BHOPAL. ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने मध्यप्रदेश का डिप्टी सीएम या प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने दोनों प्रस्ताव ठुकरा दिए थे। दिग्गज कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने अब यह बड़ा खुलासा किया है।
एक चैनल को दिए इंटरव्यू में दिग्विजय ने कहा, कमलनाथ ने निष्पक्षता के साथ काम करने का प्रयास किया। जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तब उन्होंने जो भी मांगें रखीं, कांग्रेस वे सब पूरी करने के लिए तैयार थी। चाहे बात सिंधिया की ग्वालियर स्थित जमीनों की हो या चाहे बात सिंधिया स्कूल की हो... जिसमें 1 रुपए में स्कूल को करोड़ों की जमीन दी गई। सिंधिया के जितने काम थे, कमलनाथ ने वे सब किए।
सिंधिया ने ठुकरा दिए थे कांग्रेस के प्रस्ताव
दिग्विजय ने आगे कहा कि सिंधिया प्रदेश में जिन अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग चाहते थे, कमलनाथ वे कर देते थे। यह कहना गलत है कि सिंधिया के साथ कांग्रेस में अन्याय हुआ। 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ, उसमें सिंधिया के लोग शामिल थे। इसी के साथ सिंधिया को ऑफर किया गया था कि आप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन जाइए या डिप्टी सीएम बन जाइए, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
सिंधिया के साथ अन्याय होने की बात गलत
दिग्विजय ने कहा कि सिंधिया के साथ अन्याय की बात पूरी तरह गलत है। असल में, वे जो चुनाव हार गए थे, उसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए, इसलिए उन्होंने बीजेपी के साथ समझौता कर लिया। इस समझौते में कितने करोड़ रुपए विधायकों को मिले, वो भी एक जांच का विषय है। दिग्विजय ने 2018 के चुनाव को याद करते हुए कहा कि तब हमारे 114 विधायक जीते थे। इनमें सिंधिया के 22 समर्थक विधायक थे।
क्या हुआ था उस वक्त
आपको बता दें कि 2020 में मध्यप्रदेश में सियासी तख्तापलट हुआ, जिसने राज्य की सत्ता को बदल दिया। यह घटना 2020 में हुई थी, जब 10 मार्च 2020 को दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। सिंधिया के समर्थक 22 विधायक भी बीजेपी में शामिल हुए थे। लिहाजा, कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
शिवराज सिंह चौहान की वापसी
कमलनाथ के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने राज्य में बहुमत साबित किया। इसके बाद 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शिवराज पहले 2005 से 2018 तक मुख्यमंत्री रहे थे और 2020 में उनकी वापसी हुई। दरअसल, इस तख्तापलट के पीछे बड़ी वजह सिंधिया और कमलनाथ के बीच तनाव था। सिंधिया को उनके समर्थकों के लिए उचित पद नहीं मिलने की वजह से पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता गया। यह असंतोष उनके बीजेपी में जाने का मुख्य कारण बना।