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Justice Kailash Nath Wanchoo
जस्टिस कैलाशनाथ वांचू भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक अनूठा नाम हैं। वे ऐसे मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) बने, जिनके पास कानून की डिग्री ही नहीं थी। यह अपने-आप में दुर्लभ है और हाल ही में संसद सदस्य निशिकांत दुबे के एक ट्वीट के बाद वे फिर चर्चा में आ गए हैं। दिलचस्प ये है कि उनका मध्यप्रदेश से खास कनेक्शन रहा है। आइए जानते हैं उनके बारे में…
जन्म और शिक्षा
जस्टिस कैलाशनाथ वांचू का जन्म 1903 में मध्य प्रदेश में हुआ था। वे अपने परिवार में पहले न्यायाधीश थे। वर्ष 1924 में वांचू ने सिविल सर्विस परीक्षा (Civil Service Exam) पास की और ट्रेनिंग के लिए ब्रिटेन (Britain) गए। उनकी ट्रेनिंग के दौरान ही आपराधिक कानून (Criminal Law) की गहराई से पढ़ाई हुई थी।
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प्रशासनिक और न्यायिक करियर
- 1926 में उन्हें यूनाइटेड प्रोविंस (United Provinces) में असिस्टेंट मजिस्ट्रेट (Assistant Magistrate) नियुक्त किया गया।
- आगे चलकर वे रायबरेली के जिला जज बने।
- इसके बाद उत्तर प्रदेश में कलेक्टर (Collector) के पद पर भी रहे।
- 1947 में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में कार्यकारी न्यायाधीश बने।
1956 में उन्हें न्यू राजस्थान हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) नियुक्त किया गया।
ऐसे बने थे भारत के 10वें मुख्य न्यायाधीश
11 अप्रैल 1967 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के सुब्बाराव ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए इस्तीफा दिया। इसके बाद कैलाशनाथ वांचू को भारत का 10वां मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनाया गया। 24 अप्रैल 1967 को उन्होंने यह पद संभाला और 24 फरवरी 1968 तक अपनी सेवाएं दीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 355 फैसले सुनाए, जो न्यायिक क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और विश्वसनीयता को दर्शाते हैं।
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कैसे चर्चा में आए कैलाशनाथ वांचू
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा की कि वांचू जी ने कभी कानून की पढ़ाई नहीं की थी, फिर भी वे इतने बड़े पद तक पहुंचे। इससे ईमानदारी, अनुभव और कड़ी मेहनत की अहमियत सामने आती है।
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