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BHOPAL. देश की पहली नदी जोड़ परियोजना केन-बेतवा की धीमी रफ्तार सरकार के लिए ​चिंता का विषय बनी हुई है। इसके चलते मुख्य सचिव अनुराग जैन ने गुरुवार को परियोजना काउंसिल की बैठक बुलाई है। इसमें परियोजना के अगले साल के कामकाज के अलावा अन्य मुद्दों पर बात होगी।
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक,बैठक में नए वित्तीय वर्ष की कार्ययोजना यानी एपीओ पेश होगा। इसमें मुख्य भूमिका वन विभाग की होगी। दरअसल,केन-बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व एक मुख्य अड़चन है। इसका काफी हिस्सा परियोजना के डूब क्षेत्र में होगा।
बैठक में परियोजना के लिए भूमि प्रबंधन, बाघों के पुनर्वास और अन्य बिंदुओं पर चर्चा होगी। बताया जाता है कि बीते एक साल यानी पहले एपीओ में बताए गए कई काम अब भी अधूरे हैं। सीएस इस मामले में संबंधित अधिकारियों से जानकारी तलब कर सकते हैं।
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टाइगर ​रिजर्व में ही 12 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई
जानकार सूत्रों के अनुसार,परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व का करीब 6हजार हेक्टेयर क्षेत्र डूब में आएगा। इसके चलते पहले ही दौर में रिजर्व के करीब 12हजार से अधिक पेड़ों की कटाई की जानी है। डूब क्षेत्र बनने से कई वन्यजीव खासकर बाघ, तेंदुआ,चिंकारा व अन्य प्रजातियाँ प्रभावित होंगी। नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बदलाव से नीचे की ओर बसे क्षेत्रों में भी असर पड़ेगा। पन्ना टाइगर रिज़र्व पर पर्यावरणीय नुकसान को लेकर अभी भी कई विशेषज्ञ आपत्ति जता रहे हैं।
कम होगा बुंदेलखंड का वन क्षेत्र
हालांकि,समूची परियोजना में करीब 2लाख 30 हजार से ज्यादा पेड़ कटने की आशंका जताई गई है। इससे बुंदेलखंड का वन-कवर और भी कम हो जाएगा।​ काउंसिल की बैठक में इन सभी बिंदुओं की अगली कार्ययोजना पर चर्चा होने के आसार हैं। पीसीसीएफ वन्य प्राणी शुभरंजन सेन ने बताया कि बैठक में दूसरे चरण की कार्ययोजना पेश की जाएगी।
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पुनर्वास-मुआवजे की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं
परियोजना में डूब क्षेत्र में आने वाली भूमि तथा निर्माण कार्यों के लिए जरूरी जमीन एक प्रमुख मुद्दा है। इसमें पन्ना और आसपास के गांवों में सैकड़ों परिवार पुनर्वास व मुआवजे के दायरे में आएंगे। कुछ गांवों का पूरी तरह विस्थापन भी संभव है।
खेती की जमीन का एक बड़ा हिस्सा भी डूब क्षेत्र में आएगा। मुआवजे और पुनर्स्थापन संबंधी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं होने से स्थानीय लोगों में चिंता व्याप्त है।
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काउंसिल के ये सदस्य भी रहेंगे मौजूद
केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए गठित काउंसिल में सभी संबंधित विभागों के प्रमुखों के अलावा,जलशक्ति मंत्रालय सचिव,केंद्रीय जल आयोग सदस्य,परियोजना के प्रमुख पदाधिकारी शामिल हैं। बैठक में इन सभी के शामिल होने के आसार हैं।
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एक साल पहले हुआ था शुभारंभ
केन-बेतवा परियोजना के लिए भूमि पूजन बीते साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खजुराहो में किया था। परियोजना के लिए अब तक डीपीआर तैयार किया गया है। आधारभूत कामों की शुरुआत भी हो चुकी है।
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साल 2030 तक पूरी करनी है परियोजना
परियोजना को साल 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। परियोजना पूरी होने पर मप्र के 9 जिलों को लाभ मिलेगा। इनमें पन्ना,छतरपुर,टीकमगढ़,दमोह,सागर,विदिशा,दतिया,शिवपुरी व रायसेन शामिल हैं।
इनके अलावा उत्तर प्रदेश के चार जिले बांदा,महोबा,झांसी व ललितपुर को भी इसका लाभ मिलेगा। अधिकारिक सूत्रों का दावा है कि परियोजना से मप्र व उप्र की 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। वहीं,62 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा। बुंदेलखंड जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्र को जल संकट से निजात मिल सकेगी।
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