केडिया ग्रुप की कंपनी शराब बनाने खरीद रही गरीबों का चावल, सात पर FIR

मध्यप्रदेश के इंदौर में प्रशासन ने व्यापारियों द्वारा खरीदे गए चावल की जांच की गई तो ये फोर्टीफाइड चावल निकला। ये चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गरीबों को शासकीय दुकानों से आवंटित होता है। यह चावल व्यापारी सस्ते दाम पर खरीद लेते हैं...

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र की शराब बनाने वाली शराब कंपनियों में से एक केडिया ग्रुप ( Kedia Group ) की ग्रेट गेलियन वेंचर्स ( Great Galleon Ventures ) लिमिटेड शराब बनाने के लिए गरीबों का चावल उपयोग कर रही है। इसी चावल से अवैध रूप से शराब बन रही है। चावल की अवैध खरीदी-बिक्री में लिप्त पाए गए सात लोगों से पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है। इसके चलते बाणगंगा थाने में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 व 7 के तहत सात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है।

ग्रेट गेलियन ने सैकड़ों क्विटंल चावल खरीदा

जिला प्रशासन द्वारा इस चावल की खरीदी में लगे सतीश अग्रवाल और उनके बेटे सक्षम अग्रवाल के यहां 8 और 16 मई को की गई छापे में यह बात सामने आई है। इस घोटाले में लिप्त कंपनी आरवी एक्सपोर्ट जिसके प्रोपराइटर मनोज पिता जमनादास रामचंदानी है, उन्होंने अधिकारियों को बताया कि सतीश अग्रवाल ने उनसे 856 क्विंटल चावल लिया है। उनके द्वारा देवश्री ट्रेडिंग के प्रोपरायटर सक्षम अग्रवाल पिता सतीश अग्रवाल को यह चावल बेचा गया है। इसे ग्रेट गेलियन वेंचर लिमिटेड डिस्टीलरी पर भेजने के लिए उनके द्वारा सागर न्यूट्रीमेंट्स प्रालि भोपाल से उन्होंने खरीदा था, जिसे 7 मई को डिस्टीलरी पर पहुंचा दिया गया है। 

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इनकी है ग्रेट गेलियन कंपनी

धार में स्थित यह डिस्टलरी में सुनीत मढोक मैनेजिंग डायरेक्टर है। साथ ही रचना केडिया, संतना वर्मा, अपूर्वा जैन, दीपक मीना, विष्णु सांवत, सुरेश केजरीवाल, डीके राजा, ममता दुबे, राजीव नेवतिया भी है। कंपनी की वेबसाइट पर जानकारी के अनुसार इसमें  विनय कुमार केडिया वाइस चेयरमैन, रचना केडिया सीएफओ, नेवतिया सीईओ, केएस राजू प्रेसीडेंट बिजनेस डेवलपमेंट, फायनेंस हेड शशांक बेलखेड़े, लीगल हेड विवेक छिबा है। 

इन पर दर्ज हुई एफआईआर

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प्रशासन ने सतीश अग्रवाल के दो ठिकानों पर कार्रवाई की जिसमें एक जगह 856 क्विटंल और एक जगह पर 500 क्विंटल चावल गोदामों में पाया और इसे सील कर दिया गया है। इसमें बाणगंगा थाने में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 व 7 के तहत सात लोगों पर एफआईआर हुई है। इसमें सतीश अग्रवाल, उनके पुत्र और देवश्री ट्रेडिंग कंपनी के सक्षम अग्रवाल निवासी 19/5 परदेसीपुरा के साथ वाहन चालक महफूज पिता मकसूद मोहम्मद, जिन गोदामों में यह चावल मिला गोदाम मालिक आशीष पिता संतोष ठक्कर, गोदाम जिसके नाम पर किराएदारी में था अंकित तिवारी, चावल बेचने वाली फर्म आरवी एक्सपोर्ट के प्रोपरायटर मनोज पिता जमनादास रामचंदानी। इमरान मोहम्मद ट्रांसपोर्टर परख रोड लाइंस, दाहोद गुजरात पर केस दर्ज किया गया है। 

गरीबों का चावल ही निकला जांच में 

आरोपी इसमें बचने के लिए इस चावल को बाहर व्यापारियों से खरीदी-बिक्री बता रहे थे। लेकिन प्रशासन ने इसकी जांच कराई जिसमें यह फोर्टीफाइड चावल निकला जो सिर्फ सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को शासकीय दुकानों से आवंटित होता है। यह चावल गरीबों से कुछ व्यापारी सस्ते दाम 10-12 रुपए प्रति किलो में खरीद लेते हैं। इसके बाद सतीश अग्रवाल जैसे कारोबारी इन कारोबारियों से थोक में यह चावल कुछ रुपए ज्यादा में खरीदते हैं और इसे फिर बियर, शराब बनान वाली गेलियन जैसी कंपनियों को 20 से 25 रुपए प्रति किलो तक में बेच दिया जाता है। सतीश और सक्षम दोनों ही आदतन अपराधी भी पाए गए हैं। प्रशासन की जांच में आया कि इन पर पहले भी इसी तरह के मामले में केस दर्ज हो चुका है, लेकिन यह आदतन अपराधी है और लगातार गरीबों के अनाज की खरीदी के अवैध धंधे में लगे हुए हैं।

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