इंदौर में DHL इन्फ्रा के गैलेंड्री लैंडमार्क कॉलोनी में सैनिकों को ठगा, द सूत्र ने पहले ही कॉलोनी सेल को चेताया था

गैलेंड्री लैंडमार्क के नाम से 10 साल पहले कॉलोनी काटी, लेकिन अभी तक उसको डेवलप नहीं किया है। भूमाफियाओं को लेकर ईओडब्ल्यू में भी 300 करोड़ रुपए के घोटाले की शिकायत हो चुकी है।

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Vishwanath Singh
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भूमाफियाओं और जमीन के जादूगरों ने एक और घोटाला कर दिया है। DHL इन्फ्राबुल इंटरनेशनल कंपनी के मुख्य कर्ताधर्ता संतोष सिंह और संजीव जायसवाल ने सैनिकों के साथ ठगी कर डाली है।

द सूत्र ने सालभर पहले ही चेताया था

गैलेंड्री लैंडमार्क के नाम से 10 साल पहले कॉलोनी काटी, लेकिन अभी तक उसको डेवलप नहीं किया है। भूमाफियाओं को लेकर ईओडब्ल्यू में भी 300 करोड़ रुपए के घोटाले की शिकायत हो चुकी है। एक साल पहले ही द सूत्र ने इस मामले में एक के बाद कई स्टोरी प्रकाशित की थी। जिसके जरिए कॉलोनी सेल के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी, लेकिन वह सोते रहे। रेरा भी इन मामलों में आदेश जारी कर चुका है, लेकिन कॉलोनी सेल के अधिाकरियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।

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द सूत्र ने 8 मई 2024 में प्रकाशित की थी खबर

 

बड़ी संख्या में सैनिक परिवार सहित पहुंचे जनसुनवाई में

महू के पास के डीएचएल इन्फ्राबुल इंटरनेशनल कंपनी द्वारा गैलेंड्री लैंडमार्क कॉलोनी काटी गई है। यहां पर रहने वाले बड़ी संख्या में सैनिक परिवार के लोग मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई में पहुंचे। रहवासी घनश्याम मिस्त्री, श्रीकांत ओझा, नर्वे सिंह, मेहताब यादव, सज्जन सिंह, विनोद चौहान और शिवम दुबे सहित बड़ी संख्या में लोग कॉलोनी से संबंधित दस्तावेज लेकर कॉलोनी सेल पहुंचे। 

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यह आवेदन दिया जनसुनवाई में

 

सैनिक बोले, वादा किया था, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन का

उन्होंने आरोप लगाए कि वर्ष 2012 में जिस कॉलोनी का नाम ‘गैलेड्री लैंडमार्क’ रखा गया। उसे एक ‘वीर सैनिकों की कालोनी’ कहा गया। वादा किया गया कि यह कॉलोनी सिर्फ सेना के अफसरों और जवानों के लिए होगी। विज्ञापनों में बताया गया कि यहां VIP कम्युनिटी हॉल, चौड़ी पक्की सड़कें, सुंदर गार्डन, हर गेट पर सुरक्षा गार्ड, पानी की टंकी और हर घर में नियमित पानी की सप्लाई जैसी सभी सुविधाएं होंगी। सेना के जवानों ने अपने खून-पसीने की कमाई से यहां प्लॉट खरीदे। उन्हें लगा कि रिटायरमेंट के बाद परिवार के साथ एक शांत, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन मिलेगा, लेकिन 10 साल बाद भी यह कॉलोनी सिर्फ एक अधूरा सपना बनकर रह गई है।

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ये सैनिक व परिजन पहुंचे जनसुनवाई में

 

यह समस्याएं हैं कॉलोनी में

1. कालोनी एमपीईबी. बोर्ड को एवं ग्राम पंचायत गांगल्याखेड़ी को अभी तक हैड ओवर न होना। 

2. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाउंड्रीवॉल की सही मरम्मत अति आवश्यक है।

3. कालोनी के सभी गार्डन सुव्यवस्थित होने चाहिए।

4. सम्पूर्ण कालोनी की स्ट्रीट लाईट सही होनी चाहिए।

5. पानी की समस्याएं जैसे की अभी तक कालोनी में पानी की किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। सभी के खुद की निजी बोरवेल है।

6. कालोनी में प्रवेश व निकास अनगिनत होना।

7. कालोनी के अन्दर खेती की जमीन होना तथा कालोनी के अन्दर आवरा पशुओं का घुमना इसके अलावा बाहरी लोगो के मकान व कालोनी के मकान के बिशा में तारफेसिंग का न होना। 

8. कालोनी की रोड खस्ता हालात में होना।

9. कालोनी में ड्रेनेज लाईन एवं सेप्टीटेंक की उचित व्यवस्था न होना और यदि है तो उसे रेखांकित करें ताकि समय पर साफ-सफाई का ध्यान रखा जा सके।

