मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना को लेकर इस समय सियासी विवाद छिड़ा हुआ है। योजना की 20वीं किस्त से पहले 1.63 लाख महिलाओं के नाम काटे जाने की खबर आई है। कारण बताया जा रहा है कि यह महिलाएं 60 वर्ष की आयु पार कर चुकी हैं। कांग्रेस का आरोप लगाया कि राज्य सरकार आर्थिक संकट में घिरी हुई है, इसीलिए वह महिलाओं के नाम योजना से हटा रही है।
कांग्रेस विधायक आरिफ मासूम ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि न तो सरकार के पास पर्याप्त धन है और न ही मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास सच्चाई बताने की हिम्मत है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इस योजना में नए लाभार्थियों के नाम जोड़ने के बजाय पुराने नाम काटने के कारण तलाशे जा रहे हैं।
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'वोट लेकर धोखा दिया जा रहा'
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले किसानों, फिर युवाओं और अंत में लाड़ली बहनों से वोट लिया, लेकिन अब उन्हें धोखा दिया जा रहा है। पटवारी ने कहा कि 60 वर्ष से ऊपर की लाड़ली बहनों के नाम हटाए जाएंगे और 18 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को जोड़ने की योजना नहीं है। कांग्रेस नेता हिना कांवरे ने यह चेतावनी दी कि यदि लाड़ली बहना योजना में कोई बदलाव हुआ, तो वे सड़कों पर उतरकर बहनों की लड़ाई लड़ेगी।
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सीएम मोहन यादव ने कही आर्थिक बोझ की बात
बता दें कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पहली बार ये बात मानी थी कि इस योजना का बोझ सरकार पर पड़ रहा है। इसके बाद से ही इस योजना को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया था।
महिलाओं की संख्या में गिरावट
जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2025 तक इस योजना के तहत 1.26 करोड़ महिलाओं को 1250 रुपये दिए जाएंगे। जबकि योजना की शुरुआत से ही लाभार्थियों की संख्या कम हो रही है। 10 जून 2023 में यह संख्या 1.31 करोड़ थी, जो जनवरी 2024 में घटकर 1.29 करोड़ हो गई। दिसंबर 2024 तक यह संख्या 1.28 करोड़ तक पहुंची, और अब जनवरी 2025 में यह घटकर 1.26 करोड़ रह गई है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार महिलाओं के लिए कई योजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता दे रही है और यह काम सिर्फ बीजेपी ही कर सकती है, कांग्रेस के बस की बात नहीं है।
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