बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत अक्सर चर्चा में बनी रहती हैं। 2021 में एक बयान में कहा था कि भारत को 2014 में असली आजादी मिली, 1947 में नहीं, वो तो भीख में मिली थी। इस बयान के बाद देशभर में विवाद खड़ा हो गया था। जबलपुर के अधिवक्ता अमित कुमार साहू ने इसे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताते हुए कोर्ट में परिवाद दायर किया था।
याचिका में क्या कहा गया था?
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाय था कि कंगना का बयान देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के त्याग और बलिदान का अपमान है। इससे देश की शांति भंग हो सकती है और विद्रोह की भावना पैदा हो सकती है। उनके बयान से आम जनता में भ्रम और आक्रोश की स्थिति उत्पन्न हुई। याचिका में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।
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विचारों की स्वतंत्रता का अधिकार
एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट डीपी सूत्रकार ने सुनवाई के बाद परिवाद को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा- प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह अपने अनुभव और सोच के अनुसार यह तय करे कि वह खुद को कब आजाद महसूस करता है। जब तक यह विचार किसी अन्य व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता, यह मानहानि या अपराध नहीं माना जा सकता।
जबलपुर के एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष मजिस्ट्रेट डीपी सूत्रकार ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है कोई आपराधिक कृत्य नहीं है।
परिवादी अधिवक्ता अमित साहू जिन्होंने कंगना पर आरोप लगाया था, ने संकेत दिया है कि वे इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि देश की अस्मिता से जुड़े ऐसे बयान को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
कंगना रनौत को जबलपुर के MP-MLA कोर्ट से मिली राहत, जानें क्या है पूरा मामला
जबलपुर के एमपी एमएलए कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। रनौत ने 2021 में एक बयान में कहा था कि भारत को असली आज़ादी 2014 में मिली, 1947 में नहीं, वो तो भीख में मिली थी।
याचिका में क्या कहा गया था?
विचारों की स्वतंत्रता का अधिकार
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