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JABALPUR. सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण से जुड़े एक मामले में जबलपुर नगर निगम और उसके आयुक्त के प्रति सख्त रुख अपनाया है। नगर निगम ने कोर्ट के पिछले आदेश के बाद भी कोर्ट में किसी जिम्मेदार अधिकारी को नहीं भेजा। अब कोर्ट ने निगम के आयुक्त को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई में निगम कमिश्नर रामप्रकाश अहिरवार को यह बताना होगा कि कोर्ट के नोटिस के बावजूद नगर निगम का कोई अधिकारी पेश क्यों नहीं हुआ।
केमतानी के अवैध निर्माण को निगम के समर्थन का आरोप
जबलपुर के रजनीश कुमार संघी और आदित्य संघी ने याचिका दायर की हुई है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की रिट याचिका क्रमांक 383/2018 में दिए गए फैसले के खिलाफ लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकरण में चार पक्षकार हैं। ये हैं राज केमतानी, ज्योति केमतानी, नगर निगम जबलपुर और नगर निगम आयुक्त जबलपुर।
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अदालत में अनुपस्थिति पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन ने कहा कि 23 अक्टूबर 2025 को जबलपुर नगर निगम और कमिश्नर को नोटिस जारी किया गया था। उन्हें जिम्मेदार अधिकारी के साथ नक्शे, अभिलेख और अन्य जानकारी पेश करने को कहा गया था। सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से कोई भी अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ। इस पर अदालत ने कहा कि हमने स्पष्ट किया था कि प्रतिवादी क्रमांक 3 और 4 एक जिम्मेदार अधिकारी के साथ हमारे समक्ष उपस्थित होंगे। लेकिन, आज कोई नहीं आया। यह अत्यंत गंभीर लापरवाही है। अदालत ने कहा कि यह रवैया न्यायिक प्रक्रिया के प्रति असम्मान दर्शाता है। नगर निगम आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देना होगा।
नोटिस तामील पर भी सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से भी पूछा कि निजी प्रतिवादी राज केमतानी और ज्योति केमतानी को नोटिस अब तक क्यों नहीं तामील कराया गया। अदालत ने कहा कि सभी पक्षों को समय पर नोटिस पहुंचाना आवश्यक है। ताकि न्यायिक प्रक्रिया बाधित न हो।
केमतानी परिवार पर अवैध निर्माण के आरोप
यह पूरा विवाद अवैध निर्माण और नियमितीकरण से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दी है। दरअसल आवेदक परिवार का आरोप है कि वह बंगला संख्या 132 (पुराना संख्या 105) में रह रहे हैं। राज केमतानी ने प्लॉट संख्या 351 के 752 वर्ग फुट क्षेत्र पर चार मंजिला घर का निर्माण किया है। यह निर्माण आवश्यक खुली जगह को घर के बगल और पीछे छोड़े बिना किया गया है, वह भी नक्शा पास कराए बिना।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है मामला
हाईकोर्ट ने 2018 में याचिका क्रमांक 383/2018 में नगर निगम के पक्ष में फैसला दिया था। अब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नगर निगम ने नियमों का पालन किए बिना अवैध निर्माणों को नियमित किया। इससे क्षेत्र में शहरी नियोजन की अव्यवस्था पैदा हुई।
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सुप्रीम कोर्ट ने जबलपुर निगम कमिश्नर को किया तलब
कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को अगली सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दिया। उन्हें सभी नक्शे, अभिलेख और दस्तावेज लेकर आना होगा। अदालत यह भी देखेगी कि हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देने के बाद नगर निगम ने क्या कदम उठाए।
सुप्रीम कोर्ट ने जबलपुर नगर निगम आयुक्त को तलब किया है। यह संकेत है कि शहरी प्रशासन की जवाबदेही पर कोर्ट की सख्त निगरानी होगी। यह मामला तय कर सकता है कि अवैध निर्माणों के नियमितीकरण पर कोर्ट क्या रुख अपनाता है। जबलपुर में हजारों ऐसे मकान और निर्माण हैं जो इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। अगर यह फैसला आवेदक के पक्ष में आता है, तो कार्रवाई की मांग उठ सकती है।
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