10. कम्युनिटी हॉल का आधा अधूरा काम होना।

11. कम्युनिटी हॉल में अनाधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश होना।

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ऐसे ब्रॉशर दिखाकर किया भ्रमित

 

ईओडब्ल्यू में भी हो चुकी है शिकायत

डीएचएल की इंदौर के साथ ही भोपाल, सीहोर, धार, कई जगह पर प्रोजेक्ट हैं। अधिकांश प्रोजेक्ट केवल दिखावे के लिए लांच किए गए। इसमें सस्ती जमीन खरीदी गई और फिर इसमें प्लाट काटकर लोगों से बुकिंग राशि ली गई। दो महीने में प्लाटधारकों से 50 फीसदी राशि ले ली गई। इसमें भी अधिकांश राशि ब्लैक में ली गई और इसकी रसीद दी गई। यह प्रोजेक्ट मुख्य तौर पर 2013 और इसके बाद लांच हुए। लेकिन इसमें विकास ही नहीं किया गया और प्लाटधारकों की पूरी राशि भर गई। जिसकी आज के समय में कीमत 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

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यह है इनके प्रोजेक्ट

इन कंपनी ने विदिशा रोड पर भोपाल में अक्स लैंडमार्कष सीहोर जिले में मिलेनियम लैंडमार्क व ताज द क्राउन नाम से प्रोजेक्ट लांच किए। इंदौर में गोल्ड सिटी फेस वन, टू, मिलेनियम फेस वन व टू, गोल्ड डस्क फेस वन, व टू, गेलेंट्री लैंडमार्क, इलार्डड लैंडमार्क फेस वन व फेस टू, टेक्नो, चौबीस केरेट रिजेसी, आईकॉन लैंडमार्क, देवास जिले में इम्पीरियल लैंडमार्क, धार जिले में हाईटेक सिटी और रायपुर में सिंगापुर सिटी नाम से प्रोजेक्ट लांच किए।

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ऐसे ब्रॉशर दिखाकर किया भ्रमित

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स्टाम्प ड्यूटी चोरी, टैक्स चोरी की भी शिकायत

इस कंपनी का काम देखने वाले और निवेशक भी रहे दो लोगों ने कंपनी के संजीव जायसवाल व डायरेक्टरों की पोल खोली और इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में की। इसमें कहा गया कि सौदे रजिस्टर्ड नहीं होकर, स्टाम्प पर मात्र अनुबंध आधार पर हुए। इसमें ली गई 50 फीसदी राशि में से 35 फीसदी हिस्सा नकदी में लिया। यह राशि विकास शुल्क के नाम पर ली और इसकी रसीद दी। यह अनुबंध भी मात्र नोटरी पर थे। इन्हें रजिस्टर्ड नहीं कराया गया। साथ ही इन भूखंडों को सौदा होने का बाद दूसरों को भी बेचा गया। विकास शुल्क व अन्य काम के लिए ली गई राशि का अनुबंध पत्र में जिक्र ही नहीं किया गया। यह सीधे जेब में डाल ली गई। इस तरह स्टाम्प ड्यूटी की भी चोरी हुई और ब्लैक मनी प्राप्त की गई। सौदों में फंसाने के लिए अच्छे ब्रोशर छापे गए और लोगों को ठगा गया।

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संतोष सिंह और संजीव जायसवाल कौन है

संतोष सिंह इस कंपनी के चेयरमैन और संजीव उर्फ बंटी जायसवाल वाइस चेयरमैन, अनिरुद्ध देव भी है। इनके खिलाफ ईओडब्ल्यू, रेरा, पुलिस कई जगह शिकायत हो चुकी है। लोगों ने बताया कि सपने दिखाकर निवेश कराया और फिर कुछ नहीं किया गया। ब्रोशर में बताया स्वीमिंग पूल होगा, जापानी गार्डन बनाएंगे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। संतोष के संबंध नागपुर के बड़ जमीन खिलाड़ी जो इंदौर पुलिस से गिरफ्तार भी हो चुका है सुरेश दोईफोड़े से भी जुड़ा है। संतोष और बंटी की कंपनी डीएचएल भी नागपुर की ही है।

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इस तरह के झूठे विक्रय अनुबंध किए

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राजनीतिक पहुंच दिखा रुकवा रखी है कार्रवाई

संतोष, बंटी और अनिरुद्ध तीनों बड़े खिलाड़ी हैं। यह इतने शातिर हैं कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से लेकर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी के नेता महेंद्र सिंह तक के साथ इनकी फोटो है। यह इन फोटो के दम पर अपनी राजनीतिक रसूख दिखाकर दबाव बनाते हैं कि इनके संबंध ऊपर तक है और कोई इनका कुछ नहीं कर सकता है। बीच में महेंद्र सिंह इंदौर आए थे, तब एयरपोर्ट पर संतोष सिंह मौजूद था। वह इन्हीं राजनीतिक संबंधों, फोटो का फायदा उठाकर कार्रवाई को रुकवाता है। 

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