MP News : मध्यप्रदेश सरकार ने दावा किया है कि बीते चार वर्षों में आयोजित 2709 रोजगार मेलों के माध्यम से 3.23 लाख युवाओं को नौकरियां प्रदान की गईं। लेकिन इस विषय में जब पड़ताल की तो हकीकत खुद ब खुद सामने आ गई। दरअसल इनमें से 1.19 लाख युवाओं (37%) ने नौकरी छोड़ दी है और 16,000 युवाओं (5%) को जॉइनिंग ही नहीं मिली, जिसके चलते कई युवा आज भी नौकरी की तलाश में हैं।
इन तथ्य से रोजगार मेलों के माध्यम से मिले रोजगार की गुणवत्ता और स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 4 वर्षों में हुई इतनी बड़ी संख्या में युवाओं की बेरोजगारी से यह समझ आता है कि रोजगार के दावे केवल संख्याओं तक सीमित रह गए हैं।
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क्यों छोड़ी गईं नौकरियां?
काम अलग दिया गया — पीथमपुर के अशोक को फिटर की नौकरी दी जानी थी, लेकिन कुछ और काम मिला, जिससे उन्होंने जॉब छोड़ दी।
वादा और हकीकत में फर्क — मंडीदीप के महेंद्र को कहा गया कि जल्द बुलाया जाएगा, लेकिन 6 महीने हो गए कोई कॉल नहीं आया।
प्रक्रिया लंबी और जटिल — यूएई की नर्सिंग नौकरी के लिए यूके का ऑफर लेटर दिया गया। फिर कहा गया कि पहले परीक्षा पास करो।
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जॉब ऑफर की स्थिति
श्रेणी संख्या प्रतिशत (%)
कुल नौकरी पाने वाले युव - 3,23,00 - 100%
जॉब छोडऩे वाले युवा - 1,19,000 - 37%
जिन्हें जॉइनिंग नहीं मिली - 16,000 - 5%
फिर से बेरोजगार युवाओं की संख्या - 1,35,000+ - 42%
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रोजगार बोर्ड का पक्ष
गिरीश शर्मा, सीईओ, मप्र रोजगार बोर्ड के अनुसार:-
"ऑफर लेटर का मतलब ही रोजगार देना है। अगर कोई युवा ऑफर लेटर प्राप्त करता है, तो वह नौकरी का ही प्रतीक है।"
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एबी खान, असिस्टेंट डायरेक्टर का बयान:-
"हम कंपनी और उम्मीदवार को मिलवाते हैं, लेकिन कितनों ने जॉइन किया, इसका कोई रिकॉर्ड हमारे पास नहीं होता।"
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