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मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग में अटैचमेंट (अधिकारियों की अलग-अलग जिलों में तैनाती) खत्म करने के आदेश कागजों पर तो कई बार जारी किए गए, लेकिन हकीकत में इन आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। विभाग में कई जूनियर अफसरों को बड़े जिलों में अहम पदों का प्रभार दे दिया गया है, जबकि इन जिलों के लिए सीनियर अफसरों की नियुक्ति होनी चाहिए थी। मुख्य सचिव ने अब इस मामले का संज्ञान लेते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
विभाग ने किया आदेशों का पालन
साल 2000 में अटैचमेंट समाप्त करने के निर्देश दिए गए थे, उसके बाद वर्ष 2013 और 2021 में भी इन आदेशों को पुनः लागू करने के दिशा-निर्देश दिए गए। लेकिन विभाग में इन आदेशों का पालन नहीं किया गया। उपमुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना ही जूनियर अफसरों को बड़े जिलों में तैनात कर दिया गया, जो नियमों के विरुद्ध है।
जूनियर अधिकारियों को दी जा रही जिम्मेदारी
प्रदेश के सात जिलों में जूनियर अफसरों को बड़े पदों का प्रभार दिया गया है। उदाहरण के लिए छिंदवाड़ा जिले में एडीओ अजीत इक्का को दो साल के लिए एसी का प्रभार दिया गया है, जबकि विभाग में उनसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। इसी तरह नीमच और ग्वालियर में भी जूनियर अफसरों को डीओ और एसी के पदों का प्रभार दिया गया है।
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वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी
इन पदस्थापन आदेशों में वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी की जा रही है, जिससे विभागीय कार्य वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कनिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दिए जाने से विभागीय कार्यों में पारदर्शिता एवं दक्षता की कमी हो सकती है तथा विभाग की कार्यकुशलता पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
मुख्य सचिव ने मांगी रिपोर्ट
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अब इस मामले को गंभीरता से लिया है और आबकारी आयुक्त से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद विभाग में बदलाव की संभावना बढ़ गई है, ताकि अटैचमेंट आदेशों का सही तरीके से पालन हो सके और विभागीय ढांचे में सुधार हो सके। इस समय विभागीय सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि नियमों का पालन हो सके और बड़े जिलों में जूनियर अफसरों को तैनात करने की प्रथा पर लगाम लग सके।
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