संजय गुप्ता, INDORE. 17 से 19 फरवरी तक चला कमलनाथ ( KamalNath ) के कमल के साथ होने का राजनीतिक ड्रामा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। कमलनाथ क्या वाकई कमल का हाथ थाम रहे थे? आखिर किस मामले के कारण यह मामला अटक गया? इसके संकेत नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के एक बयान से हो साफ हो रहे हैं।
ये बोले विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को इंदौर में प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान सवाल हुआ कि बम को तो बीजेपी में लिया कमलनाथ को बीजेपी में नहीं लिया गया। इस पर विजयवर्गीय ने जवाब दिया कि कमलनाथजी बहुत अच्छे आदमी थे, वह अकेले आते तो मैं उनका स्वागत करता, पर बीजेपी डस्टबिन नहीं है जो सारे कचरे को भी ले ले।
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इस बयान के क्या मायने
इस बयान से संकेत इसी बात के मिलते हैं कि कमलनाथ को बीजेपी में लेने की बात हो गई थी, लेकिन मामला उनके साथ आने वाले नेताओं के कारण फंस गया था कमलनाथ को सब कुछ मानने वाले नेताओं की कांग्रेस में एक लंबी कतार है। वह जाते तो एक साथ कई नेता जिसमें विधायक से लेकर पूर्व विधायक पदाधिकारी सभी शामिल थे, वह भी आते। लेकिन अभी जिस तरह से बीजेपी कांग्रेस नेताओं को पार्टी में ले रही है, उस समय वह इन सभी को साथ में लेने को तैयार नहीं थी।
सज्जन सिंह वर्मा ही तो नही सबसे बड़ी वजह
जब 18 फरवरी को कमलनाथ दिल्ली में थे, तब सबसे पहले उनके पास जाने वालों में सज्जनसिंह वर्मा भी थे। जो उनके कट्टर समर्थक है। दिल्ली में मीडिया को बाइट भी उन्होंने ही दी। वहीं इसके पहले इंदौर में भी कहा था कि कुछ तो बात रही होगी। लेकिन बाद में मामला ठंडा हो गया और वर्मा ने भी पलटी मारी और कमलनाथ के बीजेपी में जाने वाली बातों को गलत बताया। मप्र में यदि कैलाश विजयवर्गीय कांग्रेस के सबसे ज्यादा किसी नेता से चिढ़ते हैं तो वह सज्जनसिंह वर्मा है। वर्मा ने कई बार विजयवर्गीय के लिए तीखे शब्दों का प्रयोग किया, खासकर विधानसभा चुनाव के दौरान। ऐसे में विजयवर्गीय के बयान से यही संकेत लग रहे हैं कि वर्मा और ऐसे कई नेताओं को भी अपने साथ बीजेपी में लाने की जिद ने कमलनाथ का कमल से हाथ थामने का मामला बिगाड़ दिया।