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5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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केन-बेतवा लिंक: पाइपलाइन से बचाया अफसरों के बंगले
केन-बेतवा प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के लोगों को पानी देने के लिए बना है। हाल में प्रोजेक्ट का अलाइनमेंट बदल गया है। इसका कारण- निवाड़ी, छतरपुर, टीकमगढ़ के कलेक्टर-एसपी के बंगलों और 40 कॉलोनी को बचाना है। रोड से नहर बनने की बजाय अब पाइपलाइन और टनल का विकल्प चुना गया है।
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लागत और विस्थापन : हर बदलाव से खर्च बढ़ा
नहर की पुरानी डीपीआर तीन हजार करोड़ थी। अब पाइपलाइन के प्रस्ताव से लागत 12 हजार करोड़ बढ़ गई है। सरकार का कहना है कि विस्थापन कम होगा। पहले 220 किमी की नहर बनती, अब 60 किमी की पाइपलाइन और टनल से काम चलेगा।
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अफसरों के बयान : क्या बोले जिम्मेदार?
सीईओ प्रोजेक्ट ने माना कि अफसरों के बंगले और कॉलोनियां बचाने के कारण पाइपलाइन का प्रस्ताव है। निवाड़ी कलेक्टर ने भी कलेक्टर व एसपी के बंगले बचाने की बात स्वीकारी। जल संसाधन मंत्री बोले कि जानकारी विभाग के मुखिया को है।
अंडरग्राउंड पाइपलाइन का प्रस्ताव दिया
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राज्य सरकार ने नहर की जगह पर कुछ अंडरग्राउंड पाइपलाइन और टनल का प्रस्ताव दिया है। इसमें कई कॉलोनियां आ रही हैं। इसके अलावा गांव का विस्थापन का काम है। इससे बहुत समय लगेगा। - प्रशस्त कुमार दीक्षित, सीईओ, केन-बेतवा लिंक परियोजना
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कलेक्टर एसपी के बंगले बने हैं। मुझे भी जानकारी लगी है कि पाइपलाइन का प्रस्ताव है। वहां कलेक्टर और एसपी सहित अन्य अधिकारियों के बंगले बने हुए हैं। खुली नहर की जगह अब शासन की तरफ से पाइपलाइन डालने पर भी विचार किया जा रहा है। - , निवाड़ी कलेक्टर जमुना भिडे
प्रोजेक्ट का फायदे-नुकसान : आम लोग क्या सोचते हैं?
कुल लागत 44 हजार 605 करोड़ है। इससे मध्यप्रदेश के 44 लाख लोगों और उत्तरप्रदेश के 21 लाख लोगों को पानी मिलेगा। दो हजार गांव के सात लाख से ज्यादा किसान लाभ पाएंगे। लेकिन बंगले और कॉलोनी बचाने से आम लोगों का हित प्रभावित हो सकता है।
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आगे क्या? केंद्र सरकार करेगी परीक्षण
नए अलाइनमेंट व पाइपलाइन प्रस्ताव पर केंद्र सरकार परीक्षण करेगी। अगर स्वीकृति मिली तो प्रोजेक्ट का काम आगे बढ़ेगा। सोचने पर मजबूर करता है, क्या अफसरों के बंगले आम लोगों की जरूरत से ज्यादा खास हैं?
नोट: खबर के सभी फैक्ट People's Update और संबंधित सार्वजनिक सोर्स पर आधारित हैं।
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