषित नीतियों का सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा, जिससे जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है।
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संविधान बचाओ रैली और उसका उद्देश्य
रैली का मुख्य उद्देश्य देश के संवैधानिक अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा करना था।
- जनता में जागरूकता बढ़ाना
- सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना
- लोकतंत्र के स्वायत्त संस्थानों को बचाना