MP News : महिला जज ने बच्ची के दर्द पर लिखी कविता, रेप के बाद हत्या करने वाले आरोपी को फांसी

सिवनी मालवा के नयापुरा में 6 साल की एक मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया था। इस दर्दनाक हादसे के बाद न्याय की आस लिए बैठे माता-पिता को शुक्रवार को राहत की सांस मिली, जज ने यह साफ कर दिया कि इंसाफ तेजी से मिलेगा।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News :. सिवनी मालवा स्थित नयापुरा में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हत्या मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया और बच्ची को केवल 88 दिन में न्याय दिला दिया। महिला जज ने आरोपी को फांसी सजा सुनाई। इस घटना ने रिकॉर्ड करते हुए महज् 88 दिन में फैसला सुना दिया और आरोपी पर 3 हजार रुपए जुर्माना और बच्ची के माता-पिता को 4 लाख रुपए का प्रतिकर स्वरूप दिए जाने का आदेश दिया।

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बच्ची को सोता हुआ ले गया था आरोपी

2 जनवरी 2025 की रात एक 6 वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना सामने आई है। आरोपी अजय बाडिवा, जिसे धुर्वे के नाम से भी जाना जाता है, उसने इस वारदात को अंजाम दिया। वह पीड़ित बच्ची के मामा के घर में पलंग के नीचे सो रहा था, जहां बच्ची आई हुई थी। जब बच्ची की मां और मामा ने उसे घर से भगा दिया, तो वह रात में फिर से घर में घुस आया और सोती हुई बच्ची को जंगल में ले गया। वहां उसने नहर किनारे बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने इस मामले की जानकारी दी है।

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जज ने लिखी बच्ची के दर्द पर कविता

बताया जा रहा है कि बच्ची की मां और मामा ने आरोपी अजय को भगा दिया था, लेकिन वो जाते-जाते कहकर गया था कि लड़की मुझे दे दो। इसके बाद बच्ची को मां ने सुला दिया और कुछ देर बाद बच्ची को आरोपी उठाकर ले गया और जंगल में ले जाकर दुष्कर्म किया कर हत्या कर दी। बच्ची की मां ने आरोपी पर शंका जताई थी। पुलिस ने उसी रात आरोपी को गांव से गिरफ्तार किया। उसने दुष्कर्म कर हत्या करना कबूल किया। जज ने फैसले में बच्ची के दर्द पर कविता भी लिखी...

शासन की ओर से पक्ष विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट ने रखा। सिवनी मालवा के अधिवक्ताओं ने आरोपी का केस नहीं लड़ने का ऐलान किया था। आरोपी को फांसी की सजा दिलाने लोगों ने प्रदर्शन भी किया था।

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जज की कविता...

हां, फिर एक निर्भया
2 और 3 जनवरी की थी वो दरमियानी रात
जब कोई नहीं था मेरे साथ।
इठलाती, नाचती छ: साल की परी थी,
मैं अपने मम्मी-पापा की लाडली थी।
सुला दिया था उस रात बड़े प्यार से मां ने मुझे घर पर,
पता नहीं था नींद में मुझे ले जाएगा।।
"वो" मौत का साया बनकर।
जब नींद से जागी तो बहुत अकेली और डरी थी मैं,
सिसकियां लेकर मम्मी-पापा को याद बहुत कर रही थी मैं।
न जाने क्या-क्या किया मेरे साथ,
मैं चीखती थी, चिल्लाती थी,
लेकिन किसी ने न सुनी मेरी आवाज़।
थी गुड़ियों से खेलने की उम्र मेरी,
पर उसने मुझे खिलौना बना दिया।
"वो" भी तो था तीन बच्चों का पिता,
फिर मुझे क्यों किया अपनों से जुदा।
खेल-खेलकर मुझे तोड़ दिया,
फिर मेरा मुंह दबाकर,
मसला हुआ झाडिय़ों में छोड़ दिया।
हां मैं हूं निर्भया, हां फिर एक निर्भया,
एक छोटा सा प्रश्न उठा रही हूं
जो नारी का अपमान करे
क्या इंसाफ निर्भया को मिला
वह मुझे मिल सकता है।

-तबस्सुम खान, विशेष न्यायाधीश

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