केंद्र सरकार के बंद पोर्टल ने मप्र खादी बोर्ड को किया निराश

मध्य प्रदेश में खादी का उत्पादन बढ़ाने की मप्र खादी बोर्ड की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में है। यह काम केंद्र के सहयोग से होना था,लेकिन नियमों में सुधार के नाम पर योजना पोर्टल ही बंद है।

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Ravi Awasthi
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Khadi board Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. क्या केंद्र सरकार किसी योजना को शुरू कर उसका पोर्टल शुरू करना ही भूल सकती है। यह बात सुनने में कुछ अटपटी लग सकती है,लेकिन मप्र का खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड इसका भुक्तभोगी है। उसे केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय के बंद पोर्टल खुलने का बीते दो साल से इंतजार है। इस उम्मीद में बोर्ड अपने नए केंद्र तो शुरू नहीं कर सका। इस काम के लिए राज्य सरकार से जो दस करोड़ रुपए मिले थे,वे भी इस रकम का उपयोग नहीं हो पाने से हाथ से निकल गए।

बीते साल विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान, मप्र कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के राज्यमंत्री दिलीप जायसवाल ने अफसरों को प्रदेश में खादी उत्पादन बढ़ाने निर्देश दिए।

जायसवाल ने अफसरों से कहा-कुटीर एवं ग्रामोद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। इनसे छोटे कारीगरों की आजीविका चलती है। वे मजबूत होंगे तो देश मजबूत होगा। हम जल्द ही केंद्र की मदद से उसकी स्पूर्ति योजना के तहत सागर,देवास,महेश्वर,उज्जैन व बुरहानपुर में खादी उत्पादन के पांच नये प्रोजेक्ट शुरू करेंगे। 

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सब्जबाग साबित हुए बोर्ड के प्रस्ताव

समीक्षा बैठक में मिली हिदायतों के बाद बोर्ड के ​अधिकारियों ने सागर के रहली,खरगोन जिले के महेश्वर,बुरहानपुर के जैनाबाद,देवास के बालगढ़,उज्जैन के ताजपुर व देवास जिला मुख्यालय के प्रस्ताव तैयार किए।

इनमें देवास में चर्म शिल्प व शेष में खादी तैयार करने की डीपीआर बनाई गई। इनके लिए केंद्र से करीब 20 करोड़ रुपए अनुदान की मांग रखी गई।

प्रस्तावों में कहा गया कि केंद्र शुरू हुए तो मप्र में करीब 7लाख मीटर खादी का उत्पादन बढ़ सकेगा। इससे तीन हजार से ज्यादा लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा और बोर्ड को भी हर साल करीब दस करोड़ की आय होगी,लेकिन ये सिर्फ सब्जबाग साबित हुए। 

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'स्फूर्ति' ने किया निराश,पोर्टल ही बंद

एमएसएमई केंद्रीय मंत्रालय ने योजना तो गांव के लिए बनाई,लेकिन इसके साथ ही यह शर्त भी रखी कि आवेदन या प्रस्ताव सिर्फ आनलाइन स्वीकार किए जाएंगे। अन्य आवेदकों की तरह,मप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ने भी आनलाइन अप्लाय का प्रयास किया लेकिन मंत्रालय के पोर्टल ने कभी साथ नहीं दिया। यह पूरे साल बंद ही रहा।

तंग आकर,बोर्ड ने सभी प्रस्ताव खादी और ग्रामोद्योग आयोग के मुंबई मुख्यालय को डाक से भेजे। बाद में इन्हें लेकर आयोग महानिदेशक नूने ​श्रीनिवास राव को चिट्ठियां भी लिखीं।

नूने ने हाल ही में दिए अपने जवाब में कहा-तकनीकि कारणों से विभाग का पोर्टल बंद है। सरकार की ओर से प्रस्ताव आफलाइन लेने कोई निर्देश नहीं हैं। भविष्य में कोई निर्देश मिले तो आपको बता देंगे। तब तक इंतजार करें। 

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उम्मीदों पर फिरा पानी,प्रस्ताव ठंडे बस्ते में

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के इस दो टूक जवाब ने मप्र खादी बोर्ड की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इधर,खत्म होते वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन तक रकम का उपयोग नहीं होने  पर मप्र सरकार से योजना में राज्यांश के तौर पर मिले 10 करोड़ रुपए भी हाथ से निकल गए।

खादी को बढ़ावा देने वाली स्फूर्ति योजना पुरानी है,लेकिन मौजूदा सरकार ने दो साल पहले इसमें कई खामियों को देखते हुए इन्हें दूर करने का फैसला लिया।

वह दिन है और आज का दिन, न योजना में सुधार हुआ, न ही  पोर्टल चालू हो सका। बता दें कि मप्र में खादी व चर्म शिल्प के 33 उत्पादन केंद्र हैं।

आधा दर्जन अन्य स्थानों पर नए केंद्र शुरू करने की बोर्ड की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। विभागीय राज्य मंत्री जायसवाल का कहना है - हमने तो प्रयास किए। राज्यांश के लिए 10 करोड़ का बजट भी दिया।

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