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हाल ही में भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच की करीबी को लेकर काफी चर्चा हुई। इस कार्यक्रम के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से सम्मानजनक बातचीत की, जो मध्य प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में एक नई चर्चा का विषय बन गई। इसके बाद, दिग्विजय सिंह ने सिंधिया को अपने बेटे समान बताया, जिससे राजनीतिक माहौल में एक नई तरह की चर्चा छिड़ गई।
जब दिग्विजय को हाथ पकड़ मंच पर ले आए सिंधिया
कार्यक्रम के दौरान जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंच से उतरकर सामने बैठे दिग्विजय सिंह और उनके परिवार से मिले, तो यह दृश्य राजनीति के पुराने समीकरणों को फिर से जीवित करता है। सिंधिया ने न केवल उन्हें सम्मानित किया, बल्कि उन्हें मंच तक ले गए और सिंह की मंच पर न बैठने वाली कसम को भी तुड़वा दिया।
यह घटनाक्रम उस समय घटित हुआ जब मध्य प्रदेश की राजनीति में दोनों नेताओं की अलग-अलग भूमिकाओं और दलों के बावजूद एक-दूसरे के प्रति सम्मान और मित्रता का इशारा देखने को मिला।
सिंधिया जी मेरे बेटे के समान हैं
रविवार को जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ग्वालियर पहुंचे तो मीडिया ने उनसे सिंधिया के बारे में सवाल किया। उनका कहना था, "सिंधिया जी मेरे बेटे के समान हैं। भले ही वह बीजेपी में चले गए हैं, लेकिन उनके पिता के साथ मैंने काफी समय तक काम किया। यह एक निजी कार्यक्रम था, जिसमें मैं भी शामिल था और सिंधिया जी ने मुझे मंच पर बुलाया।"
उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के अंदर किसी भी मंच पर बैठने को लेकर उन्होंने कुछ विशेष विचार नहीं किया। उनके अनुसार, पार्टी के अंदर मंच पर बैठने की परंपरा अब बदल चुकी है, और यह कभी एक मुद्दा नहीं था।
कांग्रेस के कार्यक्रमों में मंच लड़ाई
दिग्विजय सिंह के बयान के बाद एक नई चर्चा शुरू हो गई है, जिसमें यह सवाल उठाया गया कि क्या वह फिर से कांग्रेस पार्टी में मंच पर बैठने के लिए तैयार हैं। इस विषय पर दिग्विजय सिंह ने कहा, "कांग्रेस के कार्यक्रमों में मंच पर बैठने से विवाद उत्पन्न होते हैं। इसलिए मैं कार्यकर्ताओं के साथ बैठना अधिक पसंद करता हूं।"
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी की परंपरा में हमेशा से मंच पर सिर्फ मुख्य अतिथि और जिला अध्यक्ष ही बैठते थे। यह परंपरा हमेशा से कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों का हिस्सा रही है, और उन्होंने इसे आगे भी जारी रखने की बात कही।
क्यो खाई थी दिग्विजय ने मंच पर न बैठने की कसम
इसी साल 28 अप्रैल को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मंच पर न बैठने की कसम सार्वजनिक रूप से खाई थी। यह कसर उन्होंने 28 अप्रैल 2025 को ग्वालियर में आयोजित कांग्रेस की एक रैली के दौरान खाई थी, इस रैली में मंच पर बैठने के लिए कई लोकल नेताओं के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी, जिससे पूर्व सीएम काफी नाराज हो गए थे।
इस कार्यक्रम में वे मंच से नीचे उतर गए थे, साथ ही आगे किसी भी पार्टी के कार्यक्रम में मंच पर न बैठने की बात कही थी, उनकी इस कसम को वर्तमान केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रोचक तरीके से तुड़वा दिया।
सिंधिया के कारण ही गई थी कांग्रेस की सरकार
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में राज्यसभा चुनावों को लेकर घटे घटनाक्रम से नाराज होकर केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने तत्कालीन कमलनाथ सरकार को प्रदेश में गिरा दिया था। वे अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
एक साथ 22 विधायकों के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था, वहीं सिंधिया समर्थक विधायकों की मदद से प्रदेश में एकबार फिर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बना ली थी।
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