रिटायर्ड IFS ललित मोहन बेलवाल समेत सभी आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

भोपाल की विशेष ईओडब्ल्यू अदालत ने रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी ललित मोहन बेलवाल और सुषमा रानी शुक्ला की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। दोनों पर सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप है। अदालत ने राहत देने से इंकार किया।

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Manish Kumar
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश के रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी ललित मोहन बेलवाल, सुषमा रानी शुक्ला और विकास अवस्थी की अग्रिम जमानत याचिका को भोपाल की विशेष EOW अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया है। इन सभी पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) में अवैध नियुक्तियां करने और वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप है। अदालत ने दोनों की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया, जिसमें उन्हें राहत देने से इंकार कर दिया।

ललित मोहन बेलवाल, सुषमा रानी शुक्ला और विकास अवस्थी पर आरोप है कि उन्होंने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) में अवैध नियुक्तियां करने और वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया। बेलवाल पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकारी संपत्ति और योजनाओं का गलत इस्तेमाल किया। इन आरोपों के बाद उनकी गिरफ्तारी का खतरा बढ़ गया था, जिससे उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी।

बेलवाल के खिलाफ EOW ने दर्ज की थी FIR

मध्य प्रदेश के पूर्व आईएफएस अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग (EOW) ने एफआईआर दर्ज की थी। उन पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SGSY) में गलत तरीके से नियुक्तियां करने का आरोप लगा है। आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई अवैध नियुक्तियां की। यह एफआईआर एक शिकायत के बाद और अदालत के आदेश पर दर्ज की गई है।

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2015 से 2023 के बीच पद का गलत इस्तेमाल करने का आरोप

ललित मोहन बेलवाल पर आरोप है कि उन्होंने 2015 से 2023 के बीच अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में अवैध नियुक्तियां कीं। मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर रहते हुए बेलवाल ने बिना किसी निर्धारित प्रक्रिया के कई कर्मचारियों को नियुक्त किया। इन नियुक्तियों में मंत्री की आपत्तियों की भी अनदेखी की गई। शिकायत के बाद जांच शुरू हुई, जिसके बाद ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। साथ ही साथ ग्रामीण महिलाओं की बीमा योजनाओं के लिए आए धन का गबन करने का भी आरोप आरोपियों पर लगाया गया है।

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ईओडब्ल्यू की जांच में हुए खुलासे

इस मामले में ईओडब्ल्यू की जांच अधिकारी नेहा मारव्या (जो वर्तमान में डिंडौरी की कलेक्टर हैं) ने 2022 में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बेलवाल ने सरकारी पद का बेजा इस्तेमाल किया। उन्होंने सुषमा रानी शुक्ला और उनके परिवार के सदस्यों को बिना किसी योग्यतापरक चयन प्रक्रिया के मिशन के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया। इसके अलावा, गबन और अन्य भ्रष्टाचार की घटनाओं का भी खुलासा हुआ।

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कोर्ट ने मांगी थी EOW से जांच रिपोर्ट

आरके मिश्रा नामक व्यक्ति ने 12 फरवरी 2024 को इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, शुरुआत में इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद, आरके मिश्रा ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ईओडब्ल्यू से 28 मार्च तक जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था। कोर्ट के आदेश के बाद ईओडब्ल्यू ने इस मामले पर कार्रवाई शुरू की और जांच की रिपोर्ट में बेलवाल की गड़बड़ियों को स्पष्ट किया। MP News Hindi

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