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Photograph: (thesootr)
मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहे संविदा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है।
हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने 7 CHO को विभागीय लापरवाही का दोषी मानते हुए सेवा से हटा दिया। विभाग का कहना है कि कामकाज में लापरवाही और PBI एंट्री में गड़बड़ी सामने आने पर यह कड़ी कार्रवाई की गई।
विभाग की गलती और सजा संविदा कर्मियों को
निलंबित किए गए CHO का कहना है कि विभाग ने बिना पूरी जांच किए उन्हें बलि का बकरा बना दिया। उनका आरोप है कि पोर्टल की तकनीकी गड़बड़ी की वजह से कई एंट्रियां स्टेट लेवल पर अपडेट नहीं हो पा रही थीं।
यह गड़बड़ी डिस्ट्रिक्ट लेवल पर साफ दिखाई भी दे रही थी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते इसे ठीक करने की कोशिश नहीं की। CHO का कहना है कि एंट्री अप्रूवल का जिम्मा बीपीएम और बीएमओ जैसे उच्चाधिकारियों पर होता है, लेकिन कार्रवाई केवल संविदाकर्मियों तक ही सीमित रखी गई।
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जबलपुर की CHO भी बर्खास्त लिस्ट में शामिल
बर्खास्त कर्मचारियों में जबलपुर की CHO पूनम महतो का नाम भी शामिल है। उन्हें 22 जुलाई को नोटिस मिला था जिसके बाद एचएम कार्यालय जाकर उन्होंने यह सफाई भी दी थी कि उनके द्वारा की गई एंट्री तहसील स्तर पर तो दिख रही है, लेकिन सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के चलते वहां स्टेट स्तर पर नजर नहीं आ रही। इसके बाद भी बिना किसी जांच क्यों ने बर्खास्त कर दिया गया। इससे स्थानीय स्तर पर विरोध और तेज हो गया है।
संविदा कर्मचारियों का कहना है कि विभाग ने अपने पोर्टल की गलती को छिपाने के लिए उनका भविष्य दांव पर लगा दिया। इसके पहले भी जबलपुर में सीएमएचओ को ज्ञापन सौंपने के साथ ही यह सभी संविदा कर्मी NHM कार्यालय भोपाल भी पहुंचे थे लेकिन उनकी मांगों का निराकरण नहीं हो सका।
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ज्ञापन सौंपकर उठाई आवाज
इस कार्रवाई के खिलाफ मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के नेतृत्व में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने जबलपुर में सीएमएचओ को नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) संचालक के नाम ज्ञापन सौंपा। बाद में यह मामला भोपाल तक पहुंचा, लेकिन कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली।
आंदोलन का बिगुल– 22 सितंबर को भोपाल-भरो
ठेंगड़ी भवन, भोपाल में रविवार को भारतीय मजदूर संघ और संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की बैठक हुई, जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। तय हुआ कि निष्कासित 7 अधिकारियों की तत्काल बहाली और वर्ष 2023 की नीति को 2025 के अंत तक लागू करने की मांग सरकार के सामने रखी जाएगी।
कर्मचारियों ने सरकार को 20 दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि 16 सितंबर से आंदोलन की शुरुआत होगी और 22 सितंबर को "भोपाल-भरो आंदोलन" के तहत प्रदेशभर के 32 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी राजधानी में NHM मुख्यालय का घेराव करेंगे।
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चेतावनी– आंदोलन और उग्र होगा
संगठन ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन प्रदेशव्यापी और उग्र रूप लेगा। इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ सकता है।
अब सबकी निगाहें 22 सितंबर के "भोपाल-भरो" आंदोलन पर टिकी हैं, जहां संविदा स्वास्थ्यकर्मी अपने अधिकारों और साथियों की बहाली को लेकर निर्णायक जंग छेड़ने की तैयारी में हैं।
संविदा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी | मप्र में स्वास्थ्य सेवाएं | CHO बर्खास्त | मध्यप्रदेश
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