मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता “निर्वा” ने चार शावकों को जन्म दिया है। इसे बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इससे भारत में चीतों को फिर से बसाने की महत्वाकांक्षी योजना की सफलता के रूप में भी देखा जा रहा है। इसी के साथ वन अधिकारियों से जानकारी मिली है कि चंबल संभाग के अधीन आने वाले श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अब चीतों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है। इसमें 12 शावक शामिल हैं।
अफ्रीका से लाई गई थी निर्वा
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार मादा चीता निर्वा ने कूनों में चार शावकों को जन्म दिया है। इन शावकों को मिलाकर कूनों में अब चीतों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है। इनमें शावकों की कुल संख्या 12 है। निर्वा मादा चीता को 2022 में दक्षिण अफ्रीका से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया था। मई 2023 में इसे पहली बार खुले जंगल में छोड़ा गया था। इसके पहले निर्वा को बाड़े में ही दूसरे चीतों के साथ रखा गया था। निर्वा द्वारा शावकों के जन्म दिए जाने के बाद से देश के “चीता प्रोजेक्ट” को एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने सभी वनकर्मियों को दी बधाई
कूनो में गूंजी नन्हें शावकों की किलकारी, चीता "निर्वा" ने दिया शावकों को जन्म
— TheSootr (@TheSootr) November 25, 2024
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इस उपलब्धि को चीता प्रोजेक्ट के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने चीता संरक्षण में जुटे सभी वनकर्मियों को बधाई दी और उनके समर्पित प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन को बढ़ावा मिलेगा।
कूनो नेशनल पार्क, जो हाल के वर्षों में 'चीता स्टेट' के रूप में मशहूर हो चुका है, अब इन नवजात शावकों के कारण चर्चा में है। इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग सतर्कता बरत रहा है।
गौरतलब है कि सितंबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीते भारत लाए गए थे। हालांकि, इनमें से कुछ चीतों की मौत हो गई है। अब 24 चीते (12 शावक और 12 वयस्क) कूनो में सुरक्षित हैं। इनमें से ज्यादातर को सुरक्षित बाड़ों में रखा गया है।
गुजरात आएंगे केन्या के चीते!
चीता प्रोजेक्ट के तहत भारत हर साल 12 से 14 चीते अफ्रीकी देशों से लाने की योजना पर काम रहा है। लगातार पांच साल तक अफ्रीकी देशों से चीता भारत लाए जाते रहेंगे। गुजरात के बन्नी घास मैदान में भी चीता सेंटर बनाया जा रहा है, जहां केन्या से चीते लाए जा सकते हैं।
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