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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली, जब एक उम्रदराज अधिवक्ता ने बहस के दौरान जज को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। मामला गोटेगांव (नरसिंहपुर) की मारपीट से जुड़ी जमानत याचिका का था। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने गुस्से में सरकारी वकील से कहा कि जज पागल हैं क्या ? इस टिप्पणी से कोर्टरूम का माहौल कुछ देर के लिए तनावपूर्ण हो गया।
जस्टिस प्रमोद अग्रवाल ने जताई नाराजगी
यह मामला जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की बेंच में लगा था। उन्होंने तुरंत इस टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि हम अपने कोर्ट में किसी से गलत बात नहीं करते और न ही किसी की गलत भाषा बर्दाश्त करेंगे। हालांकि अधिवक्ता ने बिना किसी शर्त के तुरंत माफी मांग ली। कोर्ट ने उनकी माफी स्वीकार कर ली और उन्हें भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी दी।
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किस्मत से बच गए वकील
हाईकोर्ट के गलियारों में चर्चा रही कि अधिवक्ता की किस्मत अच्छी थी कि मामला जस्टिस प्रमोद अग्रवाल की कोर्ट में था। वे शांत और संयमी जज माने जाते हैं। वकीलों का कहना था कि अगर यही मामला जस्टिस विवेक अग्रवाल या जस्टिस अतुल श्रीधरन जैसे सख्त जजों की बेंच में होता, तो उस वकील की मुश्किलें काफी बढ़ सकती थीं और शायद उन्हें अवमानना सहित बार काउंसिल की जांच की कार्रवाई का सामना करना पड़ता।
जमानत के मामले की थी सुनवाई
दरअसल, गोटेगांव में हुई मारपीट के मामले में मुन्नालाल मेहरा और तेजस मेहरा ने जमानत की अर्जी लगाई थी। आरोप है कि दोनों ने अनिकेत पटेल के साथ मारपीट कर उसे गंभीर चोटें पहुंचाई थीं।
राजकीय अधिवक्ता ने बताया कि घायल को 15 जून 2024 को अस्पताल में भर्ती कराया गया और 17 जून को छुट्टी मिल गई थी। लेकिन बाद में 3 जुलाई को उसे दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब पुलिस से यह जानकारी मांगी गई है कि आखिर उसे किस तारीख को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी।
हाईकोर्ट ने दी वकील को चेतावनी
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ लिखा है कि अर्जीकर्ता के अधिवक्ता ने बहस के दौरान न्यायालय के संबंध में अभद्र भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने इसके लिए बिना शर्त माफी मांगी। उन्हें भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी दी जाती है। यदि आगे भी ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाता है तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट मैं मौजूद अन्य वकीलों ने स्थिति को संभाला
मामले की अगली सुनवाई अब 1 नवंबर 2025 को होगी। तब तक पुलिस को यह स्पष्ट करना होगा कि घायल को आखिर किस तारीख को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। इस पूरे घटनाक्रम ने हाईकोर्ट में मौजूद अधिवक्ताओं के बीच हलचल मचा दी।
कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकीलों ने बीच-बचाव कर माहौल सामान्य किया। जहां उन्होंने बुजुर्ग वकील को या समझाया कि आपको हाईकोर्ट के खिलाफ ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए तो सरकारी वकील को भी यह बताया की अधिवक्ता की उम्र और वरिष्ठता का लिहाज करें। फिलहाल मामला शांत हो गया है, लेकिन यह घटना हाईकोर्ट के गलियारों में चर्चा का बड़ा विषय बनी हुई है।
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