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नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के विभाग द्वारा नगर निगमों में 13 जून को बड़े पैमाने पर तबादले किए गए। इनमें उपयंत्री और अन्य तकनीकी पदों पर कार्यरत इंदौर के कुछ दागी अधिकारी भी शामिल थे। इन अधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एक के बाद एक स्थगन (स्टे) आदेश ले लिया। इस बीच निगमायुक्त ने उन्हें कार्यमुक्त कर दिया, लेकिन अधिकारियों ने निगम को कोर्ट का स्टे ऑर्डर दिखा दिया। इसके बाद इंदौर और भोपाल के अधिकारियों के बीच लंबी चर्चा चली। फिर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक जड़ दिया।
हाईकोर्ट से इस कारण लिया गया था स्टे
सबसे पहले उपयंत्री विनोद अग्रवाल, जो कि जोनल अधिकारी के पद पर कार्यरत थे, ट्रांसफर के खिलाफ हाईकोर्ट गए। उन्होंने तर्क दिया कि वे इंदौर नगर निगम के कर्मचारी हैं, नगरीय प्रशासन विभाग के नहीं। इसलिए उन्हें इंदौर से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। इसी आधार पर उन्हें स्टे मिल गया। इसके बाद अन्य अधिकारियों ने भी इसी तर्क के आधार पर स्टे प्राप्त कर लिया।
जानकारी के अनुसार, ग्वालियर हाईकोर्ट से भी पूर्व में इस तरह का निर्णय आ चुका है। विधिक रूप से देखा जाए तो तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति नगर निगमों द्वारा अपने स्तर पर की जाती है। ऐसे में कार्यालयीन यंत्री स्तर के नीचे के कर्मचारी संबंधित निगम के अधीन आते हैं, न कि नगरीय प्रशासन विभाग के। इसलिए भोपाल से उनका ट्रांसफर विधिसंगत नहीं माना जा सकता।
अब मंत्री के विभाग ने निकाला समाधान
इस स्थिति के समाधान के लिए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के विभाग ने एक नया रास्ता निकाला। इन सभी अधिकारियों के लिए नया संशोधित आदेश जारी किया गया, जिसमें उन्हें उनके कार्य में दक्ष बताते हुए प्रशासकीय सुविधा की दृष्टि से प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है। आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि इन अधिकारियों की मूल संस्था नगर निगम इंदौर ही रहेगी, लेकिन उनकी प्रतिनियुक्ति अन्य स्थानों पर की जा रही है ताकि उनके कौशल, योग्यता और सेवाओं का लाभ अन्य नगर निगमों को भी मिल सके। प्रतिनियुक्ति की अवधि पदभार ग्रहण करने की तिथि से दो वर्ष तक की होगी।
इंदौर के इन दागी अधिकारियों का हुआ था ट्रांसफर
इस ट्रांसफर लिस्ट में शिवराज यादव शामिल थे, जिन पर डॉ. इजहार मुंशी की विवादित मल्टी को न तोड़ने के एवज में 15 लाख रुपये मांगने का आरोप है। असित खरे ने इसी मल्टी का विवादास्पद नक्शा पास किया था। हिमांशु ताम्रकार भी इसी प्रकरण में शामिल रहे। राहुल रघुवंशी पर गलत नोटिस जारी करने के आरोप लग चुके हैं। शैलेंद्र मिश्रा की जनप्रतिनिधियों से लगातार टकराव की खबरें रही हैं। इसके अलावा अतुल सिंह को सतना, अंकुश चौरसिया को बुरहानपुर, अभिषेक सिंह को मुरैना, अतीक खान को रीवा और करतार सिंह राजपूत को पिछोर (शिवपुरी) ट्रांसफर किया गया था।
मिश्रा का सात दिन में तीन बार ट्रांसफर आदेश
10 जून की ट्रांसफर लिस्ट में जोनल अधिकारी शैलेंद्र मिश्रा का ट्रांसफर इंदौर नगर निगम से सिंगरौली किया गया था। लेकिन उन्होंने अपनी पकड़ का प्रदर्शन करते हुए तीन दिन में ही यह ट्रांसफर निरस्त करवा लिया। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई से मंत्री नाराज हुए। इसके बाद 17 जून की रात को पुनः आदेश जारी कर उन्हें खंडवा ट्रांसफर कर दिया गया।
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